हरियाणा (Haryana) के किसानों (Farmers) के एक वर्ग ने पंजाब के किसानों से खुद को अलग कर लिया है. वे कृषि कानूनों (Farm Laws) संशोधनों (Amendments) के साथ स्वीकार करने के लिए तैयार हो गए हैं. कल किसानों के आह्वान पर भारत बंद और बुधवार को किसान नेताओं के साथ सरकार की बैठक से पहले तीन किसान सगठनों के प्रतिनिधि, जिन्होंने हरियाणा के 1,20,000 किसानों का प्रतिनिधित्व करने का दावा किया है, आज शाम को कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर (Narendra Tomar) से मिले.
तीन संगठनों द्वारा हस्ताक्षरित एक पत्र में कहा गया है : "इन बिलों को किसान संगठनों के सुझावों के अनुसार जारी रखा जाना चाहिए. जैसा कि किसान संगठनों ने सुझाव दिया है, हम MSP और मंडी प्रणाली के पक्ष में हैं. लेकिन हम आपसे अनुरोध करते हैं कि इन कानूनों को सुझाए गए संशोधनों के साथ जारी रखा जाना चाहिए."
किसान संगठनों के नेताओं ने शनिवार को सरकार के साथ हुई पिछली बैठक में तीनों कृषि कानूनों में संशोधन की पेशकश को ठुकरा दिया था. उन्होंने कहा था कि तीनों कानूनों को निरस्त करने के अलावा कुछ भी स्वीकार नहीं करेंगे.
पंजाब और हरियाणा के हजारों किसान 10 दिनों से अधिक समय से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं. वे यहां आंसू गैस, पानी की बौछारों और पुलिस के डंडों को सहते हुए बैरिकेडों को तोड़कर पहुंचे हैं. इस अवधि में तीन किसानों की मौत हो चुकी है.
हालांकि किसानों ने कहा है कि वे शर्तों के साथ अपनी मांगें रखेंगे. कई किसानों ने कहा है कि वे एक लंबी दौड़ के लिए तैयार हैं और तब तक घर नहीं लौटेंगे जब तक वे अपने उद्देश्य को हासिल नहीं कर लेते.