रूस में पुतिन-पीएम मोदी मुलाकात से हरियाणा के मटौर गांव के लोगों में क्यों जगी उम्मीद? यह है कारण

हरियाणा के कैथल जिले के मटौर गांव के छह युवाओं को एजेंट ने ट्रांसपोर्ट कंपनी में नौकरी का झांसा देकर रूस-यूक्रेन युद्ध में धकेल दिया, इनमें से पांच युवाओं की वापसी होगी

विज्ञापन
Read Time: 5 mins
हरियाणा के कैथल जिले के युवकों को धोखा देकर रूस-यूक्रेन युद्ध में लड़ने के लिए भेज दिया गया.
नई दिल्ली:

रूस में हुई रूस के राष्ट्रपति पुतिन (Putin) और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) की मुलाकात के बाद हरियाणा के कैथल (Kaithal) जिले के गांव मटौर में उन परिवारों को उम्मीद जगी है जिनके अपने परिजन रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine war) में जिंदगी के लिए संघर्ष कर रहे हैं. हरियाणा के इस गांव से छह युवाओं को एजेंट ने ट्रांसपोर्ट कंपनी मे नौकरी का झांसा देकर युद्ध में धकेल दिया जबकि यह युवा युद्ध के लिए ट्रेंड नहीं थे. NDTV ने सबसे पहले 5 मार्च को इस खबर को ब्रेक किया था.

ट्रांसपोर्ट कंपनी में लोडिंग और अनलोडिंग का काम करने का झांसा देकर इन युवाओं को रूस ले जाया गया था. वहां उनसे रशियन भाषा में एक कांट्रैक्ट साइन कराया गया. उसे वे समझ नहीं सके और कुछ दिन की ट्रेनिंग के बाद फ्रंट लाइन में भेज दिया.

युद्ध में घायल हुए साहिल

रूस और यूक्रेन के युद्ध में भाग सिंह के बेटे साहिल घायल हो गए. वे अब ठीक से चल नहीं सकते हैं. लेकिन बेटे की घर वापसी की आशा में अब परिवार में खुशी है. साहिल की मां महिंद्रो को खुशी है कि बेटा जैसी भी हालत में है, घर वापस आ जाएगा.

साहिल के पिता भाग सिंह और भाई अमन को भी अब उम्मीद जगी है कि उसकी घर वापसी होगी.

वीडियो के जरिए बताई थी आपबीती

रूस-यूक्रेन में फंसे साहिल ने युद्ध के मैदान से एजेंट पर आरोप लगाते हुए एक वीडियो जारी किया था कि उन्हें गांव के ही एजेंट ने झूठ बोलकर सेना में भर्ती करवा दिया. उसने वीडियो में कहा था कि, ''गांव के एजेंट सत्यवान ने कहा था कि वह मुझे रशिया में ट्रांसपोर्ट का काम दिलवाएगा. उसके लिए टूरिस्ट वीजा बनवाया था. उसने इसके लिए 10 लाख रुपये लिए थे. उसने गांव के दो लोगों के सामने यह पैसे लिए थे.'' 

उसने कहा था कि, ''रूस पहुंचने के लिए बाद उसने एक एड्रेस दिया था, मैं टैक्सी लेकर वहां पहुंचा था. वहां एक आदमी मिला जिसने बताया कि आपको ट्रांसपोर्ट का काम करना है. ट्रकों  में सामान उतारना-चढ़ाना है, सफाई का काम करना है. उसने मुझसे एक कॉन्ट्रेक्ट साइन कराया था. वहां मुझे आर्मी के बंदे दिख रहे थे. मैंने कहा कि मुझे आर्मी में नहीं, ट्रांसपोर्ट में कम करना है. उसने कहा कि आप ट्रांसपोर्ट में ही हो. आपको युद्ध में नहीं जाना, रशिया में ही रहना है.'' 

साहिल ने कहा, ''उसके बाद हमारी 15 दिन की ट्रेनिंग मास्को में हुई और बाद में हम को आर्मी कैंट में ले गए. वहां फिर हमें एक पर्चा दिया गया और साइन करवाए. उसके बाद हमें 15 दिन की ट्रेनिंग के लिए रोस्तो कैंप ले गए. वहां जाने के बाद उन्होंने हमारा पासपोर्ट छीन लिया. हमारे पास मोबाइल था, लेकिन वहां नेटवर्क नहीं था. हमने वहां सिम लेने की कोशिश की लेकिन उन्होंने नहीं दी. ट्रेनिंग के बाद उन्होंने हमें एक बस में बिठा दिया और सभी के फोन छीन लिए. वहां से वे हमें यूक्रेन में ले गए. वहां हमें एक बिल्डिंग में ठहराया और जबर्दस्ती साइन करवाए गए. हमें मारने की धमकी भी दी गई. रात में हमें एक अन्य जगह पॉलीगान ले गए. वह ट्रेनिंग सेंटर है. वहां कुछ दिन और ट्रेनिंग दी गई. हमसे कहा आपको वार में भेजा जाएगा.'' 

Advertisement

उसने बताया था कि, ''मैं कमांडर के पास गया और कहा कि कॉन्ट्रेक्ट कैंसिल करना है. उसने कहा कॉन्ट्रैक्ट कैंसिल नहीं होगा. हम वॉर में गए. पांच दिन बाद ड्रोन हमला हुआ. इससे मुझे हाथ में और मेरे साथ राजस्थान के एक व्यक्ति को पैर में चोट लगी. हम 15 दिन अस्पताल में रहे. वहां से ट्रेनिंग सेंटर भेजा और तीन दिन बाद फिर युद्ध में भेज दिया. बाद में हमें वापस बुलाया और हमारी रेजिमेंट चेंज कर दी. हमें दूसरी जगह ले आए.'' 

साहिल ने कहा था कि, ''हम यहां से निकलना चाहते हैं. एम्बेसी से हमारी हाथ जोड़कर विनती है कि हमें जल्दी से जल्दी यहां से निकलवाए.''          

Advertisement

यही आरोप करनाल जिले गांव सांबली के हर्ष ने लगाया था. उसने वीडियो जारी करके भारत सरकार से मदद की गुहार लगाई थी.

पीएम ने पीड़ित परिवारों की बात पुतिन के सामने रखी

अपने बच्चों की रिहाई के लिए परिजनों ने दिल्ली में बैठे नेता और मंत्रियों तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश की. आखिर यह कोशिश कामयाब हो गई और देश के प्रधानमंत्री ने इन परिवारों की बात रूस के राष्ट्रपति पुतिन के सामने रखी. वहां उन्हें इन सभी युवाओं की रिहाई का आश्वासन दिया गया है.

Advertisement

यह सभी युवा कैथल जिले के गांव मटौर से और आपस के गांव के हैं और आपस में दोस्त हैं. विवाहित बलदेव भी उनमें से एक है. बलदेव के तीन बच्चे हैं जिसमें दो बेटियां और एक बेटा है. अब बलदेव की बेटियों यशवीन और शिवानी को भी उम्मीद है कि उनके पापा जल्दी घर आएंगे. 

लापता रवि का इंतजार कर रहा उनका भाई 

अजय ने अपने भाई रवि को अपनी खेती की जमीन बेचकर विदेश भेजा था. एजेंट ने उन्हें बताया था कि उन्हें वहां ट्रांसपोर्ट कंपनी में नौकरी मिलेगी. लेकिन कुछ दिन बाद उसे रूसी सेना की वर्दी पहनाकर यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में उतार दिया गया. लेकिन 12 मार्च के बाद से रवि लापता है. अब अजय का भाई खुशी के साथ गम से जूझ रहा है. अजय को खुशी है कि गांव के पांच युवाओं की घर वापसी होगी लेकिन अच्छा होता इनमें उनका भाई भी शामिल होता. अजय ने प्रधानमंत्री का धन्यवाद करते हुए भाई के लिए गुहार लगाई है.

Advertisement
Featured Video Of The Day
Bihar: Gopalganj में Duty कर रहे Homeguard को बदमाशों ने मारा धक्का, अस्पताल में मौत | Mafia
Topics mentioned in this article