Sharad Pawar on Ajit Pawar's return : महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और एनसीपी अध्यक्ष अजित पवार को आज एक साथ दो झटके लगे. एक झटका चाचा शरद पवार ने दिया तो दूसरा भाजपा की मातृ संस्था स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ी पत्रिका ने दे दिया. महाराष्ट्र के पिंपरी चिंचवड नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के चार बड़े नेताओं ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. इनमें पिंपरी-चिंचवड़ के एनसीपी के चीफ अजित गव्हाणे, पिंपरी चिंचवड़ छात्र विंग के प्रमुख यश साने, पूर्व नगरसेवकराहुल भोसले और पंकज भालेकर शामिल हैं. यह इस्तीफा ऐसे समय में आया है जब चर्चा है कि अजित पवार खेमे के कुछ नेता शरद पवार के पाले में लौटने के इच्छुक हैं.
क्यों छोड़ गए
करीब 20 पूर्व पार्षदों ने भी विधानसभा चुनाव से पहले अजित पवार का साथ छोड़ दिया था. दरअसल, पिंपरी चिंचवड़ की विधानसभा सीट फिलहाल बीजेपी के पास है और गठबंधन में ये सीट अजीत पवार की पार्टी को मिलने के आसार कम हैं. इसी कारण अजित पवार के खासमखास ने शरद पवार के साथ जाने का फैसला किया.
शरद पवार ने क्या कह दिया
हालांकि, इस बीच अजित पवार को लेकर शरद पवार का रुख नरम पड़ता दिख रहा है. शरद पवार ने इस सिलसिले में एक बड़ा बयान दिया है और कहा है कि अगर अजित पवार को पार्टी में वापस लेना है तो वह अपने नेताओं से इस बारे में चर्चा करेंगे. शरद पवार ने कहा कि उनकी पार्टी टूटी है, लेकिन परिवार नहीं. लोकसभा चुनाव से पहले शरद पवार ने एनडीटीवी को दिए इंटरव्यू में कहा था की 2019 में अजित पवार को वापस पार्टी में लेना एक गलती थी और अब फिर कभी उन्हें वापस नहीं लिया जाएगा... लेकिन अब शरद पवार के सुर फिर एक बार बदले बदले नजर आ रहे हैं.
आरएसएस ने क्या कहा
अजित पवार को दूसरा झटका संघ से जुड़ी एक पत्रिका में छपे लेख ने दिया. इस लेख में कहा गया है कि अजित पवार को साथ लेना लोकसभा चुनाव में भाजपा को महंगा पड़ गया. भाजपा कार्यकर्ताओं से जब सवाल किया जाता है कि लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार की वजह क्या है तो वो अजित पवार के साथ गठबंधन से ही आरोपों की शुरुआत करते हैं. पत्रिका से जुड़े संघ विचारक का कहना है कि ये विचार लेखक के हैं. किस दल से गठबंधन करना है किससे नहीं...यह अधिकार पार्टी का है.
सुप्रिया सुले ने उठाए सवाल
इस लेख पर फिलहाल भाजपा और एनसीपी से जुड़े प्रवक्ताओं ने चुप्पी साध रखी है, लेकिन शरद पवार की पार्टी की नेता और लोकसभा सांसद सुप्रिया सुले ने इस पर भाजपा से जवाब मांगा है.ये कोई पहला मौका नहीं है जब संघ कि किसी पत्रिका ने अजीत पवार को निशाने पर लिया हो. इससे पहले लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद संघ से जुड़ी पत्रिका ऑर्गनाइजर ने भी कहा था कि अजित पवार को साथ लेने से भाजपा को नुकसान हुआ है. ऐसे में सवाल यह है कि विधानसभा चुनाव से पहले क्या भाजपा अजीत पवार के साथ गठजोड़ पर फिर से विचार करेगी?