आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जल विवाद : CJI एनवी रमना ने सुनवाई से खुद को किया अलग 

आंध्र सरकार ने अपनी याचिका में तेलंगाना सरकार की उस चिट्ठी का हवाला भी दिया है जिसमें श्रीशैलम बांध से पानी आपूर्ति से साफ इंकार किया गया है. कृष्णा नदी जल बंटवारा समझौते के हवाले से आंध्र सरकार का कहना है कि तेलंगाना सरकार आंध्र को उसकी जनता के हिस्से का उचित पानी देने से मना कर रही है.

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नई दिल्ली:

भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस एनवी रमना ने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जल विवाद केस की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है. आंध्र प्रदेश ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि राज्य मध्यस्थता नहीं चाहता  है. राज्य ने कहा कि इस मुद्दे पर फैसला सुनाया जाए. इस पर CJI ने कहा, अगर आप कोई मध्यस्थता नहीं चाहते तो मैं भी इस मामले को नहीं सुनना चाहता.

केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने CJI से मामले की सुनवाई करने का अनुरोध करते हुए कहा कि हमें पूरा विश्वास है, आप ये केस सुनेंगे और आपको ये केस सुनना चाहिए. इस पर
CJI ने  कहा, "मुझे क्यों सुनना चाहिए? मामले को दूसरी बेंच के सामने जाने दें."

दो दिन पहले ही सीजेआई ने कहा था कि अगर इस मुद्दे पर कानूनी बहस होती है तो वो इस केस को नहीं सुनेंगे, क्योंकि वो दोनों राज्यों से हैं. रमना ने कहा था कि अगर दोनों राज्य मध्यस्थता और आपसी बातचीत के जरिए विवाद सुलझाना चाहते हैं तो वह केस देखेंगे.

''हमारे हिस्‍से का पानी नहीं दे रही तेलंगाना सरकार" : जल विवाद पर SC पहुंचा आंध्रप्रदेश

दरअसल, पेयजल और सिंचाई जल पर तेलंगाना के साथ आंध्र प्रदेश की खींचतान का मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. आंध्र प्रदेश सरकार ने इस मामले में SC में अर्जी लगाई थी. आंध्र सरकार ने अपनी याचिका में तेलंगाना सरकार की उस चिट्ठी का हवाला भी दिया है जिसमें श्रीशैलम बांध से पानी आपूर्ति से साफ इंकार किया गया है. कृष्णा नदी जल बंटवारा समझौते के हवाले से आंध्र सरकार का कहना है कि तेलंगाना सरकार आंध्र को उसकी जनता के हिस्से का उचित पानी देने से मना कर रही है.

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