शरद पवार को फिर लगा बड़ा झटका, अजित पवार गुट ने जीता मालेगांव सहकारी चीनी मिल चुनाव

पावर के गढ़ बारामती में फिर एक बार पावर परिवार सामने सामने था. इस बार चुनाव मालेगांव सहकारी चीनी मिल का था. 40 साल के बाद अजीत पावर खुद चुनाव लड़े और जीत गए.

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शरद पवार को फिर लगा बड़ा झटका, अजित पवार गुट ने जीता मालेगांव सहकारी चीनी मिल चुनाव
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  • मालेगांव सहकारी चीनी मिल के चुनाव में अजित पवार ने जीत दर्ज की।
  • अजित पवार के पैनल ने 21 में से 20 सीटें जीतीं।
  • शरद पवार के सभी उम्मीदवार चुनाव हार गए।
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बारामती:

महाराष्ट्र में चाचा-भतीजा फिर एक बार आमने- सामने आए. इस बार मालेगांव सहकारी चीनी मिल के चुनावों में दोनों भिड़े. उपमुख्यमंत्री अजित पवार के 'नीलकंठेश्वर पैनल' ने शरद पवार के 'बलिराजा' पैनल को करारी शिकस्त दी है. 21 सीटों पर चुनाव में अजित पवार के 20 उम्मीदवार जीत गए, जबकि शरद पवार के सभी उम्मीदवार हार गए. ये शरद पवार के लिए उनके गढ़ बारामती में एक बड़ा झटका है.

पावर के गढ़ बारामती में फिर एक बार पावर परिवार सामने सामने था. इस बार चुनाव मालेगांव सहकारी चीनी मिल का था. 40 साल के बाद अजीत पावर खुद चुनाव लड़े और जीत गए. मिलन की संभावनाओं को खटाई में डालते हुए चाचा शरद पावर की एनसीपी के नेतृत्व वाला “बलिराजा सहकारी” पैनल भी चुनावी मैदान में था. लेकिन भतीजे अजीत पवार ने करारी शिकस्त दे दी.

अजित पवार के पैनल ने बड़ी जीत दर्ज करते हुए 21 में से 20 सीटें जीत ली तो वहीं शरद पवार के सभी उम्मीदवार हार गए. इस चुनाव में 90 उम्मीदवार खड़े रहे और 19,600 मतदाता थे. ये सहकारी संस्था कई संस्थान चलाती है जिससे लाखों लोगों को सीधे प्रभावित करती है. बीजेपी नेता के नेतृत्व का पैनल अगर हावी पड़ता तो पवार परिवार को गृहक्षेत्र में बड़ी दिक्कत होती. बारामती की राजनीति को बीजेपी के नियंत्रण से दूर रखने के लिए अजीत पवार मैदान में उतरे.

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महाराष्ट्र की राजनीति में सहकारी चीनी मिलों की बड़ी भूमिका रही है. चीनी मिल के बोर्ड चुनाव के नतीजे प्रदेश की राजनीति में धमक को बताने के लिए काफी होते थे. एक समय में बारामती में इन बोर्ड पर शरद पवार परिवार का ही कब्जा रहता था, फूट के बाद इस बार सहकारी चीनी मिल का बोर्ड चुनाव खास रहा. इतना खास की मालेगांव शुगर फैक्ट्री के चुनाव प्रचार के दौरान अजित पवार ने फैक्ट्री को 500 करोड़ रुपए की आर्थिक मदद देने का वादा किया था,15 रैलियां की, जिसका असर मतदान में देखने को मिला.

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