महंगाई पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के जवाब को लेकर कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी से NDTV ने खास बातचीत की. अधीर रंजन चौधरी ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि इनमें कोई दम नहीं है, यह सारी फिजूल बातें हैं, सारे गलत तथ्य पेश किए गए हैं. आप लोगों से पूछ लीजिए महंगाई से उनकी हालत क्या है. ये आंकड़ों के जरिए सब ठीक-ठाक दिखाने की कवायद है. आप बाजार में जाए आग लग चुकी है, लोगों की जेब में आग लग चुकी है. लोगों के आर्थिक हालात जर्जर हो चुके है.
अधीर रंजन चौधरी ने आगे कहा कि सरकार हर बात में अपने बचाव में यूपीए को लेकर आती है. एक वक्त सिलेंडर 350 सौ से 400 रुपये तक था. उस वक्त पेट्रोल-डीजल के दाम क्या थे और आज क्या हैं. उस समय मुद्रा की दर क्या थी और अब क्या है, पता कर लीजिए. यह बेकार तथ्य सदन को पेश करते हुए देश के आम लोगों को गुमराह करने के लिए सरकार की चाल है. इसलिए हमने देखा कि ये असली बात नहीं कर रहे हैं, हम लोग ने विरोध किया और बाहर चले गए.
अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि यह सरकार ही ज्ञान देती है कि देश में 'रेवड़ी कल्चर' को खत्म करना चाहिए. यह क्या 'रेवड़ी कल्चर' नहीं है? मोदी जी की 'रेवड़ी कल्चर' की अहमियत क्या है? यह मैं जानना चाहता हूं. किसी को कोई दया से नहीं देते हैं. हिंदुस्तान में जो सोनिया जी के और मनमोहन सिंह के समय "राइट टू फूड एक्ट" दिया गया था. उसी के तहत आज हिंदुस्तान के गरीब लोगों को सस्ते में अनाज मिल रहा है. यह उनका अधिकार है.
कांग्रेस नेता ने कहा कि कोरोना के समय जब सारे विपक्षी दलों ने पीएम मोदी पर दबाव डाला, हिंदुस्तान के आम लोग जो बेहाल थे उसके मद्देनजर मुफ्त में अनाज देने की मांग की थी. यह दया नहीं थी, यह उनका फर्ज था. सरकारी गोदाम में अनाज भरा हुआ था. वह उनको दिया गया था. ये उनका अधिकार है.
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