मध्य प्रदेश के सतना में इस्तेमाल की गई PPE किट फिर से बाजार में बेचने का मामला आया सामने

बड़खेरा के इंडो वाटर बायो वेस्ट डिस्पोजल प्लांट का संचालन वर्ष 2006-07 से हो रहा है. यहां इन दिनों विन्ध्य क्षेत्र के अलावा लगभग एक दर्जन जिलों से मेडिकल वेस्ट मंगाकर कथित रूप से डिस्पोज का काम किया जाता है.

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कर्मचारी पीपीई किट को गर्म पानी से धोकर बाकायदा अलग बंडल बनाकर रख देते थे. (फाइल फोटो)
सतना:

कोरोनाकाल (Corona era) में लोग आपदा (Disaster) को अपना अवसर बनाते हुए लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ करने में लगे हुए हैं. महाराष्ट्र (Maharashtra) में बेहद गंदे तरीके से कोरोना टेस्ट किट (Corona Test Kit) बनाने की तस्वीरों के बाद अब मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के सतना में इस्तेमाल की हुई PPE किट गर्म पानी में धोकर फिर से बाजार में बेचने का मामला सामने आया है. कोरोना गाइडलाइन (Corona Guideline) के मुताबिक, इस्तेमाल किये गए पीपीई किट, ग्लव्स और मास्क को वैज्ञानिक तरीके से नष्ट करने के लिए सतना में बड़खेरा के इस इंडो वॉटर बायो वेस्ट डिस्पोजल प्लांट में भेजा जाता है. लेकिन इस वीडियो से ऐसा पता लगा है कि कर्मचारी पीपीई किट को गर्म पानी से धोकर बाकायदा अलग बंडल बनाकर रख देते थे, इसे नये सिरे से पैक कर बाजार में बेचने के लिए तैयार किया जा रहा है.

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सतना एसडीएम राजेश शाही ने कहा, बड़खेरा गांव में प्रदूषण विभाग की टीम भेजी गई है, उन्होंने जांच कर ली है, देखा जाएगा वो कहां भेज रहे थे.' वैसे सतना सीएचएमओ ने पिछले साल नवंबर में कंपनी पर गंभीर आरोप लगाते हुए ख़त लिखा था. लेकिन फिलहाल प्रशासन को प्रदूषण बोर्ड की रिपोर्ट का इंतज़ार है. राजेश शाही ने कहा, "पहले पता तो लगा कौन दोषी है, प्रथम दृष्टया ये नहीं पता कि किसने बेचा किसने खरीदा ये जांच का विषय है."

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बड़खेरा के इंडो वाटर बायो वेस्ट डिस्पोजल प्लांट का संचालन वर्ष 2006-07 से हो रहा है. यहां इन दिनों विन्ध्य क्षेत्र के अलावा लगभग एक दर्जन जिलों से मेडिकल वेस्ट मंगाकर कथित रूप से डिस्पोज का काम किया जाता है. गांववालों का ये भी आरोप है कि प्लांट में मेडिकल वेस्ट को गलाने का काम पीसीबी की गाइडलाइन से नहीं हो रहा है, जिससे पूरे गांव में बदबू फैलती है. सूत्रों के मुताबिक प्लांट संचालक रीवा, पन्ना, दमोह, सतना, सीधी तथा सिंगरौली जिले के अलावा कुछ जिलों से मेडिकल वेस्ट गाड़ियों में मंगवाते हैं. इन्हीं जगहों पर धुली हुई पीपीई किट भेजे जाने की आशंका है. चूंकि उपयोग की गई किट काटी नहीं जाती लिहाजा नाजायज फायदा उठाया जा रहा है.

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