पिछले एक माह में 80 से ज़्यादा लोगों की जान ले लेने वाले जातीय संघर्ष के बाद तनाव को कम करने की कोशिश के तहत केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह बुधवार को भारत-म्यांमार सीमा पर स्थित मणिपुर के सीमावर्ती कस्बे मोरेह का दौरा करने वाले हैं.
सोमवार देर रात को इम्फाल पहुंचे अमित शाह ने बढ़ती जातीय हिंसा को रोकने के लिए कुकी और मैतेई समुदाय के विभिन्न नेताओं, शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों और मणिपुर कैबिनेट के साथ बैठकें कीं. पूर्वोत्तर भारत के इस राज्य में अमन बहाली के उद्देश्य से केंद्रीय गृहमंत्री ने मंगलवार को कुल 9 बैठकें कीं, जिनमें एक सर्वदलीय बैठक भी शामिल थी.
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मोरेह कस्बा जारी अशांति से बेहद प्रभावित है, और गृहमंत्री का दौरा बुधवार सुबह लगभग 10 बजे शुरू हुआ, जहां वह कुकी नागरिक समाज समूहों के साथ बातचीत करेंगे और मौजूदा सुरक्षा उपायों का आकलन करेंगे.
इसके बाद दोपहर 1 बजे के आसपास अमित शाह कांगपोकपी जिले का दौरा करेंगे, जो कुकी-बहुल इलाका है, लेकिन वहां मैतेई समुदाय के भी कई गंव हैं. कांगपोकपी उन जिलों में शामिल है, जो संघर्ष से सबसे ज़्यादा प्रभावित हुए, और यहां दोनों समुदायों के धार्मिक ढांचों और इमारतों को निशाना बनाया गया.
गृहमंत्री अमित शाह की अमन बहाली की कोशिशों के बीच भी सूबे के कुछ हिस्सों में संघर्ष जारी रहा. अधिकारियों के मुताबिक, काकचिंग जिले के सुगनू में विद्रोहियों और सुरक्षाबलों के बीच रातभर गोलीबारी हुई है. इम्फाल पूर्व के सगोलमंग में भी एक हमला हुआ, जिसमें नागरिक ज़ख्मी हुए.
सूबे में जातीय हिंसा लगभग एक माह पहले तब भड़की थी, जब 'आदिवासी एकजुटता मार्च' आयोजित किया गया था. पहाड़ी जिला जनजातियों द्वारा आयोजित यह मार्च मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा दिए जाने की मांग के जवाब में किया गया था. इसके कुछ ही समय बाद कुछ अमन हुआ, लेकिन एक ही पखवाड़े से कुछ ज़्यादा वक्त के बाद पिछले सप्ताहांत में अचानक संघर्ष और गोलीबारी फिर शुरू हो गई.
केंद्रीय गृहमंत्री के साथ गृहसचिव अजय कुमार भल्ला और इंटेलिजेंस ब्यूरो के निदेशक तपन कुमार डेका भी मौजूद हैं. मणिपुर कैबिनेट के साथ मंगलवार शाम को हुई बैठक के बाद सूबे में अमन और सामान्य हालात की तत्काल बहाली के उद्देश्य से पांच अहम फ़ैसले लिए गए थे, जिनमें कानून और व्यवस्था में सुधार, त्वरित राहत उपाय, हिंसा में मारे गए लोगों के परिवारों के लिए मुआवज़ा और अफवाहों के प्रसार का मुकाबला करने के लिए संचार लाइनों को फिर खोलना शामिल था.
अमित शाह ने हिंसा की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से करवाने का आश्वासन देते हुए अधिकारियों को राज्य में शांति भंग करने वाली गतिविधियों से सख्ती से निपटने का निर्देश दिया.
आदिवासियों के लिए अलग राज्य की 10 आदिवासी विधायकों की मांग को लेकर अमित शाह ने ज़ोर देकर कहा कि मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता से समझौता नहीं किया जाएगा. उन्होंने नागरिक समाज नेताओं से शांति बहाल करने में सक्रिय भूमिका निभाने का आग्रह किया और वादा किया कि राजनीतिक समाधान तेज़ी से शुरू किया जाएगा.
आदिवासी-बहुल चूड़चांदपुर जिले में एक बैठक के दौरान अमित शाह ने नेताओं से हिंसा पर अंकुश लगाने का अनुरोध किया. उन्होंने राज्य के आदिवासी समुदायों के लिए जल्द ही 20 टन चावल की राहत प्रदान करने का आश्वासन भी दिया. उन्होंने राज्य में सामान्य स्थिति बहाल करने पर सभी की राय भी जानी.