चंद्रयान-3 ने लैंडिंग की उलटी गिनती के बीच चंद्रमा की ताजा तस्वीरें साझा की हैं. ये कुछ ऐसी तस्वीरें हैं, जिनमें चंद्रमा का एक अलग ही स्वरूप नजर आ रहा है. चंद्रयान-3 के लैंडर द्वारा ली गई चंद्रमा की ताजा तस्वीरों में यहां दूर के हिस्से पर कुछ प्रमुख गड्ढे भी नजर आ रहे हैं, जो हमेशा पृथ्वी से दूर की ओर होते हैं. ये तस्वीरें उस कैमरे द्वारा ली गई हैं, जिसका काम विक्रम लैंडर को बुधवार शाम को अज्ञात चंद्र दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र पर ऐतिहासिक टचडाउन से पहले एक सुरक्षित लैंडिंग क्षेत्र ढूंढने में मदद करना है.
बुधवार को चंद्रमा की सतह पर उतरने की उम्मीद
इसरो ने रविवार को बताया कि उसने चंद्रयान-3 मिशन के ‘लैंडर मॉड्यूल' (एलएम) को कक्षा में थोड़ा और नीचे सफलतापूर्वक पहुंचा दिया, और इसके अब बुधवार को शाम छह बजकर चार मिनट पर चंद्रमा की सतह पर उतरने की उम्मीद है. 14 जुलाई के प्रक्षेपण के बाद पिछले तीन हफ्तों में पांच से अधिक प्रक्रियाओं में इसरो ने चंद्रयान-3 को पृथ्वी से दूर आगे की कक्षाओं में बढ़ाया था. गत एक अगस्त को एक महत्वपूर्ण कवायद में अंतरिक्ष यान को पृथ्वी की कक्षा से सफलतापूर्वक चंद्रमा की ओर भेजा गया.
अमेरिका, रूस और चीन के साथ यह उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश
इसरो ने एक्स पर कहा, "ये लैंडर हैज़र्ड डिटेक्शन एंड अवॉइडेंस कैमरा (एलएचडीएसी) द्वारा ली गई चंद्र दूर के क्षेत्र की तस्वीरें हैं. यह कैमरा सुरक्षित लैंडिंग क्षेत्र का पता लगाने में सहायता करता है" चंद्रयान-3 के सफल होने पर भारत अमेरिका, रूस और चीन के साथ यह उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश बन जाएगा. केवल तीन देश चंद्रमा पर सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग' करने में सफल रहे हैं, जिनमें पूर्ववर्ती सोवियत संघ, अमेरिका और चीन शामिल हैं. हालांकि, ये तीनों देश भी चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर नहीं उतरे थे.
भारत एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करेगा
चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने का भारत का पिछला प्रयास छह सितंबर 2019 को उस वक्त असफल हो गया था, जब लैंडर चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. इसरो के अनुसार, चंद्रयान-3 मिशन के जरिये अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करेगा. इसने कहा कि यह उपलब्धि भारतीय विज्ञान, इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी और उद्योग की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है, जो अंतरिक्ष अन्वेषण में राष्ट्र की प्रगति को प्रदर्शित करता है.
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