PM मोदी का रूस दौरा इतना क्यों चुभ रहा? अमेरिका का फिर आया बयान

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूस दौरे के बाद से अमेरिका लगातार भारत को लेकर अलग-अलग तरह की बयानबाजी कर रहा है. अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी के बयान के बाद अमेरिका ने एक और टिप्पणी की है.

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नई दिल्ली:

पीएम मोदी के रूस दौरे को लेकर अमेरिका का एक और प्रतिक्रिया देखने को मिल रहा है. यह बयान अमेरिकी कांग्रेस में कार्यवाही के दौरान आया है. कांग्रेस के चेयर की तरफ़ से असिस्टेंट सेक्रेटरी डॉनल्ड लू से पूछा गया कि सस्ती चीज़ों और हथियारों के लिए भारत की तानाशाह पुतिन पर निर्भरता रोकने के लिए क्या किया जा सकता है. इसमें ये भी टिप्पणी की गई कि हमें पता है कि गैस ख़रीदा जा रहा है जिसका पैसा यूक्रेन में लोगों की जान लेने पर खर्च किया जा रहा है. चेयर के इस सवाल के जवाब में असिस्टेंट सेक्रेटरी ने सहमति जताते हुए कहा कि ये निराशा की बात है कि पीएम मोदी ने दौरे के लिए ऐसा समय चुना जो ठीक नहीं था. उनका आशय अमेरिका में चल रहे नाटो कांफ्रेंस से था.

जब मोदी रूस दौरे पर गए थे तब लू ने ये भी कहा कि जिस तरह की प्रतीकात्मकता बरती गई वह भी निराश करने वाला है. पीएम मोदी और रूस के राष्ट्रपति के गले मिलने की तस्वीर जो है वो अमेरिका को बहुत चुभी है लू का आशय इसी तरह की प्रतीकात्मकता से है. लू ने कहा कि इस मामले में भारतीय दोस्तों के साथ कड़ी बातचीत की जा रही है. ये भी अहम बात है कि दोस्तों जैसे शब्द का इस्तेमाल किया गया क्योंकि अमेरिका भारत के साथ अपनी रणनीतिक साझीदारी की अहमियत भी समझता है.

अमेरिका की चिंता

अमेरिकी निराशा की बात करते हुए अमेरिकी अधिकारी ने पीएम मोदी के दौरे की ऐसी तस्वीर भी पेश की जो अमेरिका को मुफ़ीद बैठता है. कहा कि पीएम मोदी के दौरे में कोई बड़ा रक्षा सौदा नहीं हुआ ये भी देखने की बात है. उन्होंने कांग्रेस के सामने ये भी कहा कि हमने तकनीकी सहयोग पर भी कोई बड़ी प्रगति नहीं देखी. और तो और पीएम मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन को लाइव TV पर नसीहत दे दी थी. उन्होंने, कहा युद्ध के मैदान से समाधान नहीं निकल सकते.

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पीएम मोदी ने जंग में बच्चों की मौत पर भी गहरी चिंता व्यक्त की और संवेदना जतायी जो कि कीव में बच्चों के अस्पताल पर रूस की बमबारी के संदर्भ में था जो कि मोदी के मॉस्को पहुंचने से ठीक पहले किया गया.

भारत की प्रतिक्रिया

अमेरिका की तरफ़ से पीएम मोदी के दौरे की आलोचना करने वाले आए बयानों को भारत का विदेश मंत्रालय सिरे से खारिज़ कर चुका है. भारत का तर्क साफ़ है कि भारत सरकार अपने देश और नागरिकों के हित में फ़ैसले लेने को स्वतंत्र है. भारत और रूस की दोस्ती बहुत पुरानी है और वो उसे नहीं छोड़ने वाला. जहां तक यूक्रेन-रूस युद्ध की बात है तो भारत लगातार बातचीत और कूटनीति के ज़रिए मसले को सुलझाने का पक्षधर रहा है. रूस के राष्ट्रपति पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की को पीएम मोदी बार बार ये कहते भी रहे हैं. ऐसे में अमेरिकी आलोचना उसकी अपनी हित साधना से जुड़ा है.

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