कभी आपने सोचा है कि दिल्ली का ऐतिहासिक सूरज कुंड हो या बडखल झील, यहां पानी कैसे आता था? और दिल्ली वालों के लिए पानी का हजार साल पहले क्या स्रोत रहा होगा? हालांकि इस सवाज का जवाब है, दिल्ली हरियाणा बार्डर पर अरावली पहाड़ियों के बीच एक हजार साल पहले बनाया गया अनंग बांध. एक हजार साल पुराना एक ऐसा बांध जो बिना किसी मशीनरी या फाटक के बारिश के पानी को रोकता था. गुरुत्वाकर्षण तकनीक से बने इस बांध को दिल्ली के राजा अनंगपाल तोमर ने 1100 साल पहले बनवाया था. दिल्ली हरियाणा बार्डर के अनंगपुर गांव में ये देश के सबसे पुराने बांधों में से एक है.
भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग के मुताबिक, सूरजकुंड के दक्षिण-पश्चिम में बने अनंगताल का श्रेय तोमर वंश के अनंगपाल को दिया जाता है, जो 11वीं शताब्दी के शासक रहे थे. यह बांध हाइड्रोलिक इंजीनियरिंग तकनीक की बुद्धिमत्ता को दर्शाता है.
ऐसी है बांध की संरचना
बांध की पूर्वी संरचना मजबूती के लिए ढलान वाली है यानी दीवार की गहराई ऊपर से नीचे की ओर बढ़ती जाती है और पश्चिमी तरफ सीढ़ियां हैं. इसके उत्तरी और दक्षिणी छोर पर अतिरिक्त कोणीय पार्श्व सीढ़ियां बनी हैं. इसकी कुल लंबाई 101.2 मीटर है.
साथ ही बांध के शीर्ष से अलग-अलग गहराई पर जल निकासी के लिए सात चैनल हैं, जो बांध की मोटाई के माध्यम से चलते हैं और पानी को कुछ गहराई तक रखने के लिए उपयोग किए जा सकते हैं. सीढ़ियां बारीक तराशे गए पत्थर के खंडों से निर्मित हैं. साथ ही मलबे के पत्थरों के साथ, चूने के मसाले को लगाया गया था.
कौन थे अनंगपाल तोमर
अनंगपाल तोमर को दिल्ली बसाने का श्रेय दिया जाता है. 11वीं सदी में अनंगपाल तोमर ने राज किया और वो संभवतया तोमर राजवंश के अंतिम शासक थे. दरअसल, आठवीं शताब्दी की शुरुआत में दिल्ली में तोमर राजवंश की स्थापना की. तोमर वंश ने हरियाणा के अनंगपुर गांव में अपनी राजधानी बनाई और वहीं से अपने राज्य का विस्तार किया.
कहा जाता है कि उन्होंने अपने शासनकाल के दौरान कई महल और मंदिर बनवाए, जिनमें से अधिकांश अब पूरी तरह से नष्ट हो चुके हैं.
मेहरौली में अनंग ताल
दिल्ली में मेहरौली इलाके में अनंग ताल बना हुआ है. इसे 2022 में भारत सरकार ने राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा दिया. इसका निर्माण तोमर शासक अनंग पाल द्वितीय ने करवाया था. अनंगपाल तोमर को लाल कोट के अपने गढ़ के आसपास दिल्ली के पहले शहर की स्थापना का श्रेय भी दिया जाता है.
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के संस्थापक प्रमुख अलेक्जेंडर कनिंघम ने 1862 और 1865 के बीच ताल के आयामों को 169 फीट एनएस x 152 फीट ईडब्ल्यू और 40 फीट की गहराई के रूप में मापा था. इसका मतलब है कि इसकी जल धारण क्षमता लगभग एक मिलियन क्यूबिक फीट रही होगी. दिल्ली सरकार ने अब इसका जीर्णोद्धार करवाया है और कई टन मलबा निकाला गया है.