वायु सेना (Airforce) ने उत्तराखंड (Uttarakhand) के लमखागा पास में 17,000 फीट की ऊंचाई पर बड़े पैमाने पर बचाव अभियान (Rescue Operation) शुरू किया है. जहां 18 अक्टूबर को भारी बर्फबारी और खराब मौसम के कारण 17 पर्यटकों, पोर्टर्स और गाइड सहित 17 ट्रेकर्स रास्ता भटक गए थे. लमखागा पास की ओर जाने वाले क्षेत्र से अब तक 11 शव बरामद किए गए हैं. यह हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले को उत्तराखंड के हरसिल से जोड़ने वाले सबसे खतरनाक पास में से एक है.
बता दें कि भारतीय वायु सेना ने 20 अक्टूबर को अधिकारियों द्वारा किए गए एक एसओएस कॉल के बाद एक्शन शुरू किया. साथ ही पर्यटक हिल स्टेशन हरसिल तक पहुंचने के लिए दो एएलएच हेलीकॉप्टर तैनात किए हैं. 20 अक्टूबर को राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) के तीन कर्मियों के साथ एएलएच हेलीकॉप्टर पर दोपहर में 19,500 फीट की ऊंचाई पर राहत बचाव कार्य शुरू किया गया।
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अगले दिन एएलएच ने सुबह होते ही एसडीआर टीम के साथ उड़ान भरी. जिन्होंने दो बचाव स्थलों का पता लगाया. बचाव दल ने 15,700 फीट की ऊंचाई पर चार शवों का पता लगाया. फिर हेलीकॉप्टर दूसरे स्थान पर पहुंचा और 16,800 फीट की ऊंचाई पर एक जीवित व्यक्ति को बचाया, जो हिलने-डुलने में असमर्थ था. 22 अक्टूबर को हेलीकॉप्टर ने भोर में उड़ान भरी. प्रतिकूल इलाके और तेज हवा के बावजूद दल ने 16,500 फीट की ऊंचाई से एक व्यक्ति को बचाया और पांच शवों को वापस लाने में कामयाबी हासिल की.
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डोगरा स्काउट्स, चार असम और दो आईटीबीपी टीमों के संयुक्त गश्त करते हुए दो और शवों का पता लगाया और उन्हें निथल थाच शिविर में भेजा. वहीं अब शनिवार को एएलएच दल शेष लापता लोगों का पता लगाने और उन्हें बचाने के लिए तलाशी अभियान चलाएगा. रेस्क्यू टीम ने शवों को स्थानीय पुलिस को सौंपा और घायलों को हरसिल में प्राथमिक उपचार देने के बाद उत्तरकाशी के जिला अस्पताल में भेजा.
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