मक्का में भीषण गर्मी से अबतक 1000 से ज्यादा हाजियों की मौत, 68 भारतीय भी शामिल

अरब राजनयिकों ने बताया कि मरने वालों में 323 मिस्रवासी और 60 जॉर्डनवासी शामिल हैं, साथ ही ये भी साफ किया गया कि मिस्त्र के सभी लोगों की मौत का कारण गर्मी ही रही. 

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सऊदी अरब में भीषण गर्मी का कहर
रियाद:

एक तरफ भारत में इस बार रेकॉर्ड तोड़ गर्मी पड़ रही है. वहीं सऊदी अरब में भी गर्मी का कहर देखने को मिल रहा है. आलम ये है कि भीषण गर्मी के सितम के बीच मक्का में हज के दौरान 1000 से अधिक तीर्थयात्रियों की मौत हो गई है. जिनमें 68 भारतीय नागरिक भी शामिल है. एएफपी की एक रिपोर्ट के अनुसार सऊदी अरब में हज के दौरान मरने वालों की संख्या 1,000 से अधिक हो गई. मरने वालों में अधिकतर गैर-पंजीकृत तीर्थयात्री हैं.

सऊदी अरब में एक राजनयिक ने बुधवार को कहा था कि इस साल हज यात्रा के दौरान 68 भारतीय नागरिकों की मौत हुई है. नाम न बताने की शर्त पर बात करने वाले राजनयिक ने एएफपी को बताया, "हमने लगभग 68 लोगों की मौत की पुष्टि की है... कुछ की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई है और इनमें कई बुजुर्ग तीर्थयात्री थे और कुछ की मौत मौसम की स्थिति के कारण हुई है, ऐसा हम मानते हैं."

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मक्का में 323 मिस्रवासी और 60 जॉर्डनवासी की मौत

अरब राजनयिकों ने बताया कि मरने वालों में 323 मिस्रवासी और 60 जॉर्डनवासी शामिल हैं, साथ ही ये भी साफ किया गया कि मिस्त्र के सभी लोगों की मौत का कारण गर्मी ही रही.  इंडोनेशिया, ईरान, सेनेगल, ट्यूनीशिया समेत और देशों ने भी मौतों की पुष्टि की है, हालांकि कई मामलों में अधिकारियों ने कारण नहीं बताया है. एएफपी के अनुसार अब तक कुल 1000 लोगों की मौत की सूचना दी गई है. पिछले साल 200 से अधिक तीर्थयात्रियों की मौत की सूचना मिली थी, जिनमें से अधिकांश इंडोनेशिया के थे. सऊदी अरब ने मौतों के बारे में जानकारी नहीं दी है.

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कुछ भारतीय के लापता होने की भी जानकारी

भारतीयों की मौत की पुष्टि करने वाले राजनयिक ने कहा कि कुछ भारतीय तीर्थयात्री लापता भी हैं, लेकिन उन्होंने सटीक संख्या बताने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा, "ऐसा हर साल होता है... हम यह नहीं कह सकते कि इस साल यह असामान्य रूप से अधिक है." "यह पिछले साल के समान ही है, लेकिन आने वाले दिनों में हमें और जानकारी मिलेगी." पिछले कई सालों से हज सऊदी अरब की भीषण गर्मी के दौरान होता रहा है. पिछले महीने प्रकाशित एक सऊदी अध्ययन के अनुसार, जिस क्षेत्र में अनुष्ठान किए जाते हैं, वहां का तापमान हर दशक में 0.4 डिग्री सेल्सियस (0.72 डिग्री फ़ारेनहाइट) बढ़ रहा है.

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