एक बड़े राजनीतिक घटनाक्रम के तहत राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के वरिष्ठ नेता अजित पवार ने रविवार को एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार में उपमुख्यमंत्री पद की, जबकि पार्टी के आठ अन्य नेताओं ने मंत्री पद की शपथ ली. इसके साथ ही शरद पवार की पार्टी में एक बड़ी टूट देखने को मिली है. हालांकि इससे पहले भी साल 2019 में उनकी पार्टी में विद्रोह देखने को मिला था. उस समय भी कुछ विधायकों को साथ लेकर अजित पवार ने विद्रोह कर दी थी. हालांकि बाद में अजित पवार ने घर वापसी कर ली थी और वो विद्रोह टल गया था.
क्या था पूरा घटनाक्रम?
वर्ष 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के बाद, उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने अपने सहयोगी दल भाजपा के साथ संबंध तोड़ लिए थे. बाद में, राजभवन में एक समारोह में फडणवीस और अजित पवार ने क्रमश: मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, लेकिन उनकी सरकार केवल 80 घंटे तक चली थी. इसके बाद ठाकरे ने एमवीए सरकार बनाने के लिए राकांपा और कांग्रेस के साथ हाथ मिला लिया था. पिछले साल जून में, शिंदे के नेतृत्व में विद्रोह के कारण शिवसेना में विभाजन हो गया था और एमवीए सरकार गिर गई थी, जिसके बाद शिंदे भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री बने थे.
एनसीपी में टूट के पीछे क्या कारण बताया गया है?
सूत्रों ने बताया कि पटना में हाल में हुई विपक्ष की बैठक में राकांपा अध्यक्ष शरद पवार और पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले की मौजूदगी से अजित पवार और उनके समर्थक खफा थे जिसके बाद पार्टी में एक बड़ी टूट हुई है.
राज्य में विधानसभा चुनाव अगले साल प्रस्तावित है
यह राजनीतिक घटनाक्रम शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना (तब अविभाजित) के खिलाफ विद्रोह के एक साल बाद सामने हुआ है, जिसके कारण महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार गिर गई थी.
ये भी पढ़ें-