देशभर में कई बिजली घरों में फिर से कोयला संकट गहरा गया है, जिससे बिजली संकट पैदा होने लगा है. सेंट्रेल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी की दैनिक कोयला स्टॉक रिपोर्ट की बात करें तो 28 अप्रैल 2022 को देश के कुल 165 थर्मल पावर प्लांट में से 54 (32.72%) के पास मानक स्टॉक मानदंडों की तुलना में 10 प्रतिशत या उससे कम का कोयला स्टॉक बचा था. इसी के चलते बिजली संकट का सामना भी करना पड़ा. इस बीच ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे से एनडीटीवी ने खास बातचीत की.
शैलेंद्र दुबे ने कहा कि अप्रैल महीने में कोयला और बिजली संकट के बाद मई महीने में भी कोयले का संकट बना हुआ है. डोमेस्टिक Coal से चलने वाले 88 बिजली घरों के पास कोयले का स्टॉक क्रिटिकल है, यानी नॉर्मेटिव स्टॉक के मुकाबले 25% से कम है. इंपोर्टेड कॉल से चलने वाले 18 बिजली घरों में से 12 के पास क्रिटिकल स्टॉक से कम कोयला है यानी 25 फ़ीसदी से कम और 8 बिजली घरों के पास कोयला ना होने की वजह से वह बंद पड़े हैं. गर्मी कुछ कम होने की वजह से बिजली की मांग कम हुई है, लेकिन बड़ी संख्या में बिजली घरों में कोयले का संकट बना हुआ है.
उन्होंने कहा कि देश में कुल पावर प्रोडक्शन की क्षमता 399461 मेगावाट है, लेकिन 3 दिन पहले सबसे ज्यादा दो लाख सात हजार के करीब मेगावाट बिजली की डिमांड पूरी की गई... यानी देश में जो बिजली का उत्पादन है, वह क्षमता के करीब आधी है. 34 ऐसे ताप बिजलीघर हैं, जिनकी क्षमता 40000 मेगावाट बिजली पैदा करने की है जिन पर एक लाख 74 हजार के करीब करीब निवेश हुआ है, लेकिन उन पर दबाव है, क्योंकि उनेके पास ईंधन नहीं है और कुछ महंगी बिजली की वजह से पावर परचेज एग्रीमेंट नहीं कर पा रहे हैं, इसलिए बंद पड़े हैं.
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