राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार को आंध्र प्रदेश के राज्यपाल के रूप में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज न्यायाधीश एस अब्दुल नजीर की नियुक्ति की अधिसूचना जारी की है. जस्टिस सैयद अब्दुल नज़ीर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश हैं और इस साल 4 जनवरी को रिटायर हुए थे.
जस्टिस नज़ीर बिस्वा भूषण हरिचंदन की जगह लेंगे, जिन्हें छत्तीसगढ़ का राज्यपाल बनाया गया है.
जस्टिस अब्दुल नज़ीर सुप्रीम कोर्ट के कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे हैं. वह राजनीतिक रूप से संवदेनशील अयोध्या भूमि विवाद, ‘तीन तलाक' और ‘निजता के अधिकार' को मौलिक अधिकार घोषित करने वाले कई बड़े फैसलों को हिस्सा रहे.
17 फरवरी, 2017 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किए गए न्यायमूर्ति नजीर कई संविधान पीठों का हिस्सा रहे, जिन्होंने 2016 में 1,000 रुपये और 500 रुपये के नोट चलन से बाहर किए जाने से लेकर सरकारी नौकरियों एवं दाखिलों में मराठों के लिए आरक्षण और उच्च सरकारी अधिकारियों की भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार तक कई मामलों पर फैसले सुनाए.
वह पांच-न्यायाधीशों की उस संविधान पीठ का हिस्सा थे, जिसने नवंबर 2019 में अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ किया था और केंद्र को एक मस्जिद के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ का भूखंड आवंटित करने का निर्देश दिया था.
अपने विदाई समारोह में जस्टिस अब्दुल नज़ीर ने कहा था कि न्यायपालिका में महिलाओं का प्रतिनिधित्व अभी भी बहुत कम है.
उनके विदाई समारोह में, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास सिंह ने याद किया था कि न्यायमूर्ति अब्दुल नज़ीर अयोध्या भूमि विवाद मामले का हिस्सा थे.
उन्होंने कहा था कि जस्टिस अब्दुल नज़ीर उस संविधान पीठ के एकमात्र मुस्लिम न्यायाधीश थे, जिन्होंने विवादास्पद अयोध्या भूमि विवाद मामले की सुनवाई की और सर्वसम्मति से फैसला सुनाया. उन्होंने कहा था, यह न्यायमूर्ति अब्दुल नजीर की धर्मनिरपेक्षता के प्रति प्रतिबद्धता और न्यायिक संस्थान की सेवा करने की इच्छा को प्रदर्शित करता है.
न्यायमूर्ति अब्दुल नजीर ने जवाब दिया था कि सुप्रीम कोर्ट ने हमेशा उत्कृष्टता के लिए प्रयास किया है. उन्होंने यह भी कहा था कि भारत के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ के मार्गदर्शन में सुप्रीम कोर्ट इस गतिशील समाज की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार है.