पहलगाम के बैसरन घाटी में अमित शाह.
Pahalgam Terrorist Attack: जब देश के किसी कोने में आतंकवाद अपना नंगा नाच दिखाता है... तो दर्द सिर्फ गोली खाने वालों का नहीं होता, वो पूरा मुल्क महसूस करता है. और इस बार जो हुआ, वो दिल दहला देने वाला है. पहलगाम की बैसरन वैली में, जिसे लोग प्यार से "मिनी स्विट्जरलैंड" कहते हैं... वहां वो हुआ जिसकी किसी ने कल्पना नहीं की थी. 26 मासूम लोग, जो घूमने-फिरने आए थे, उनकी ज़िंदगी एक पल में छीन ली गई. अंधाधुंध फायरिंग... चीख-पुकार... और फिर खामोशी. ये सब आतंकियों ने किया. और इस खूनी खेल के ठीक 18 घंटे बाद, उसी ज़मीन पर उतरे गृह मंत्री अमित शाह.
अमित शाह सीधे एक्शन मोड में नज़र आए. मंगलवार रात को ही श्रीनगर पहुंच गए और तुरंत उच्च स्तरीय सुरक्षा बैठक बुलाई. सेना, सीआरपीएफ, जम्मू-कश्मीर पुलिस... सब टॉप लेवल अधिकारी मौजूद थे. शाह ने एक-एक ब्रीफिंग ली, हर एंगल समझा.
पुलिस महानिदेशक नलिन प्रभात ने शाह को पूरी सुरक्षा स्थिति की जानकारी दी. उपराज्यपाल भी बैठक में मौजूद थे. और ये साफ था कि दिल्ली अब इस पूरे मामले को बहुत गंभीरता से ले रही है. अगली सुबह, हेलिकॉप्टर से पहुंचे बैसरन वैली.
यानि ठीक वही जगह, जहां 18 घंटे पहले आतंकवादियों ने खून की होली खेली थी. वो स्पॉट जहां गोलियां चली थीं, वहां अब देश के गृह मंत्री खड़े थे. एक सख़्त संदेश के साथ –
"भारत आतंकवाद के आगे नहीं झुकेगा. जो लोग इस हमले के ज़िम्मेदार हैं, उन्हें छोड़ा नहीं जाएगा."
इससे पहले उन्होंने पुलिस कंट्रोल रूम में जाकर आतंकियों के हाथों मारे गए लोगों के ताबूतों पर पुष्पचक्र अर्पित किया. और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पर उन्होंने साफ शब्दों में लिखा –
"भारी मन से अंतिम श्रद्धांजलि देता हूं. इस नृशंस हमले के दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा."
इसके बाद गृह मंत्री ने मारे गए लोगों के परिजनों से भी मुलाक़ात की. उनसे बातचीत की. उन्हें भरोसा दिलाया कि दोषी पकड़े जाएंगे और कड़ी सज़ा दिलाई जाएगी.
पहलगाम के दौरे से लौटते ही अमित शाह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अमित शाह, राजनाथ सिंह, विदेश और वित्त मंत्री साथ ही एनएसए अजित डोभाल की सीसीए की बैठक हुई. यह बैठक ढाई घंटे तक चली. माना जा रहा कि बैठक में पहलगाम हमले के बाद की स्थितियों ने निपटने की रणनीति बनाई गई.
अमित शाह का पहलगाम दौरा फिर सीसीए की बैठक... ये एक सख्त चेतावनी है – आतंकियों को, उनके मददगारों को, और शायद पाकिस्तान को भी.
बैसरन की वादियों में गोलियों की गूंज अब भी ताज़ा है, लेकिन अमित शाह की मौजूदगी से एक बात तो तय है – अब कोई नरमी नहीं होगी. आगे क्या होता है, कैसे होता है... वो वक्त बताएगा. लेकिन जो हुआ, वो इस देश को झकझोर देने वाला था.
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