हिंद-प्रशांत क्षेत्र को स्थिर, नियम-आधारित और किसी प्रकार के प्रभाव से स्वतंत्र रखने के लिए भारत और फ्रांस मंगलवार को ‘‘संयुक्त रूप'' से काम करने पर सहमत हो गए. फ्रांस के राष्ट्रपति कार्यालय ने राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच फोन पर हुई बातचीत के बाद यह जानकारी दी. यह बयान ऐसे समय में आया है जब फ्रांस ने ब्रिटेन, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने एक नए त्रिपक्षीय सुरक्षा गठबंधन ‘ऑकस' (एयूकेयूएस) की घोषणा की है. प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक बयान में कहा कि दोनों नेताओं ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ते द्विपक्षीय सहयोग और क्षेत्र में स्थिरता एवं सुरक्षा को बढ़ावा देने में भारत-फ्रांस साझेदारी की महत्वपूर्ण भूमिका की समीक्षा की.
हिंद-प्रशांत में संयुक्त रूप से काम करने की साझा प्रतिबद्धता
मैंक्रों से चर्चा के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘अपने मित्र राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों से अफगानिस्तान की स्थिति पर बात की. हिंद-प्रशांत में भारत और फ्रांस के बीच निकट सहयोग के बारे में भी चर्चा की. हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सहित फ्रांस के साथ अपने सामरिक सहयोग को महत्वपूर्ण स्थान देते हैं.'' फ्रांस के राष्ट्रपति कार्यालय ने भी दोनों नेताओं के बीच वार्ता के बाद एक बयान जारी किया जिसे भारत स्थित फ्रांस के राजदूत एमैनुएल लेनाइन ने ट्वीट कर साझा किया.
इस बयान के मुताबिक, ‘‘दोनों नेताओं ने यूरोप-भारत संबंधों की रूपरेखा और हिंद-प्रशांत में यूरोपीय पहलों के अनुकूल एक खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत में संयुक्त रूप से काम करने की साझा प्रतिबद्धता जाहिर की. इस रुख का उद्देश्य क्षेत्रीय स्थिरता और कानून के राज को बढ़ावा देना है और साथ ही किसी प्रकार के प्रभाव से स्वतंत्र रखना है.''
ऑकस पर क्या है भारत का रुख?
इस बीच, भारतीय विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने मंगलवार को कहा कि अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया का नया सुरक्षा समझौता न तो क्वाड से संबंधित है और न ही समझौते के कारण इसके कामकाज पर कोई प्रभाव पड़ेगा तथा दोनों समान प्रकृति के समूह नहीं हैं. श्रृंगला ने विवादास्पद गठबंधन पर भारत की पहली प्रतिक्रिया में यह टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि ऑकस (ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और अमेरिका) तीन देशों के बीच का एक सुरक्षा गठबंधन है वहीं क्वाड एक मुक्त, खुले, पारदर्शी और समावेशी हिंद-प्रशांत के दृष्टिकोण के साथ एक बहुपक्षीय समूह है. श्रृंगला ने मीडिया ब्रीफिंग में कहा, "ऑकस तीन देशों के बीच का एक सुरक्षा गठबंधन है. हम इस गठबंधन के पक्ष में नहीं हैं. हमारे नजरिए से, यह न तो क्वाड के लिए प्रासंगिक है और न ही इसके कामकाज पर कोई प्रभाव पड़ेगा."
क्या है ऑकस समझौता
ऑकस समझौते के तहत ऑस्ट्रेलिया को अमेरिका और ब्रिटेन से परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियां बनाने की तकनीक मिलेगी. इस गठबंधन को दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती आक्रामता का मुकाबला करने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है. फ्रांस ने नए गठबंधन पर नाराजगी जतायी है क्योंकि इसके परिणामस्वरूप उसने ऑस्ट्रेलिया के लिए 12 पारंपरिक पनडुब्बियों के निर्माण के लिए अरबों डॉलर के करार को खो दिया. फ्रांस गठबंधन में शामिल नहीं किए जाने से भी नाराज है. चीन ने भी ऑकस के गठन की आलोचना की है.
क्वाड और ऑकस अलग-अलग
श्रृंगला ने कहा, "मैं स्पष्ट कर दूं कि क्वाड और ऑकस समान प्रकृति के समूह नहीं हैं... क्वाड एक बहुपक्षीय समूह है."
क्वाड में भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं. मोदी और मैंक्रों के बीच यह टेलीफोन वार्ता ऑकस की घोषण्ण के कुछ ही दिनों बाद हुई है. पीएमओ के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी ने मैक्रों ने क्षेत्रीय मुद्दों के अलावा अफगानिस्तान के हाल के घटनाक्रमों पर चर्चा की तथा वहां की स्थिति के संदर्भ में आतंकवाद, मादक पदार्थ, अवैध हथियारों और मानव तस्करी के संभावित बढ़ते खतरों पर चिंता जताई.
अफगानिस्तान के हाल के घटनाक्रमों पर भी चर्चा
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से जारी एक बयान में कहा गया दोनों नेताओं ने अफगानिस्तान में मानवाधिकार के साथ ही महिलाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकार सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया. पीएमओ ने कहा, ‘‘दोनों नेताओं ने क्षेत्रीय मुद्दों के साथ ही अफगानिस्तान के हाल के घटनाक्रमों पर भी चर्चा की. इस संदर्भ में दोनों ने आतंकवाद, मादक पदार्थ, अवैध हथियार और मानव तस्करी के संभावित खतरों पर अपनी चिंताएं साझा की. साथ ही दोनों नेताओं ने वहां मानवाधिकार और महिलाओं व अल्पसंख्यकों के अधिकार सुनिश्चित करने की आवश्यकता जताई.'' इस चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति मैक्रों ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ते द्विपक्षीय सहयोग और क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा प्रोत्साहित करने में भारत-फ्रांस साझेदारी की ‘‘अहम भूमिका'' की समीक्षा की. पीएमओ के मुताबिक दोनों नेताओं ने भारत-फ्रांस सामरिक साझेदारी की भावना के अनुकूल निकट और नियमित परामर्श बनाए रखने पर सहमति जताई.