डी पुरंदेश्वरी कौन हैं? लोकसभा स्पीकर के लिए उनके नाम की चर्चा क्यों?

64 साल की पुरंदेश्वरी मौजूदा TDP प्रमुख चंद्रबाबू नायडू की साली हैं. 1996 में जब एनटी रामाराव का तख्तापलट किया गया था, तब पुरंदेश्वरी ने नायडू का समर्थन किया था. उस वक्त उनके इस रुख की काफी चर्चा भी हुई थी.

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डी पुरंदेश्वरी TDP के संस्थापक एनटी रामाराव की बेटी और चंद्रबाबू नायडू की साली हैं.
नई दिल्ली/हैदराबाद:

नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने रविवार को तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. टीम मोदी में 71 मंत्रियों को जगह मिली है. कामकाज भी शुरू हो चुका है. जल्द ही मंत्रालयों का बंटवारा होना है. इस बीच लोकसभा स्पीकर के लिए भी NDA के घटक दलों में जोर-आजमाइश चल रही है. पहले अटकलें थीं कि लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election Result 2024) में 16 सीटें जीतने वाली TDP के चीफ चंद्रबाबू नायडू (Chandrababu Naidu) NDA सरकार को समर्थन देने के एवज में लोकसभा स्पीकर का पद चाहते हैं. जबकि BJP इसे अपने पास रखना चाहती है. इस बीच स्पीकर की रेस में डी पुरंदेश्वरी (Daggubati Purandeswari) का नाम सामने आने से कैलकुलेशन बदल गए हैं. पुरंदेश्वरी को नायडू की काट के तौर पर देखा जा रहा है.

आइए जानते हैं कौन हैं डी पुरंदेश्वरी? लोकसभा स्पीकर की रेस में क्यों उछला उनका नाम?

डी पुरंदेश्वरी तेलुगू देशम पार्टी (TDP) के संस्थापक और दिग्गज नेता रहे एनटी रामाराव की बेटी हैं. 64 साल की पुरंदेश्वरी मौजूदा TDP प्रमुख चंद्रबाबू नायडू की साली हैं. 1996 में जब एनटी रामाराव का तख्तापलट किया गया था, तब पुरंदेश्वरी ने नायडू का समर्थन किया था. उस वक्त उनके इस रुख की काफी चर्चा भी हुई थी. 

2004 में लड़ा पहला चुनाव
पुरंदेश्वरी की पढ़ाई-लिखाई चेन्नई से हुई है. स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने 1979 में लिटरेचर में बीए किया. 2004 के 14वीं लोकसभा चुनाव में उन्होंने फिल्म निर्माता दग्गुबाती रामानायडू को हराया. पहली बार वो बापटला निर्वाचन क्षेत्र से जीतकर संसद पहुंचीं. इस बार लोकसभा चुनाव में उन्होंने राजमहेंद्रवरम सीट से करीब 2.40 लाख वोटों के अंतर से जीत हासिल की है. उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी वाईएसआर कांग्रेस के जी श्रीनिवास को हराया है.

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2004 में थामा कांग्रेस का हाथ 
इसके बाद पुरंदेश्वरी को पार्टी में साइड लाइन होने का डर सताते लगा. लिहाजा उन्होंने 2004 में कांग्रेस का हाथ थाम लिया. पुरंदेश्वरी 2009 में केंद्र की मनमोहन सरकार में मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री भी रह चुकी हैं. 2012 में उन्हें UPA सरकार में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय में राज्य मंत्री का पद दिया गया. 

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2014 में BJP में हुईं शामिल
आंध्र प्रदेश को बांटकर दो राज्य बनाने के मसले पर पुरंदेश्वरी कांग्रेस से नाराज हो गई थीं. तब उन्होंने कहा था कि जिस तरह कांग्रेस ने तेलंगाना राज्य बनाने के लिए आंध्र प्रदेश का विभाजन किया है, उससे उन्हें बहुत दुख पहुंचा है. उनके पास कांग्रेस छोड़ने के अलावा कोई चारा नहीं बचा था. 7 मार्च 2014 को उन्होंने कांग्रेस का हाथ छोड़कर BJP ज्वॉइन कर लिया. मौजूदा समय में वो आंध्र प्रदेश की बीजेपी अध्यक्ष हैं. 

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महिला मोर्चा की रहीं प्रभारी 
डी पुरंदेश्वरी BJP में महिला मोर्चा की प्रभारी रहीं. 2020 में BJP ने उन्हें ओडिशा का प्रभारी बनाया. वह छत्तीसगढ़ की प्रभारी भी रह चुकी हैं. डी पुरंदेश्वरी को काफी तेज-तर्रार नेता माना जाता है. उन्हें 'साउथ की सुषमा स्वराज' भी कहा जाता है.

पुरंदेश्वरी BJP के लिए नायडू की काट कैसे?
डी पुरंदेश्वरी रिश्ते में चंद्रबाबू नायडू की साली लगती हैं. अगर उन्हें स्पीकर बनाया जाता है, तो जाहिर तौर पर नायडू पर एक सॉफ्ट प्रेशर पड़ेगा. वो पुरंदेश्वरी का विरोध नहीं कर पाएंगे. इसके अलावा पुरंदेश्वरी कम्मा समुदाय से ताल्लुक रखती हैं. चंद्रबाबू नायडू भी कम्मा समुदाय के हैं. आंध्र प्रदेश की राजनीति में यह प्रभावशाली समुदाय है. कम्मा समुदाय को TDP का ट्रेडिशनल वोटर माना जाता है. साफ है कि डी पुरंदेश्वरी के बहाने BJP नायडू की पार्टी TDP के ट्रेडिशनल वोटर्स में सेंध लगाना चाहती है.

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लोकसभा स्पीकर का पद इतना अहम क्यों?
इसबार लोकसभा स्पीकर पद के लिए कई पार्टियां जोर लगा रही हैं. ओम बिरला भी इस रेस में हैं. लोकसभा स्पीकर का पद इसलिए अहम हो जाता है, क्योंकि पिछले कुछ साल में सत्तारूढ़ दलों के भीतर विद्रोह के कई मामले सामने आए हैं. इससे कई पार्टियों में विभाजन हुआ. चूंकि, सरकार गिरने, अल्पमत में आने या सांसदों के बगावत करने के मामलों में दल-बदल विरोधी कानून लागू होता है. ये कानून लोकसभा के स्पीकर को पावरफुल पोजिशन देता है. यही वजह है कि TDP, JDU समेत अन्य पार्टियां लोकसभा स्पीकर का पद मांग रही हैं.

अगर पुरंदेश्वरी को लोकसभा अध्यक्ष चुना जाता है, तो वह इस पद को संभालने वाले आंध्र की दूसरी सांसद होंगी. उनसे पहले, अमलापुरम के पूर्व सांसद गंति मोहन चंद्र बालयोगी (जीएमसी बालयोगी) 12वीं लोकसभा में अध्यक्ष रह चुके हैं. कहा जाता है कि 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार को गिराने के पीछे तत्कालीन स्पीकर जीएमसी बालयोगी का हाथ था. उनकी रणनीति की वजह से वाजपेयी की सरकार महज 1 वोट से गिर गई थी. 

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