देश के आंगनवाड़ी केंद्रों में 43 लाख बच्चे मोटापे से पीड़ित: सरकारी आंकड़ा

मोटापे या अधिक वजन की समस्या से पीड़ित बच्चों का प्रतिशत करीब-करीब आंगनबाड़ी केंद्रों में गंभीर और मध्यम रूप से कुपोषित पाए गए बच्चों के प्रतिशत के समान यानी छह प्रतिशत था

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नई दिल्ली:

देशभर के आंगनवाड़ी केंद्रों में पिछले महीने 0-5 वर्ष की उम्र वर्ग के 43 लाख से अधिक बच्चे मोटापे या अधिक वजन की समस्या से पीड़ित पाए गए, जो सर्वेक्षण में शामिल कुल बच्चों का लगभग छह प्रतिशत है. यह जानकारी आधिकारिक आंकड़ों से मिली. सरकार द्वारा संचालित ग्रामीण बाल देखभाल केंद्रों से एकत्र किए गए आंकड़ों से यह भी पता चला है कि मोटापे या अधिक वजन की समस्या से पीड़ित बच्चों का प्रतिशत करीब-करीब आंगनबाड़ी केंद्रों में गंभीर और मध्यम रूप से कुपोषित पाए गए बच्चों के प्रतिशत के समान यानी छह प्रतिशत था.

बच्चों के विकास से संबंधित निगरानी ऐप 'पोषण ट्रैकर' से एकत्रित आंकड़ों से पता चलता है कि 0-5 वर्ष उम्र वर्ग में कुल 7,24,56,458 बच्चों का सर्वेक्षण किया गया, जिसमें से लगभग छह प्रतिशत अथवा 43,47,387 बच्चों को मोटापे या अधिक वजन की समस्या से पीड़ित बच्चों के रूप में वर्गीकृत किया गया.

13 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में बच्चों में मोटापे की दर अधिक 

मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, राजस्थान, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल सहित देश के 13 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में बच्चों में मोटापे की दर राष्ट्रीय औसत छह प्रतिशत से अधिक है.

हाल के वर्षों में बच्चों में मोटापे की समस्या चिंताजनक रूप से बढ़ी है. एनएचएफएस-4 (2015-16) और एनएफएचएस-5 (2019-21) के आंकड़ों के अनुसार, एनएफएचएस-4 की तुलना में एनएफएचएस-5 में अधिक वजन वाले पांच साल से कम उम्र के बच्चों के प्रतिशत में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. वर्ष 2021 में शुरू हुए 'पोषण ट्रैकर' से पहले राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के तहत आंकड़े एकत्र किए जाते थे.

एनएफएचएस-5 में मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में पांच साल से कम उम्र के अधिक वजन वाले बच्चों का प्रतिशत सबसे अधिक दर्ज किया गया, इसके बाद सिक्किम और त्रिपुरा का स्थान है. इसके विपरीत, मध्य प्रदेश, बिहार और आंध्र प्रदेश में पांच साल से कम उम्र के अधिक वजन वाले बच्चों का प्रतिशत सबसे कम है.

मोटापे से पीड़ित बच्चों में बीमारियों का खतरा

मनस्थली की संस्थापक और निदेशक डॉ ज्योति कपूर ने कहा कि मोटापे से पीड़ित बच्चों में टाइप-2 मधुमेह, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप और नींद संबंधित समस्या सहित विभिन्न स्वास्थ्य समस्याएं विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है. इन स्थितियों का बच्चे के जीवन की गुणवत्ता और जीवन प्रत्याशा पर तात्कालिक और दीर्घकालिक, असर हो सकता है.

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डॉ कपूर ने कहा कि बचपन का मोटापा अक्सर वयस्कता तक बना रहता है, जिससे कम उम्र में मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है.

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