"अमेरिका का न्योता, भारत की बढ़ती साख को दर्शाता है..." : PM मोदी के US दौरे पर स्मृति ईरानी

स्मृति ईरानी ने NDTV से कहा कि आज हिन्दुस्तान से चाहे वो आंध्र प्रदेश हो चाहे वो तेलंगाना हो चाहे वो महाराष्ट्र हो चाहे वो गुजरात हो, सर्विसेज की दृष्टि से विशेष तौर पर इन राज्यों से हमारे लोग अमेरिका में कई प्रमुख स्थानों पर हैं.

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पीएम मोदी के अमेरिकी दौरे को लेकर स्मृति ईरानी ने कही बड़ी बात

नई दिल्ली:

पीएम मोदी इन दिनों अमेरिका के राजकीय दौरे पर हैं. यह दौरा भारत और अमेरिका के रिश्तों के लिहाज से बेहद अहम माना जा रहा है. केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने पीएम मोदी के इस दौरे को लेकर NDTV से खास बातचीत की. उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि भारत-अमेरिका के रिश्ते को सूक्ष्म दृष्टि से नहीं देखना चाहिए. बहुत लोगों का मानना है कि ये एक डिफेंस बेस्ड डायलोग है और इसकी कई ऐसी परतें है जिसके ऊपर चर्चा करना जरूरी है. मैं बता दूं कि 40 लाख हिन्दुस्तानी आज अमेरिका में सबसे बड़ा डायसपोरा बन चुके हैं. जो सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक विषयों पर अहम भूमिका निभाते हैं. आज हमारे देश से विदेश पढ़ने जाने वाले जो छात्र हैं उनमें से 20 फीसदी से ज्यादा अमेरिका में पढ़ते हैं. आज हिन्दुस्तान में जो लैब ऑपरेट कर रहे हैं, अमेरिकी लैब से उनका वर्तमान में 200 से ज्यादा एक्टिव कोलैब्रेशन चल रहा है. अमेरिका में 14 स्थल ऐसे हैं जहां हिन्दुस्तानी फ्रॉमाशुटिकल कंपनी मैन्यूफेक्चरिंग कर रहे हैं. 

80 बिलियन डॉलर का FDI निवेश
स्मृति ईरानी ने कहा कि एक तरफ अमेरिका से 80 बिलियन डॉलर का FDI का निवेश आ रहा है. वहीं दूसरी तरफ हिन्दुस्तानियों ने सीआई के अंतरगत एक रिपोर्ट के अनुसार 40 बिलियन डॉलर का निवेश अमेरिकी कंपनी में किया है. अमेरिका में चार लाख नौकरियों का सृजन किया है. तो कहीं ना कहीं इस बात को स्वीकार करना पड़ेगा कि यूएस का भारत को निमंत्रण भारत की बढ़ती साख का परिणाम है. आज जो जो इकोनॉमी अपने आपको टेक्नोलॉजी बेस्ड इकोनॉमी करना चाहते हैं, वो समझते हैं कि हिन्दुस्तान जहां टेक्नोलॉजी थ्रुवल इनोवेशन के आधार पर बनाई जाती है. बहुत बड़ा उदाहरण हमारा मंगल मिशन है. हमारे मंगल मिशन की लागत देखें और अमेरिका के मंगल मिशन की लागत देखें तो आप पाएंगे हमने अपने मंगल मिशन पर अमेरिका की तुलना में चार गुणा कम खर्च किया है. 

"इस दौरे पर दिखी भारत की सांस्कृति विरासत की छाप"
उन्होंने कहा कि भारत की सांस्कृति विरासत की छाप भी इस दौरे पर दिख रहा है, इसके जवाब में उन्होंने कहा कि मुझे लगता है जब आप सांस्कृतिक धरोहर की बात करते हैं तो कल का अंतरराष्ट्रीय योग दिवस निश्चित तौर पर इस बात को प्रतिबिंबित करता है कि कैसे पीएम मोदी ने यूएन हेडक्वाटर्स में 135 राष्ट्रों के लोगों के साथ योग करके एक नया रिकॉर्ड बनाया है. लेकिन उसके पीछे भी एक इकोनॉमिक्स है. 

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इस वजह से बेहद खास है संदल का बॉक्स
उन्होंने कहा कि पीएम मोदी जब विरासत के साथ विकास की बात करते हैं तो उसका एक भाग इकोनॉमिक भी है. जैसा कि आपने कहा कि राष्ट्रपति को पीएम ने संदल का एक बॉक्स गिफ्ट किया है. वो बनाया गया है जयपुर के कारिगरों द्वारा, उसमें जो चांदी है वो पश्चिम बंगाल से है, उसमें जो गुड है वो महाराष्ट्र से है, गणपति जी की उसके साथ एक मूर्ति है लेकिन उसके साथ जो चावल गया है वो उत्तराखंड से है, तिल जो गया है वो तमिलनाडु से है नमक जो है वो गुजरात का है. लेकिन अगर आप क्राफ्ट की दृष्टि से देखें तो आज जो हिन्दुस्तान का हैंडक्राफ्ट बिजनेस है वो आज एक लाख करोड़ से ज्यादा का व्यवसाय करता है हर साल है. कोविड के समय भी यह एक क्षेत्र ऐसा है जिसने एक फीसदी बेहतर ही किया है. अगर आज आप आयुर्वेद को देखें तो आज यूएस में 40 फीसदी जेनेरिक ड्रग्स की फॉर्मूलेशन हैं, वो हिन्दुस्तान से आती हैं. तो मेरा मानना है कि विरासत को सिर्फ संस्कृति की दृष्टि से नहीं आर्थिक दृष्टिकोण से भी देखना जरूरी है. इसलिए पीएम मोदी कहते हैं विरासत भी विकास भी. 

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अमेरिका में हिन्दुस्तानियों का है बोल-बाला
इस यात्रा के जरिए आपसी संपर्क को बढ़ाने के प्रयासों को लेकर स्मृति ईरानी ने कहा कि 191 बिलियन डॉलर भारत और अमेरिका के बीच के नाते का परिणाम है. आज हिन्दुस्तान से चाहे वो आंध्र प्रदेश हो चाहे वो तेलंगाना हो चाहे वो महाराष्ट्र हो चाहे वो गुजरात हो, सर्विसेज की दृष्टि से विशेष तौर पर इन राज्यों से हमारे लोग अमेरिका में कई प्रमुख स्थानों पर हैं. सिर्फ बड़े स्तर पर ही नहीं बल्कि मिड लेवल कंपनियों में भी अमेरिका में भारतीयों का बोल बाला है. आज अमेरिका की अर्थव्यवस्था में वहां रहने वाले भारतीयों का बड़ा योगदान है. भारतीय लोग आज अमेरिका में अपनी एक अलग छाप छोड़ चुके हैं. हेल्थ केयर ही क्यों आज अगर आप स्पेश टेक्नोलॉजी में हिन्दुस्तान और अमेरिका के रिश्ते देखें तो 200 से ज्यादा सैटेलाइट लॉन्च अमेरिका की दृष्टि से इसरो और नासा के सहयोग से हो पाया है. तो भारत और अमेरिका के रिश्तों को मात्र योग की दृष्टि से नहीं मात्र डिफेंस की दृष्टि से नहीं, चाहे वो सेमी कंडक्टर है, चाहे वो एआई है चाहे वो क्राफ्ट है. भारत एक ऐसा विविध देश है जिसने इकोनॉमी,सोशल सेक्टर में, सर्विसेज सेक्टर में, अमेरिका के लिए भी नए मौके दिए हैं और अपने लिए भी नए-नए आयामों का विकास किया है. 

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हिन्दुस्तानी अब व्यवसाय का मोहरा नहीं बनना चाहते हैं
राहुल गांधी के अमेरिका के दौरे पर उन्होंने कहा कि आशिक की जेब में अगर पैसा ना हो ना तो आशिकी सूझती नहीं है. जब भूख लगी हो पेट में तो मोहब्बत किसी को याद नहीं आती है. आज हिन्दुस्तान विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई है तो कुछ लोगों को मोहब्बत याद आ रही है. वो चाहते हैं कि वो दोबारा दुकान लगाएं, लेकिन उस दुकान में बेचा क्या जाएगा. हिन्दुस्तान या हिन्दुस्तानी. हिन्दुस्तानी अब व्यवसाय का मोहरा नहीं बनना चाहता है. वो अपने हाथों से व्यवसाय कर अपने परिवार और अपने देश को संरक्षित रखना चाहता है. हम तो कहते हैं इकोनॉमी पर डिबेट करो वो कहते हैं मोहब्बत करो. राष्ट्रनीति से किसको सरोकार है और अपनी राजनीति से किसे मोहब्बत है ये उसी से प्रमाणित हो जाता है. 

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अलीबाबा 40 चोर की तरह है विपक्ष
विपक्षी दलों की बैठक पर स्मृति ईरानी ने कहा कि मैं इतना ही कहूंगी कि एक कहानी थी अलीबाबा 40 चोर की. अब पटना में कौन अलीबाबा है और कौन चोर है. ये वो लोग तय करेंगे. ये सब साथ आ रहे हैं अपनी राजनीति बचाने के लिए हम एक साथ आ रहे हैं राष्ट्र की उन्नति के लिए. मैं सिर्फ इतना कहना चाहती हूं कि पीएम मोदी का अमेरिका में जिस तरह से स्वागत हुआ उससे ये साफ दिख रहा है कि हमारा हिन्दुस्तान नई बुलंदियों को छू रहा है. 

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