जाना था अमेरिका, पहुंच गए रूस... 225 यात्रियों के साथ एयर इंडिया के विमान को निकालने में क्यों आ रही है दिक्कत?

भारत की रूस में बड़ी राजनयिक मौजूदगी है, लेकिन क्रास्नोयार्स्क में कोई भारतीय वाणिज्य दूतावास नहीं है. ऐसे में सीधे सरकार औपचारिक और अनौपचारिक रूप से मंजूरी में मदद करने के लिए कदम उठाती है.

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नई दिल्ली:

दिल्ली से सैन फ्रांसिस्को जा रहे एअर इंडिया के एक विमान को गुरुवार रात तकनीकी दिक्कत के चलते रूस के क्रास्नोयार्स्क अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (KJA) पर उतारा गया. उड़ान संख्या AI183 को कॉकपिट क्रू द्वारा कार्गो होल्ड एरिया में संभावित समस्या का पता चलने के बाद क्रास्नोयार्स्क की तरफ मोड़ दिया गया. विमान में 225 यात्रियों के साथ उड़ान चालक दल के 19 सदस्य सवार थे. अब उन्हें वहां से निकालने की कोशिशें की जा रही हैं. हालांकि इस प्रक्रिया में काफी मुश्किलें भी आ रही हैं.

एयर इंडिया ने अपने एक दूसरे ट्वीट में कहा, "क्रास्नोयार्स्क अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे में एयर इंडिया का कोई अपना स्टाफ नहीं है, इसलिए हम यात्रियों को सभी जरूरी सहायता देने के लिए थर्ड पार्टी की व्यवस्था कर रहे हैं. एयर इंडिया लगातार सरकारी एजेंसियों के साथ भी संपर्क में है. हम सभी यात्रियों और कर्मचारियों के बारे में चिंतित हैं. हम उन्हें जल्द से जल्द क्रास्नोयार्स्क (KJA) से सैन फ्रांसिस्को ले जाने के लिए एक फ़ेरी फ्लाइट की व्यवस्था कर रहे हैं."

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हालांकि एयरलाइंस के इस दावे को लेकर यात्रियों में नाराजगी है. केवी कृष्णा राव नाम के एक यात्री ने सोशल मीडिया पर लिखा कि हम एयरपोर्ट पर फंसे हुए हैं. हमें कोई सुविधा नहीं मिल रही है. हमारे पास खाना भी नहीं है और ना ही हमें कोई अपडेट दिया जा रहा है.

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वहीं एक अन्य पैसेंजर की परिजन प्राची जैन ने कहा कि रूस में फंसे यात्रियों के लिए पानी और खाने की कोई व्यवस्था नहीं है. यात्री घंटों से पानी और खाने का इंतजार कर रहे हैं. मेरे माता-पिता का कहना है कि बारिश में भीगने के कारण उन्हें ठंड लग रही है. वे भूखे हैं और कोई उन्हें पूछने वाला नहीं है.

एक अन्य परिजन मयंक गुप्ता ने कहा, 'मेरी मां बीमार है और उनका सामान और दवाएं फ्लाइट में है. 70 साल से अधिक उम्र के लोगों के साथ इस तरह का व्यवहार ठीक नहीं है. मुझे बहुत दुख हो रहा है और गुस्सा भी आ रहा है.'

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एक साल में दूसरी बार एयर इंडिया की रूस में इमरजेंसी लैंडिंग
पिछले एक साल में ये दूसरी बार है जब एयर इंडिया के विमान को रूस में इमरजेंसी लैंडिंग करानी पड़ी है. पिछले साल जून में दिल्ली से सैन फ्रांसिस्को जाने वाली एयर इंडिया के विमान AI195 को रूस के मगदान एयरपोर्ट पर आपात लैंडिंग करानी पड़ी थी. इस फ्लाइट में 16 क्रू मेंबर्स के साथ 216 यात्री सवार थे. ये सभी लगभग 40 घंटों तक वहां फंसे रहे थे. जिसके बाद एक फेरी फ्लाइट के जरिए इन्हें सैन फ्रांसिस्को भेजा गया था.

फ्लाइट के रूट में बदलाव सामान्य घटना है. विभिन्न उड़ानें हर दिन विमान में चिकित्सा आपात स्थिति, तकनीकी समस्याओं, गंतव्य पर मौसम, हवाई अड्डे के बंद होने या खतरों जैसे कारणों से डायवर्ट होती हैं. अधिकांश एयरलाइनों के पास शेड्यूल में बदलाव और ऐसी आपात स्थिति से निपटने के लिए एक निर्धारित प्रक्रिया होती है. जहां एयरलाइन का अपना परिचालन नहीं है वहां वो यात्रियों की सुविधा के लिए स्थानीय ग्राउंड हैंडलिंग एजेंसियों की मदद लेती है.

इसके अलावा, टर्मिनल के बाहर यात्रियों के लिए रुकना स्थानीय अधिकारियों की इच्छा और नियम के मुताबिक होता है क्योंकि ये अन्य चीजों के अलावा वीजा और इंट्री परमिट से जुड़ा होता है. इस मामले में यूरोपीय संघ के देश अपेक्षाकृत अधिक सख्त हैं. एयर इंडिया और अन्य एयरलाइंस द्वारा भारत के लिए नॉन स्टॉप उड़ान भरने के साथ ऐसा अतीत में देखा गया है.

रूस में विमान की इमरजेंसी लैंडिंग एक चुनौती क्यों है?
2022 की शुरुआत में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से, विमानन सहित कई क्षेत्रों में रूस पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. पश्चिमी विमान रूसी हवाई क्षेत्र के ऊपर से उड़ान नहीं भरते हैं, जबकि एयर इंडिया, अमीरात और तुर्की जैसे मुट्ठी भर एयरलाइंस रूस के ऊपर से उड़ान भरते रहते हैं, जो अंतरमहाद्वीपीय उड़ानों के लिए एक छोटा और अधिक किफायती मार्ग है.

चुनौती तब सामने आती है जब इसमें कोई बदलाव होता है, खासकर प्रतिबंधों के कारण. ऐसे मामलों में लेसर (Lessor) को इसके लिए सहमत होना होगा, जिसमें कागजी कार्रवाई भी शामिल है. साथ ही इंश्योरेंस प्रोवाइडरों को भी इसके लिए सहमत होना होगा, जिसमें फिर से कागजी कार्रवाई शामिल है. ऐसा ये सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि बीमाकर्ता या पट्टेदार प्रतिबंधों का उल्लंघन न करें, जिससे उनका व्यवसाय खतरे में पड़ सकता है.

एयर इंडिया का निजीकरण किया जा सकता है, लेकिन एयरलाइन, अन्य सभी की तरह, ऐसे मामलों में विदेश मंत्रालय के साथ क्लोज कोऑर्डिनेटशन में काम करती है, जिसमें मदद लेने, मंजूरी में तेजी लाने और जहां जरूरी हो, वहां सहायता प्रदान करने के लिए विदेश में लोकल प्रशासन के साथ समन्वय की जरूरत होती है.

भले ही भारत की रूस में बड़ी राजनयिक मौजूदगी है, लेकिन क्रास्नोयार्स्क में कोई भारतीय वाणिज्य दूतावास नहीं है. ऐसे में सरकार औपचारिक और अनौपचारिक रूप से मंजूरी में मदद करने के लिए कदम उठाती है.

क्रू को तो सुविधा दी जाती है, लेकिन यात्रियों को नहीं!
संचालन दल के पास एक सामान्य डेक्लेरेशन होती है, जो ड्यूटी के दौरान प्रवेश और निकास का ख्याल रखती है. ये कुछ देशों को छोड़कर विश्व स्तर पर अपनाई जाने वाली एक मानक प्रथा है. ये यात्रियों के विपरीत, चालक दल को वैध वीज़ा के बिना देश में प्रवेश करने की अनुमति देता है. अनियमित संचालन के मामलों में, इस बात पर अनिश्चितता बनी रहती है कि अगला प्रस्थान कब होगा और क्या वही दल संचालन करेगा. ये सुनिश्चित करने के लिए कि वे नियामक की न्यूनतम जरूरतों को बनाए रखें, आमतौर पर चालक दल को सबसे पहले आवास उपलब्ध कराया जाता है.

यात्रियों के लिए, इसमें राजनयिक मदद की जरूरत होती है, जिसमें विमान पर राष्ट्रीयताओं की जांच करना और मेजबान देश (इस मामले में, रूस) द्वारा निर्णय लेना शामिल है कि वे इन मामलों को कैसे संभालना चाहते हैं. सैन फ़्रांसिस्को जाने वाली उड़ान में निश्चित रूप से भारतीय की तुलना में अधिक दूसरे देश के लोग होंगे और दुनिया के साथ रूस के संबंध अभी सबसे अच्छे नहीं हैं. हालांकि, क्रास्नोयार्स्क में मगाडम की तुलना में बेहतर सुविधाएं हैं.

पिछले साल की घटना निश्चित रूप से एयर इंडिया के लिए एक सीख रही है. पिछली बार विमान को रूस से ले जाने में दो दिन लग गए थे. हालांकि इस बार संकेत मिल रहे हैं कि ये एक दिन में किया जा सकता है.

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