केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जे पी नड्डा ने वर्ष 2030 तक एड्स के खात्मे के सतत विकास लक्ष्य के प्रति भारत की तेज प्रगति का ब्योरा देते हुए रविवार को बताया कि देश में एड्स से जुड़ी मौतों में 79 प्रतिशत की कमी आई है, जबकि इस बीमारी के नये मामले 44 फीसद घटे हैं.
नड्डा ने विश्व एड्स दिवस पर इंदौर में आयोजित राष्ट्रीय कार्यक्रम में सरकारी आंकड़ों के हवाले से बताया कि देश में फिलहाल करीब 17.30 लाख लोग एड्स के साथ जी रहे हैं. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वर्ष 2030 तक एड्स को जड़ से मिटाने को लेकर संयुक्त राष्ट्र का सतत विकास लक्ष्य हासिल करने के लिए भारत सरकार प्रतिबद्ध है.
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि भारत सरकार ने 2030 तक एड्स के खात्मे के लक्ष्य के मद्देनजर ‘‘95-95-95'‘ का फॉर्मूला तय किया है, यानी देश के 95 प्रतिशत मरीजों को पता होना चाहिए कि वे एचआईवी से संक्रमित हैं, 95 प्रतिशत मरीजों को इलाज मिलना चाहिए और एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी की दवाओं के जरिये 95 प्रतिशत मरीजों का ‘‘वायरल लोड'' घटाया जाना चाहिए.
उन्होंने बताया कि वर्ष 2023 के दौरान देश में एड्स के नये संक्रमणों में 44 प्रतिशत की कमी आई है और एड्स से जुड़ी मौतें 79 प्रतिशत घटी हैं. नड्डा ने यह भी बताया कि फिलहाल 0.70 प्रतिशत वैश्विक आबादी में एड्स का प्रसार है, जबकि भारत में यह 0.20 फीसद के स्तर पर है. उन्होंने कहा कि एड्स के खिलाफ देश की लम्बी लड़ाई के बाद इस बीमारी के खिलाफ मजबूत चिकित्सा तंत्र विकसित किया गया है.
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार मरीजों को एड्स की दवा मुफ्त में दे रही है और किसी मरीज के एचआईवी संक्रमित पाए जाते ही उसे दवा दिए जाने का प्रावधान किया गया है. नड्डा ने यह भी बताया कि भारतीय दवा कंपनियां अफ्रीका, दक्षिण अफ्रीका और लैटिन अमेरिका को एड्स की सबसे सस्ती और प्रभावी दवाओं की आपूर्ति कर रही हैं.
नड्डा ने विश्व एड्स दिवस पर लोगों से अपील की कि वे वर्जनाओं को छोड़ें और एड्स के साथ जी रहे लोगों के प्रति संवेदनशील रवैया अख्तियार करते हुए उनके मानवाधिकारों और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करें. उन्होंने कहा कि नियम-कानूनों के तहत यह भी सुनिश्चित किया जाए कि रोजगार और अन्य क्षेत्रों में एचआईवी संक्रमितों के साथ कोई भी भेदभाव न हो. कार्यक्रम में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव भी मौजूद थे.