सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे (Anna Hazare) ने महाराष्ट्र सरकार की नई शराब नीति के खिलाफ अपना अनशन टाल दिया है. हजारे ने इससे पहले महाराष्ट्र में सुपरमार्केट और ग्रोसरी शॉप में भी शराब की बिक्री की नीति के खिलाफ 14 फरवरी से अनिश्चितकालीन अनशन शुरू करने का ऐलान किया था. अन्ना हजारे ने ही दिल्ली में लोकपाल कानून के लिए अनशन किया था, जिसकी गूंज पूरे देश में सुनाई पड़ी थी. हजारे ने अनशन को टालने की वजह बताते हुए रविवार को कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने ये नीति लागू करने के पहले उनके सुझावों पर विचार करने का आश्वासन दिया है.
रविवार को अहमदनगर जिले में स्थित अन्ना हजारे के गांव रालेगण सिद्धि में एक ग्राम सभा का आयोजन किया गया. हजारे ने ग्रामीणों से कहा कि महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार ने नई शराब नीति को लेकर जनता से सुझाव और आपत्तियां मांगी हैं. उनकी सहमति के बाद ही सरकार ने इस पर आगे बढ़ने का फैसला किया है. लिहाजा हम सोमवार से की जाने वाली भूख हड़ताल को टालने का फैसला कर रहे हैं.
अन्ना हजारे ने कुछ दिनों पहले मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर कहा था कि राज्य की जनता सुपरमार्केट और वॉक इन शॉप में शराब की बिक्री के फैसले को वापस लेने की मांग कर रही है, जिस पर विचार किया जाए. अन्ना हजारे ने कहा, राज्य में तमाम बीयर बार, परमिट रूम और शराब की दुकानें हैं, जहां से इसकी बिक्री हो सकती है, तो सरकार सुपरमार्केट और खुदरा सामान की दुकानों से इसे क्यों बेचना चाहती है. क्या वो शराब को बढ़ावा देना चाहती ?
हजारे के अनुसार, महाराष्ट्र सरकार के अधिकारियों से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि अब वो इस राज्य में नहीं रहना चाहते, जिसके बाद सरकार ने दोबारा इस पर विचार करना शुरू किया है. हजारे ने कहा कि शराब महाराष्ट्र की संस्कृति नहीं है, यह छत्रपति शिवाजी महाराज और संत तुकाराम महाराज की जन्मस्थली है.