आम आदमी पार्टी मिजोरम के चुनावी समर में उतरकर पूर्वोत्तर की सियासत में कदम रखेगी

'आप' के पूर्वोत्तर प्रभारी राजेश शर्मा ने सोमवार को दिल्ली में संवाददाताओं से कहा कि संगठन का विस्तार करने और पूर्वोत्तर राज्यों में चुनाव लड़ने का फैसला रविवार को अरविंद केजरीवाल के साथ बैठक में लिया गया.

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अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (AAP) ने मिजोरम विधानसभा चुनाव (Mizoram assembly polls) लड़कर पूर्वोत्तर की राजनीति में कदम रखने का फैसला किया है. 'आप' के पूर्वोत्तर प्रभारी राजेश शर्मा ने सोमवार को दिल्ली में संवाददाताओं से कहा कि संगठन का विस्तार करने और पूर्वोत्तर राज्यों में चुनाव लड़ने का निर्णय रविवार को केजरीवाल के साथ एक बैठक में लिया गया. संगठनात्मक विस्तार के लिए एक समन्वय समिति और एक पूर्वोत्तर प्रकोष्ठ का गठन किया जाएगा.

शर्मा ने कहा, "आप आगामी मिजोरम विधानसभा चुनावों में भी भाग लेगी. चुनाव लड़ने के लिए सीटों की संख्या और विधानसभा क्षेत्रों का ब्यौरा राज्य समिति देगी. इसके बारे में घोषणा जल्द ही की जाएगी."

उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर में लोग शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, महंगाई और बेरोजगारी सहित विभिन्न मुद्दों से जूझ रहे हैं और उनका मानना है कि 'आप' इन समस्याओं का समाधान कर सकती है.

उन्होंने कहा कि, पूर्वोत्तर में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद सहित कई मुद्दों का सामना करना पड़ता है. इन राज्यों में मुख्यमंत्री अक्सर राज्य को अपनी पारिवारिक संपत्ति मानते हैं और सरकारी ठेके आम तौर पर उनके परिवार के सदस्यों और दोस्तों को दिए जाते हैं.

उन्होंने कहा कि, सरकारी स्कूलों, अस्पतालों और सड़कों की हालत खराब है और महंगाई बढ़ रही है. बेरोजगारी एक गंभीर समस्या है. इन मुद्दों पर ध्यान देना जरूरी हो गया है.

शर्मा ने कहा कि दिल्ली और पंजाब में पार्टी का ट्रैक रिकॉर्ड देखने के बाद पूर्वोत्तर के लोगों का मानना है कि केवल 'आप' ही यह काम पूरे कर सकती है. इसलिए वे चाहते हैं कि आम आदमी पार्टी अपने संगठन का विस्तार करे और सभी पूर्वोत्तर राज्यों में चुनावों में भाग ले.

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उन्होंने कहा, अरुणाचल प्रदेश, असम और मणिपुर जैसे राज्यों में भाजपा सत्ता में है. उसने वहां ताकत लगाते हुए "समुदायों को विभाजित करके और कुकी-मैतेई विवाद जैसे संघर्षों सहित तनाव को बढ़ावा देकर" विभाजनकारी राजनीति शुरू की है. 

उन्होंने कहा, "इससे पूर्वोत्तर के लोग काफी परेशान हैं क्योंकि वे कभी भी इस तरह की राजनीति का समर्थन नहीं करते हैं. यही कारण है कि 'आप' पूर्वोत्तर राज्यों में पूरी ताकत से अपने संगठन का विस्तार करने के लिए प्रतिबद्ध है."

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