अजित पवार की बगावत के बाद एक तरफ शरद पवार एनसीपी पार्टी को फिर से मजबूत करने के लिए राज्य के दौरे पर हैं. वहीं, दूसरी तरफ अजित पवार ने भी अपने साथियों के साथ एनसीपी पार्टी को नए सिरे से संगठित करने का अभियान शुरू कर दिया है.
इसके लिए उप मुख्यमंत्री अजित पवार, राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल सहित राज्य के पार्टी नेताओं को राज्य के 36 जिलों में पार्टी और संगठन विस्तार की जिम्मेदारी दी गई है.
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पिछले महीने महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा फेरबदल
पिछले महीने महाराष्ट्र में राजनीतिक घटनाक्रम में अजित पवार ने शिवसेना-भाजपा सरकार में उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली. अजित के समर्थक एनसीपी के आठ विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली.
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दरअसल, शनिवार को पुणे में एक कारोबारी के घर पर शरद पवार और उनके भतीजे अजित पवार के बीच हुई बैठक ने राजनीतिक हलकों में हलचल पैदा कर दी है. क्या अजित पवार ने बैठक के दौरान शरद पवार को कोई ऑफर दिया था? इस सवाल के जवाब में राउत ने कहा, "अजित पवार इतने बड़े कब हो गए कि शरद पवार को ऑफर दें." राउत ने कहा, "यह शरद पवार ही हैं, जिन्होंने अजित पवार को बनाया. शरद पवार चार बार राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं और कई बार केंद्रीय मंत्री रहे हैं."
सामना में छपा था शरद पवार पर एडिटोरियल
संजय राउत का बयान शिवसेना (यूबीटी) के मुखपत्र 'सामना' में छपे एक एडिटोरियल के कुछ दिनों बाद आया. इसमें कहा गया है कि शरद पवार और उनके भतीजे के बीच लगातार बैठकें एनसीपी संस्थापक की छवि को खराब कर रही हैं. मराठी दैनिक ने यह भी कहा कि यह देखना दिलचस्प है कि अजित पवार अक्सर अपने चाचा से मिल रहे हैं और चाचा भी इससे परहेज नहीं कर रहे हैं.
पिछले महीने पुणे में बैठक के बाद, शरद पवार और उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने इसे तवज्जो न देते हुए कहा था कि यह एक गुप्त बैठक नहीं थी. अजित पवार के नेतृत्व वाले एनसीपी का विद्रोही खेमा वरिष्ठ पवार से उन्हें आशीर्वाद देने का आग्रह कर रहा है.
मंगलवार को अपने गृह नगर बारामती में बोलते हुए शरद पवार ने कहा कि पार्टी में कुछ लोगों ने अलग रास्ता अपनाया है, लेकिन "एक बार जब उन्हें स्थिति का एहसास होगा, तो उनका रुख बदल सकता है." उन्होंने एक सभा में कहा, "चाहे वे अपना रुख बदलें या न बदलें, हम अपने चुने हुए रास्ते से नहीं हटेंगे."