भोपाल में ऐतिहासिक ऐशबाग स्टेडियम के पास बने 600 मकानों पर चलेगा प्रशासन का हथौड़ा

प्रशासन का कहना है कि जनता क्वार्टर आवासीय कालोनी के ये मकान जर्जर हो चुके हैं इन्हें तोड़ना होगा वहीं यहां के रहवासियों का कहना है कि ऐन बरसात में वो जाएं तो जाएं कहां.

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प्रतीकात्मक तस्वीर.
भोपाल:

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में हॉकी के लिये ऐतिहासिक ऐशबाग स्टेडियम के पास बने 600 मकानों पर प्रशासन का हथौड़ा चलने वाला है, प्रशासन का कहना है कि जनता क्वार्टर आवासीय कालोनी के ये मकान जर्जर हो चुके हैं इन्हें तोड़ना होगा वहीं यहां के रहवासियों का कहना है कि ऐन बरसात में वो जाएं तो जाएं कहां.  इस इलाके को आप देखेंगे तो दिखेंगी टूटी खिड़कियां, छज्जे ऐसे लटके जो कभी भी गिर जाएं ... दीवारों से झांकती ईंट. एक नजऱ में ये घर नहीं खंडहर दिखते हैं. लेकिन इन्हीं 600 घरों में नलमा, फरहान और माया जैसे लगभग 3000 लोग पिछले 35 सालों से रहते हैं, पिछले हफ्ते नगर निगम ने कहा है मकानों को खाली कर दें, वो जर्जर हैं. इन लोगों का कहना है कि मानसून में इस मुनादी से उनकी मुश्किलें बढ़ गई हैं.

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गुलाम रसूल कहते हैं,  कुछ मकान जर्जर हो गये हैं सबके लिये कह दिया खाली करो, सब गरीब तबके हैं ये बताओ ये कहां जाएं. माया गुजराती कहते हैं हम पैसा पूरा भर चुके हैं, मुझे दूर अयोध्या बायपास में मकान दिखाया वहां कैसे रहें छोटे बच्चे हैं मैं बेवा हूं, हम चाहते हैं यहीं बना कर दें जो पैसा आएगा हम भरेंगे. नालमा अंसारी कहती हैं आप यहां मकान तोड़कर हमें शिफ्ट करोगे तो हमारी रोजी चली जाएगी बच्चों की पढ़ाई चली जाएगी. कुछ बच्चे कह रहे हैं हर जगह दौड़ लगाएंगे लेकिन मकान खाली नहीं करेंगे.

फरहा कहती हैं, हम मकान नहीं तोड़ने देंगे हम मंत्री के पास जाएंगे बन जाए तो यहां शिफ्ट करें लिखित में दें. अमरीन कहती हैं, कुछ लोगों की रजिस्ट्री है कुछ लोगों ने स्टॉम्प पेपर पर खरीदे हैं, सरकार कहती है उनको शिफ्ट नहीं करेंगे ..उनका क्या ..वैसे भी लोग बेघर हो रहे हैं, अगर इसपर भी खरीदे हैं तो मायने रखते हैं सभीको मिलना चाहिये.
     
दरअसल बीते करीब पांच सालों से यानी 2016 से लगातार बारिश के वक्त यहां के लोगों को नोटिस दिया जाता है। कुछ लोगों ने कहा कि वे मकान खाली करने को तैयार हैं, बशर्ते सरकार उन्हें नया मकान बनाने के लिए पैसे दे या फिर उन्हें किसी अन्य जगह पर मकान दे। सरकार कह रही है कार्रवाई नियमों के तहत होगी. कैबिनेट मंत्री विश्वास सारंग ने कहा जो भी कार्रवाई होगी उसमें प्रोटोकॉल का ध्यान रखा जाएगा समय से विस्थापित किया जाएगा. 

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दरअसल, दूसरे राज्यों की तरह मध्यप्रदेश में ऐसे विस्थापितों के लिये पहले पॉलिसी थी ही नहीं, लेकिन अब पॉलिसी बन गई है सरकारी मंजूरी का इंतजार है. जनता क्वॉर्टर्स के मामले में सरकारी अधिकारियों का कहना है कि जिन 57 लोगों के नाम पर रजिस्ट्री है उन्हें शिफ्ट किया जाएगा लेकिन कई लोगों ने पैसे नहीं भरे थे इसलिये उनके मकानों का एलॉटमेंट निरस्त हो चुका है फिर भी सरकार उनको बसाने के प्रयास करेगी.

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