केंद्र की टीकाकरण नीति में बदलाव के कुछ दिनों पहले सुप्रीम कोर्ट ने की सख्त टिप्पणियां

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने टीकाकरण नीति पर (Covid vaccination policy of the Center) कहा था कि यह कहने का सामर्थ्य दिखाना कि आप गलत थे, ये कमजोरी का संकेत नहीं है, बल्कि यह मजबूती का प्रतीक है.

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नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने कोरोना टीकाकरण की अपनी नीति में बदलाव कर सभी के लिए मुफ्त वैक्सीन की जिम्मेदारी केंद्र सरकार द्वारा वहन करने का ऐलान किया है. लेकिन केंद्र की वैक्सीनेशनल पॉलिसी (Centre's Covid vaccination policy) में बदलाव के कुछ दिनों पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सख्त टिप्पणियां की थीं. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा था कि यह कहने का सामर्थ्य दिखाना कि आप गलत थे, ये कमजोरी का संकेत नहीं है, बल्कि यह मजबूती का प्रतीक है.

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सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा था कि जब मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हो रहा हो तो वह मूकदर्शक बनकर नहीं रह सकता. सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार को कड़े सवालों का सामना करना पड़ा था. तीन जजों की पीठ ने 31 मई को केंद्र की वैक्सीनेशन नीति में कई तरह की विसंगतियों की ओर इशारा किया था. कोर्ट ने अलग-अलग दामों, वैक्सीन डोज की कमी, ग्रामीण क्षेत्रों में वैक्सीन सुविधा में खामियों जैसे कई चीजों की ओर इशारा किया था.जबकि पीएम मोदी ने आज ऐलान किया कि केंद्र सरकार अब वैक्सीनेशन अभियान को पूरी तरह अपने हाथों में लेगी. केंद्र सरकार 21 जून से सभी राज्यों को 18 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों के लिए कोरोना वैक्सीन मुहैया कराएगी.

केंद्र सरकार ने एक महीने पहले टीकाकरण नीति में किए गए बदलावों को संशोधित किया है. 31 मई को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस चंद्रचूड़, जस्टिस एलएन राव और एस रवींद्र भट्ट की खंडपीठ ने कहा, आपका तर्क 45 से अधिक आयु वर्ग के टीकाकरण को लेकर सही था, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर में यह समूह ज्यादा गंभीरता से प्रभावित नहीं हुआ है. जबकि 18 से 44 वर्ष के लोगों पर ज्यादा प्रभाव पड़ा है. अगर वैक्सीन खरीद का यही उद्देश्य यही है तो केंद्र को सिर्फ 45 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए ही वैक्सीन क्यों खरीदनी चाहिए?

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 अदालत ने यह भी पूछा था कि केंद्र की नई उदार टीकाकरण नीति के तहत राज्यों को वैक्सीन के लिए ज्यादा कीमत क्यों अदा करनी चाहिए. नई नीति के तहत राज्यों को उनकी जरूरत का 50 फीसदी सीधे वैक्सीन निर्माता कंपनियों से खरीदने की छूट दी गई थी. फिर भी इसकी कीमत केंद्र के मुकाबले राज्यों के लिए ज्यादा क्यों है

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