राजधानी दिल्ली के पुलिस थानों में जिम्मेवारी को लेकर नए आदेश जारी किये गए हैं. दिल्ली पुलिस के लिये जारी किये गये आदेशों के मुताबिक, पुलिस थानों में तैनात दोनों इंस्पेक्टर यानी इंस्पेक्टर लॉ एंड आर्डर और इंस्पेक्टर इन्वेस्टिगेशन, थाने के एसएचओ (SHO) को रिपोर्ट करेंगे. इनमें से अगर कोई भी एक छुट्टी लेगा तो विभाग को संभालने की जिम्मेदारी एसएचओ की होगी. इन आदेशों में एसएचओ को इलाके का पब्लिक फेस बताते हुए कहा गया है कि उसे हर शिकायतकर्ता से मिलना होगा. नए आदेश के मुताबिक, कोई भी एफआईआर (FIR) एसएचओ की मंजूरी पर ही दर्ज की जाएगी. अपराध के बड़े मामलों में एसएचओ को घटना स्थल का दौरा करना जरूरी होगा.
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पुलिस नियंत्रण कक्ष यानि पीसीआर कॉल को सीधे एसएचओ मॉनिटर करेंगे. नए आदेशों के बाद एक और अहम बदलाव यह होने जा रहा है कि थाने में हर पुलिसकर्मी की ड्यूटी रोटेट होगी, यानी बीट समय-समय पर बदली जाएगी. यही नहीं, सभी को हर बीट पर काम करने का अवसर मिलेगा. नए खाके के तहत थाने का एसएचओ इन्वेस्टिगेशन और कानूनी परिक्रिया में होने वाले खर्चे का लेखा-जोखा भी रखेगा और उसे रेगुलर बेसिस पर अमन कमेटी, चौकीदार, पहरी, आरडब्ल्यूए, मार्केट एसोसिएशन से मीटिंग करनी होगी. शहर में अपराध से जुड़ी घटना की जांच और फोरेंसिक जांच की जिम्मेदारी भी एसएचओ की ही होगी. क्षेत्र में होने वाले अपराध को लेकर उसकी ही जवाबदेही तय होगी. सोशल मीडिया सेल का इंचार्ज भी एसएचओ को ही बनाया गया है.
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लॉ एंड ऑर्डर इलाके के सीसीटीवी पर इंस्पेक्टर नजर नहीं रखेंगे बल्कि अपराध की जांच के लिए इंस्पेक्टर इन्वेस्टिगेशन जिम्मेदार होंगे. यूआईडीबीएस और लापता व्यक्तियों की निगरानी निरीक्षक (जांच) द्वारा की जाएगी और इंस्पेक्टर सभी जांच मामलों की निगरानी भी सुनिश्चित करेगा. वह यह भी सुनिश्चित करेगा कि ऐसे सभी मामलों को तेजी से और ठीक से पूरा किया जाए, और केवल आवश्यक और उचित नमूने ही एफएसएल को भेजे जाएं. इंस्पेक्टर ही एफएसएल के साथ निकट संपर्क और रिपोर्ट, राय आदि का समय पर संग्रह सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार होगा. इंस्पेक्टर (जांच) को ही एमएलसी/सीएफएसएल/आबकारी रिपोर्ट और पोस्टमार्टम की निगरानी करनी होगी, और वही एसएचओ के समन्वय में, निरीक्षक (जांच) आईआईएफ से संबंधित सीसीटीएनएस मॉड्यूल की विशेष रूप से निगरानी करेगा.
आदेश के मुताबिक, मामले की फाइलें और चार्जशीट/अंतिम रिपोर्ट समय पर अपलोड करनी होंगी और इंटर-ऑपरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम पर सुनिश्चित किया जाना आवश्यक होगा. इंस्पेक्टर (जांच) मलखाना का प्रभारी होता है और एमएचसी के उचित रखरखाव और निगरानी करना सुनिश्चित करना होगा. संपत्ति के मामलों में भी निपटारा वही सुनिश्चित करेगा. निरीक्षक (जांच) अपराधियों के डोजियर के अपडेशन और निर्माण के लिए भी जिम्मेदार होगा.
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