आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाते हुए कहा कि चुनाव आयोग ने एक खास पॉलिटिकल पार्टी को रजिस्टर कराने के लिए पब्लिक नोटिस पीरियड 30 दिन से घटाकर 7 दिन कर दिया. चुनाव घोषित होने के बाद एक पॉलिटिकल पार्टी को रजिस्टर करवाया जा रहा है. ऐसा षड्यंत्र के तहत आम आदमी पार्टी के वोट काटने के लिए किया जा रहा है. दरअसल, आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता राघव चड्ढा ने किसी पार्टी का नाम लिए बिना कहा कि सब लोग अंदर ही अंदर जानते हैं मेरा इशारा किसकी तरफ है. इसका जवाब मैं नहीं देना चाहता. इसका जवाब दो-तीन दिन में जब यह मोर्चा पार्टी का ग्रुप रजिस्टर होगा तो मिल जाएगा.
उन्होंने कहा कि 14 जनवरी को चुनाव आयोग ने एक सर्कुलर जारी करके कहा है कि किसी पॉलिटिकल पार्टी को रजिस्टर करने के लिए जो 30 दिन की समय सीमा होती है, उसको 7 दिन किया जा रहा है. इसके पीछे का कारण महामारी कोविड दी गई है. जिसके चलते पॉलीटिकल पार्टियों को रजिस्ट्रेशन फॉर्म दाखिल करने में जो फॉर्मेलिटी पूरी होती है, उसमें कुछ दिक्कतें आ रही थीं, इसलिए यह राहत दी गई है.
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चड्ढा ने कहा कि हमने पहले भी कहा था कि चुनाव आयोग किसी खास ग्रुप को किसी खास मोर्चे को रजिस्टर करने के लिए सारे कानून को ताक पर रख रहा है, सारे नियमों को ताक पर रख रहा है और एक स्पेशल ट्रीटमेंट दे रहा है. एक खास पार्टी को रजिस्टर करवा कर चुनाव आयोग और भारतीय जनता पार्टी किसके वोट काटना चाहते हैं? किसको नुकसान पहुंचाना चाहते हैं? अगर यह पार्टी रजिस्टर होती है तो दो बड़े सवाल होंगे, पहला सवाल यह है कि किस पार्टी को इस पार्टी के रजिस्ट्रेशन होने से नुकसान होगा? यानी यह जो पार्टी रजिस्टर होगी यह किसके वोटों में सेंधमारी करेगी? दूसरा सवाल यह कि किस पार्टी को फायदा होगा? कौन वह राजनीतिक लोग हैं जो आम आदमी पार्टी को हारते हुए देखना चाहते हैं? साम दाम दंड भेद हर चीज को अपनाकर हर सूरत में आम आदमी पार्टी की हार देखना चाहते हैं?
उन्होंने कहा कि हम सब यह जानते हैं कि चुनाव घोषित होने के बाद किसी नई पार्टी को रजिस्ट्रेशन नहीं किया जाता. नोटिस पीरियड भी कम नहीं किया जाता. जब 7-8 साल पहले हम अपनी पार्टी रजिस्ट्रेशन करवाने गए थे तो 30 दिन के नोटिस पीरियड का हमको भी पालन करना पड़ा था, हमारे लिए कोई राहत नहीं दी गई थी. एक बहुत बड़े षड्यंत्र के तहत आम आदमी पार्टी के वोट काटने के लिए एक नए मोर्चे को एक नई पॉलिटिकल पार्टी को रजिस्टर कराया जा रहा है. ऐसा लगता है कि चुनाव आयोग सारे काम छोड़कर इस नए ग्रुप या नए मोर्चे को रजिस्टर्ड करने में लगा है.
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