AIADMK में वर्चस्व की जंग, हाईकोर्ट में आज टीम OPS के दावों पर जवाब दाखिल करेगी टीम EPS

ओपीएस दिवंगत जयललिता की पसंद रहे हैं. दो बार उन्हें स्टैंड-इन चीफ मिनिस्टर बनने का मौका मिला था, जब, जयललिता को दोषी करार होने पर पद छोड़ना पड़ा था. जयललिता के निधन से ठीक पहले उन्होंने तीसरी बार राज्य की कमान संभाली थी.

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पूर्व मुख्यमंत्री ओपीएस चाहते हैं कि AIADMK में मौजूदा दोहरा नेतृत्व जारी रहे.
चेन्नई:

AIADMK Leadership Tussle: तमिलनाडु (Tamilnadu) की मुख्य विपक्षी पार्टी ऑल इंडिया द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) में वर्चस्व की लड़ाई जारी  है. इसी बीच मद्रास हाईकोर्ट AIADMK के कॉर्डिनेटर और पूर्व मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम (OPS) द्वारा दायर एक याचिका पर आज सुनवाई जारी रखेगा. ओपीएस ने अपने प्रतिद्वंद्वी एडप्पादी पलानीस्वामी (EPS) को औपचारिक रूप से अंतरिम महासचिव के रूप में ताजपोशी के लिए सोमवार (11 जुलाई) को बुलाई गई पार्टी की आम परिषद की बैठक को रोकने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.

कोर्ट ने ओपीएस, ईपीएस के वकील और एक अन्य याचिकाकर्ता की दलीलें सुनने के बाद ईपीएस के वकील को आज अपना काउंटर दाखिल करने को कहा है.

हालांकि, बुधवार (6 जुलाई) को सुप्रीम कोर्ट ने टीम ईपीएस को कानून का पालन करते हुए बैठक को आगे बढ़ाने की अनुमति दी थी, जबकि टीम ओपीएस ने तर्क दिया था कि बैठक का संचालन तकनीकी रूप से अवैध है और अमान्य है. उनके वकील ने दावा किया था कि पार्टी नियमों के अनुसार, केवल कॉर्डिनेटर और ज्वाइंट कॉर्डिनेटर ही पार्टी की आम परिषद की बैठक बुला सकते हैं, लेकिन इस मामले में "गैर-मौजूद मुख्यालय के पदाधिकारियों के लेटरहेड" पर छपे निमंत्रण पत्र पर किसी के हस्ताक्षर नहीं किए गए हैं. इसके साथ ही कहा गया है कि पार्टी नियमों के मुताबिक किसी कारण से कॉर्डिनेटर और ज्वाइंट कॉर्डिनेटर के पद रिक्त होने की स्थिति में, कोषाध्यक्ष (इस मामले में ओपीएस) सहित उनके द्वारा नियुक्त पदाधिकारी, मुख्यालय सचिव (इस मामले में ईपीएस) और कार्यकारी समिति बैठक बुला सकती है लेकिन, बैठक के आमंत्रण में इनमें से किसी भी नाम का उल्लेख नहीं है.

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सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई मंजूरी के बावजूद बैठक को रोकने के खिलाफ जोरदार तर्क देते हुए, ईपीएस के वकील ने दावा किया कि पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता की मृत्यु के बाद पार्टी ने वीके शशिकला को पार्टी के अंतरिम महासचिव के रूप में नियुक्त करने के लिए उसी प्रणाली का पालन किया था; बाद में दोनों को दोहरे नेतृत्व मॉडल के हिस्से के रूप में नियुक्त करने के लिए भी उसी प्रणाली का इस्तेमाल हुआ था. बैठक के एजेंडे के संबंध में भी उन्होंने स्पष्ट किया कि वर्तमान में पार्टी में चल रहे दोहरे नेतृत्व को समाप्त कर एक अंतरिम महासचिव की नियुक्त की जाएगी, जो आंतरिक चुनाव होने तक प्रभारी रहेंगे. इसके लिए पार्टी कानून में भी संशोधन किया जाएगा.

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23 जून की बैठक में पार्टी प्रमुख ओपीएस द्वारा स्वीकृत सभी 23 मसौदा प्रस्तावों को 'अस्वीकार' कर दिया गया था. उनमें से एक पिछले दिसंबर में दो नेताओं के चुनाव की पुष्टि करना था. इधर टीम ईपीएस का दावा है कि पार्टी में अब दोहरा नेतृत्व नहीं है.

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ईपीएस, जो पार्टी के आम परिषद में लगभग 2,000 से अधिक लोगों के समर्थन को लेकर आश्वस्त हैं, खुद को पार्टी के महासचिव और एक पावर सेंटर के रूप में देखना चाहते हैं, जबकि ओपीएस चाहते हैं कि मौजूदा दोहरा नेतृत्व जारी रहे.

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ओपीएस दिवंगत जयललिता की पसंद रहे हैं. दो बार उन्हें स्टैंड-इन चीफ मिनिस्टर बनने का मौका मिला था, जब, जयललिता को दोषी करार होने पर पद छोड़ना पड़ा था. जयललिता के निधन से ठीक पहले उन्होंने तीसरी बार राज्य की कमान संभाली थी.

हालांकि, जयललिता की मौत के बाद पार्टी की कमान संभालने वाली उनकी दोस्त शशिकला ने ओपीएस को सीएम पद से बेदखल कर दिया और आय से अधिक संपत्ति के मामले में (जिसमें जयललिता मुख्य आरोपी थीं) जेल जाने से पहले मुख्यमंत्री की कुर्सी पर ईपीएस को बैठा दिया. बाद में एक नाटकीय मोड़ में, दोनों नेताओं ने समझौता किया और शशिकला को ही AIADMK से निष्कासित कर दिया और दोहरे नेतृत्व पर सहमत होकर काम करने लगे.

अब टीम ईपीएस का कहना है कि इस मॉडल ने पार्टी में कोई भी निर्णय लेना मुश्किल बना दिया है. नतीजतन, पार्टी को लगातार तीन चुनावी हार का सामना करना पड़ा है.

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