हिन्दुस्तान में आज हैं 3,167 बाघ, जानें - और किन प्रोजेक्ट पर काम कर रही सरकार

भूपेंद्र यादव ने कहा, "पीएम मोदी का हमेशा से विजन रहा है कि किसी भी काम में जुड़े ग्रासरूट लेवल के लोगों से मुलाकात हो. वो मन की बात में भी इससे जुड़ी बातें करते रहे हैं. उनके इससे जुड़ने से योजनाओं को लाभ मिलेगा."

विज्ञापन
Read Time: 24 mins

बीजेपी सरकार बाघों के साथ-साथ अन्य कई जैव प्रजातियों के संरक्षण के लिए काम कर रही है.

नई दिल्ली:

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि केंद्र की बीजेपी सरकार बाघों के साथ-साथ अन्य कई जैव प्रजातियों के संरक्षण के लिए काम कर रही है. उन्होंने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा कि जितने भी प्रजाति खतरे में हैं, उनके बचाव के लिए काम चल रहा है. सराकर इस ओर काफी संवेदनशील है.

उनसे बातचीत के मुख्य अंश 

- कितना मुश्किल है बाघों की संख्या का पता लगाना ?
बहुत ज्यादा मुश्किल नहीं है क्योंकि फॉरेस्ट ऑफिसर दिन रात इन विषयों की मॉनिटरिंग कर रहे हैं. अब हम इस ओर ध्यान दे रहे हैं कि हमारे 53 टाइगर रिजर्व जो हैं उनकी वजन क्षमता क्या है. ऐसा इसलिए क्योंकि पन्ना, बांधवगढ़, रणथम्भोर, कोर्बेट और भी कुछ अन्य रिजर्व अपनी कैरिंग कैपेसिटी में आ गए हैं. ऐसे में हम अब बाघों को दूसरी जगह शिफ्ट कर रहे हैं, ताकि हमारे जितने भी रिजर्व हैं, उनकी कैरिंग कैपेसिटी पूरी हो. ऐसा करने के दौरान हम ये भी ध्यान रखते हैं कि हम उनके (बाघों) नैचुरल हैबिटेट के साथ छेड़छाड़ ना करें क्योंकि वाइल्ड कैट्स का अपना एक मिजाज होता है. 

प्रोजेक्ट बाघ, चीता के बाद अब सरकार की अगली प्लानिंग क्या है ?
पीएम का विजन प्रकृति संरक्षण का है. चीता का आना इस सदी की बड़ी उप्लब्धि इसलिए है क्योंकि ये प्रजाती विभिन्न कारणों से विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गई थी, लेकिन उनको वापस लाकर हमने इकोलॉजिकल हॉर्मोनी की बात की. प्रोजेक्ट टाइगर के 50 साल पूरे हो गए, प्रोजेक्ट एलिफेंट के 30 साल पूरे हुए, साथ ही साथ पीएम मोदी ने घोषणा की थी कि हम लोग प्रोजेक्ट लायन पर काम कर रहे हैं. गीर का जो क्षेत्र है, एसिएटिक लायन 100 प्रतिशत वहां पर हैं. 

Advertisement

एक बड़ा प्रोजेक्ट हमारा 'प्रोजेक्ट डॉल्फिन' है. इसके एस्टीमेशन का काम पूरा हो गया है. हमारा जितना भी रिवर क्षेत्र है उसमें डॉल्फिन्स हैं. कहीं-कहीं समुद्री क्षेत्र में भी हैं. तो इस ओर कार्य चल रहा है. प्रोजेक्ट चीता भी है. इन सब के अलावा जितने भी प्रजाति खतरे में हैं, उनके बचाव के लिए काम चल रहा है. लेकिन बड़े प्रोजेक्ट देखेंगे तो प्रोजेक्ट लायन, प्रोजेक्ट एलिफेंट, प्रोजेक्ट टाइगर, प्रोजेक्ट चीता और प्रोजेक्ट डॉल्फिन पर मंत्रालय की ओर से काम जारी है. 

Advertisement

पीएम मोदी के बांदीपुर जाने का मायने क्या हैं ?
पीएम मोदी का हमेशा से विजन रहा है कि किसी भी काम में जुड़े ग्रासरूट लेवल के लोगों से मुलाकात हो. वो मन की बात में भी इससे जुड़ी बातें करते रहे हैं. उनके इससे जुड़ने से योजनाओं को लाभ मिलेगा. सारे 53 टाइगर रिजर्व के कर्मचारियों में बड़ा उत्साह है. पर्यावरण की देखभाल और विकास दोनों साथ हो सकती है, इस बात से सारे काफी खुश हैं. ये सबसे बड़ा मैसेज है. 

Advertisement

यह भी पढ़ें -

-- आपत्तिजनक वेब सीरीज पर प्रतिबंध की दिशा में मध्य प्रदेश सरकार कदम उठाएगी: चौहान
-- रामपुर: पिता ने दो बच्‍चों को जहर देने के बाद स्वयं जहरीला पदार्थ खाया, पिता और बेटी की मौत

Advertisement
Topics mentioned in this article