मोहन यादव ही नहीं अखाड़ों से निकले ये पहलवान भी छा गए सियासत में

मध्यप्रदेश के नए नवेले मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव इन दिनों सुर्खियों में है...इसकी तमाम सियासी वजहें हो सकती हैं लेकिन क्या आप जानते हैं वे एक मंझे हुए पहलवान भी हैं.इन्हीं मोहन यादव के बहाने ये जानना दिलचस्प रहेगा कि कुश्ती के अखाड़ों से देश की सियासत में कौन-कौन सी मशहूर हस्तियां निकली हैं?

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Wrestling Players in Politics: मध्यप्रदेश के नए नवेले मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव (Chief Minister Dr. Mohan Yadav)इन दिनों सुर्खियों में है...इसकी तमाम सियासी वजहें हो सकती हैं लेकिन क्या आप जानते हैं वे एक मंझे हुए पहलवान भी हैं. वे न सिर्फ अपने गृह जिले उज्जैन में 'मोहन पहलवान' के नाम से मशहूर हैं बल्कि मध्यप्रदेश कुश्ती संघ के अध्यक्ष भी हैं.उनके मुख्यमंत्री बनने पर देशभर के और खासकर हरियाणा के पहलवानों ने खुशी जताई है. इन्हीं मोहन यादव के बहाने ये जानना दिलचस्प रहेगा कि कुश्ती के अखाड़ों से देश की सियासत में कौन-कौन सी मशहूर हस्तियां निकली हैं? 

कुश्ती प्रतियोगिता जीते तो राजनीति में आए मुलायम

अखाड़े की मिट्टी से देश की सियासत में आला मुकाम हासिल करने वालों में सबसे बड़ा नाम मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) का है. वे कुश्ती या यूं कह लें रेसलिंग के रास्ते ही सियासत में आए थे और न सिर्फ देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री रहे बल्कि देश के रक्षा मंत्री का पद भी हासिल किया था. लेकिन उनके राजनेता बनने के पीछे की वजह कुश्ती है ये कम ही लोग जानते हैं. दरअसल वाक्या 1962 का है- यूपी के जसवंत नगर विधानसभा के एक गांव में चुनाव प्रचार चल रहा था. इसी दौरान वहां कुश्ती की एक बड़ी प्रतियोगिता का भी आयोजन हुआ था. इसे देखने पहुंचे थे संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी यानी संसोपा के नेता नत्थू सिंह.प्रतियोगिता में  उनकी नजर एक पहलवान पर जम गई. जिसने एक के बाद एक कई पहलवानों को धूल चटा दिया था. वो पहलवान थे- मुलायम सिंह यादव. नत्थू सिंह उनके इस कौशल से प्रभावित हुए और अपना हाथ उनके सिर पर रख दिया. यहीं से दोनों के बीच गुरु-शिष्य का रिश्ता शुरू हो गया. वक्त बीतने लगा और साल आया 1967. जसवंत नगर सीट से नत्थू सिंह को संसोपा ने अपना उम्मीदवार बनाया लेकिन उन्होंने सबको चौंकाते हुए मुलायम सिंह का नाम बतौर प्रत्याशी आगे बढ़ाया. पार्टी ने उन्हें टिकट भी दे दिया.

तब मुलायम की उम्र महज 28 साल थी. उनके सामने कांग्रेस के प्रत्याशी लाखन सिंह यादव थे. लाखन ने मुलायक को बच्चा समझकर खिल्लियां उड़ाई. लेकिन लाखन यहीं गलती कर गए. मुलायम तब तक इलाके के मशहूर पहलवान हो चुके थे और आम जनता के मन में पहलवानों के प्रति काफी सम्मान था. नतीजा आया तो मुलायम ने लाखन को चारों खाने चित कर दिया था.

इस तरह कुश्ती प्रतियोगिता से मुलायम सिंह यादव ने सियासी सफर शुरू किया और प्रदेश और देश की सियासत पर अपनी अमिट छाप छोड़ी.

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मप्र के CM 'मोहन पहलवान' नाम से मशहूर 

कुश्ती के अखाड़े से सियासत की ऊंची सिढ़ी चढ़ने वाला दूसरा नाम मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव का है. सियासत में आने से पहले वे उज्जैन में स्थानीय स्तर पर पहलवानी करते रहे हैं. इसलिए उनके समर्थक उन्हें "मोहन पहलवान " बुलाते थे. खुद मोहन यादव के एक्स बायो के मुताबिक वे मध्य प्रदेश कुश्ती संघ के अध्यक्ष और मध्य प्रदेश ओलंपिक संघ के उपाध्यक्ष हैं. उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद दोनों हाथों से दो तलवारें घुमाते हुए उनका एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है. मोहन का कुश्ती के प्रति लगाव जगजाहिर है. गुरुवार यानी 21 दिसंबर को हुए भारतीय कुश्ती संघ के लिए चुनाव में वे उपाध्यक्ष पद के लिए भले ही हार गए हों लेकिन कुश्ती के खिलाड़ियों के वे चहेते राजनेता हैं. हरियाणा कुश्ती संघ के महासचिव राकेश कोच से उनके करीब संबंध बताए जाते हैं. 

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अखाड़ों में जवानी गुजारी है बृज भूषण सिंह ने

अखाड़ों की दुनिया से सियासत में आने वाला एक और बड़ा नाम है. बृज भूषण शरण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh).

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हालांकि इन दिनों महिला पहलवानों द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों की वजह से वे विवादों में हैं लेकिन ये सच है कि गोंडा से आने वाले बृजभूषण सिंह पहलवानी भी करते रहे हैं. बृज भूषण को बचपन से ही पहलवानी पसंद थी. उनकी पूरी जवानी अखाड़ों में गुजरी है.

उनके सियासी सफर का बीज तब पड़ा जब उन्होंने अवध यूनिवर्सिटी में छात्र संघ का चुनाव लड़ा. इसके बाद वे 1991, 1999, 2004, 2009, 2014 और 2019 में लोकसभा सांसद बने. उनकी गिनती बीजेपी के दबंग नेताओं में होती है. 

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योगेश्वर और बबीता भी हैं सियासी अखाड़े में

कुश्ती का दंगल लड़ते हुए सियासत में आया एक और बड़ा नाम है योगेश्वर दत्त का. कॉमनवेल्थ और ओलंपिक जैसे टूर्नामेंट में बड़े-बड़े पहलवानों को हराने वाले योगेश्वर दत ने दो बार बीजेपी की ओर से विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमाई लेकिन उन्हें जीत नसीब न हो सकी. इसके बावजूद वे सियासत में कायम हैं और बीजेपी की बैठकों में भाग लेते रहते हैं. वे सक्रिय तौर पर सियासत में हैं. हर मुद्दे पर वे बीजेपी के पक्ष में ट्वीट करते देखे जा सकते हैं. इसके अलावा मशहूर अंतरराष्‍ट्रीय महिला पहलवान बबीता फोगाट ने भी साल 2019 में बीजेपी की सदस्यता ली थी. वे दादरी विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में भी उतरीं लेकिन चुनाव हार गईं. इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय पहलवान राजवीर सिंह पहलवान ने राजनीति में हाथ आजमाया और यूपी के हाथरस से विधायक भी बने. फिलहाल वे राजनीति में सक्रिय हैं.

सबसे बड़ा नाम है दारा सिंह का  

हालांकि कुश्ती जैसे खेल से राजनीति के मैदान में आए सबसे बड़े खिलाड़ी रहे हैं दारा सिंह. रुस्तम-ए-हिंद रह चुके दारा सिंह को भी बीजेपी ही सियासत में लाई. अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने उन्हें साल 2003 में राज्यसभा के लिए नामांकित किया था. वे 2009 तक राज्यसभा के सदस्य रहे. दारा सिंह ने 55 साल की उम्र में अपना आखिरी कुश्ती का मुकाबला लड़ा था और उसमें भी विजेता रहे. बाद में हार्ट अटैक से साल 2012 में उनकी मौत हो गई.

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