मुंबई स्थित टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान (टीआईएफआर) ने अपने कर्मचारियों को सोशल मीडिया पर सरकार विरोधी बयान नहीं देने का निर्देश देने संबंधी नोटिस जारी करने के कुछ दिन बाद शनिवार को कहा कि नोटिस की शब्दावली कुछ ऐसी थी कि उसका ‘‘गलत अर्थ'' निकाल लिया गया. परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) के तहत स्वायत्त संस्थान टीआईएफआर ने कहा कि संस्थान या सरकार की सार्वजनिक आलोचना करने से पहले अनुमति लेना हमेशा से अनिवार्य है.
संस्थान ने कहा कि उसके नोटिस में जिन नियमों का जिक्र किया गया है, वे पहले से अस्तित्व में हैं और नया पत्र केवल यह स्पष्ट करने के लिए भेजा गया था कि ये नियम सोशल मीडिया के साथ-साथ टेलीविजन जैसी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और प्रिंट मीडिया पर भी लागू होते हैं.
टीआईएफआर ने कहा कि उसने इस संबंध में डीएई के नोटिस के बाद कर्मचारियों को 13 अप्रैल को निर्देश दिए थे. टीआईएफआर ने कहा, ‘‘डीएई द्वारा जारी एक नोटिस के बाद टीआईएफआर के रजिस्ट्रार ने 13 अप्रैल, 2022 को संस्थान के सभी कर्मचारियों को एक नोटिस जारी किया था, जिसमें (1) संस्थान परिसर की तस्वीरें या वीडियो पोस्ट करने और (2) व्हाट्सऐप, फेसबुक जैसे सोशल मीडिया पोस्ट में सरकार विरोधी बयान देने पर प्रतिबंध लगाया गया था.''
संस्थान ने कहा कि रजिस्ट्रार के नोटिस में कर्मचारियों से अपने परिवार के सदस्यों को भी इसके बारे में सूचित करने का अनुरोध किया गया है. नोटिस में यह भी कहा गया है कि संस्थान की तस्वीरें और वीडियो साझा करने से सुरक्षा संबंधी गंभीर चिंताएं पैदा होंगी. टीआईएफआर ने कहा, ‘‘दुर्भाग्य से, नोटिस की शब्दावली ऐसी थी कि इसका गलत अर्थ निकाल लिया गया.''
ये भी पढ़ें-
AAP सांसद हरभजन सिंह का ऐलान, राज्यसभा की सैलरी किसानों की बेटियों की पढ़ाई पर करेंगे खर्च
Video : बिहार: बोचहां विधानसभा से RJD की बड़ी जीत, अमर पासवान 36 हजार से ज्यादा वोटों से जीते