अहमदाबाद (Ahmedabad Serial Blasts) में वर्ष 2008 में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में यहां की विशेष अदालत ने मंगलवार को 49 लोगों को दोषी करार दिया. इन धमाकों में कुल 56 लोगों की मौत हुई थी जबकि करीब 200 अन्य लोग घायल हुए थे. न्यायाधीश एआर पटेल ने गुजरात के सबसे बड़े शहर में हुए 21 सिलसिलेवार धमाकों में आरोपी 28 लोगों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया. अदालत ने कहा कि दोषियों की सजा की अवधि पर सुनवाई बुधवार को शुरू होगी. अदालत ने जिन लोगों को दोषी करार दिया है उनमें सफदर नागोरी, जावेद अहमद और अतीकुर रहमान भी शामिल हैं. निचली अदालत ने धमाकों के करीब 13 साल बाद फैसला सुनाया है और मामले में 77 अभियुक्तों के खिलाफ सुनवाई पिछले साल सितंबर में पूरी कर ली थी. विशेष लोक अभियोजक अमित पटेल ने बताया कि अदालत ने 49 अभियुक्तों को गैरकानूनी गतिविधि (निषेध) अधिनियम की धारा-16, जो आतंकवाद से जुड़ा है और अन्य प्रावधानों, भारतीय दंड संहिता की धारा-302 (हत्या), धारा-120बी (आपराधिक साजिश) के तहत दोषी करार दिया है।
उन्होंने कहा कि अभियोजन पक्ष ने जोर दिया कि यह आतंकवादी गतिविधि है और अदालत में मामले की सुनवाई के दौरान 547 अरोप पत्र दाखिल किए गए और 1,163 गवाहों को पेश किया गया. उन्होंने कहा, ‘‘अदालत ने 28 अभियुक्तों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है. फैसले को पढ़ने के बाद विस्तृत जानकारी मिलेगी जिसे उन्होंने अब तक नहीं देखा है.''
पटेल ने बताया कि बरी किए गए अभियुक्तों में मोहम्म्द इरफान, नासिर अहमद और शकील अहमद शामिल हैं। उन्होंने बताया कि मंगलवार को अदालत की कार्यवाही के दौरान अभियुक्तों को विभिन्न कारागारों से वीडियो कांफ्रेंस के जरिये पेश किया गया. विशेष लोक अभियोजक ने बताया कि सजा पर सुनवाई होने के दौरान भी अभियुक्त वीडियो कांफ्रेस के जरिये अदालत की कार्रवाई में शामिल होंगे.
अहमदाबाद में हुए धमाकों के तार प्रतिबंधित संगठन हिजबुल मुजाहिदीन (आईएम)से जुड़े हुए थे और दिसंबर 2009 में कुल 78 लोगों के खिलाफ सुनवाई शुरू हुई थी. बाद में एक आरोपी के सरकारी गवाह बन जाने के बाद कुल अभियुक्तों की संख्या 77 रह गई. वरिष्ठ सरकारी अधिवक्ता ने बताया कि चार आरोपियों की गिरफ्तारी बाद में हुई थी और उनके मामलों की सुनवाई अब भी पूरी होनी बाकी है.
उल्लेखनीय है कि 26 जुलाई 2008 में 70 मिनट के भीतर गुजरात के सबसे बड़े शहर अहमदाबाद में कुल 21 धमाकों में 56 लोगों की मौत हुई थी जबकि करीब 200 अन्य घायल हुए थे।
पुलिस ने दावा किया था कि हिजबुल मुजाहिदीन और, प्रतिबंधित स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के कट्टरपंथी धड़े से जुड़े लोग इन धमाकों में शामिल हैं.
पुलिस ने आरोप लगाया था कि हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादियों ने गोधरा की घटना के बाद 2002 में गुजरात में हुए सांप्रदायिक दंगों का बदला लेने के लिए इन धमाकों की योजना बनाई. इन दंगों में अल्पसंख्यक समुदाय के कई लोगों की मौत हुई थी.
अहमदाबाद में हुए सिलसिलेवार धमाकों के बाद पुलिस को सूरत के विभिन्न इलाकों में बम मिले थे जिसके बाद अहमदाबाद में 20 और सूरत में 15 प्राथमिकी दर्ज की गई थी.अदालत द्वारा सभी 35 प्राथमिकियों को एक साथ मिलाने के बाद मामले की सुनवाई हुई.
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