हिंदुजा परिवार के 4 सदस्यों को मिली सजा, जानिए ब्रिटेन के इस सबसे अमीर घराने के बारे में सब कुछ

अविभाजित भारत के सिंध में जन्मे परमानंद दीपचंद हिंदुजा ने सन 1914 में हिंदुजा ग्रुप की नींव रखी थी, बाद में दुनिया भर में कारोबार फैला लिया

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ब्रिटेन के हिंदुजा परिवार के चार सदस्यों को स्विट्जरलैंड की अदालत ने सजा दी है.
नई दिल्ली:

स्विट्जरलैंड के एक न्यायलय ने जिनेवा हवेली में भारतीय कर्मचारियों का शोषण करने के आरोप में ब्रिटेन (Britain) के सबसे अमीर हिंदुजा परिवार (Hinduja family) के चार सदस्यों को शुक्रवार को कारावास की सजा सुनाई. हिंदुजा परिवार के सदस्यों को मानव तस्करी (human trafficking) से आरोप से बरी कर दिया गया, लेकिन अन्य आरोपों में दोषी ठहराया गया. हिंदुजा परिवार की संपत्ति 37 बिलियन पाउंड (47 बिलियन डॉलर) की है. कौन है हिंदुजा परिवार? यह एक ऐसा कारोबारी परिवार है जिसका भारत से नाता है. 

जिनेवा में कोर्ट ने प्रकाश हिंदुजा और उनकी पत्नी कमल हिंदुजा को क्रमश: चार साल और छह महीने की सजा दी. उनके बेटे अजय और उनकी पत्नी नम्रता को चार साल की सजा दी गई. उन्हें भारत से ले लाए गए नौकरों का शोषण करने के आरोप में सजा दी गई है. आरोप यह भी था कि वे नौकरों को स्विट्जरलैंड ले जाने के बाद उनके पासपोर्ट जब्त कर लेते थे.

परमानंद दीपचंद हिंदुजा ने मुंबई में सीखे थे व्यापार के गुर
हिंदुजा परिवार एक कारोबारी घराना है. परमानंद दीपचंद हिंदुजा ने सन 1914 में हिंदुजा ग्रुप की नींव रखी थी. बताया जाता है कि परमानंद दीपचंद हिंदुजा का भारत के बंटवारे से पहले सिंध के शिकारपुर में जन्म हुआ था. यह इलाका अब पाकिस्तान में है. सन 1914 में वे मुंबई चले गए थे. वे वहां व्यापार में पारंगत हो गए. इस ग्रुप ने सन 1919 में अपना पहला इंटरनेशनल आफिस ईरान में खोला था. वही सन 1979 तक इस समूह का हेडक्वार्टर था.

हिंदुजा ग्रुप 1979 के बाद यूरोप चला गया. शुरुआती वर्षों में हिंदुजा ग्रुप मुख्य रूप से मर्चेंट बैंकिंग और ट्रेडिंग का व्यवसाय करता था. बाद में परमानंद दीपचंद हिंदुजा के तीन बेटों - श्रीचंद, गोपीचंद और प्रकाश ने कारोबार संभाल लिया और कंपनी का कई देशों में विस्तार कर लिया.

हिंदुजा ग्रुप 1979 में ईरान से ब्रिटेन पहुंचा  
हिंदुजा परिवार ने 1979 में अपने ग्रुप का मुख्यालय लंदन में बनाया. इस परिवार का दावा है कि उनका ग्रुप तमाम देशों में कुल करीब 200,000 लोगों को रोजगार देता है. ग्रुप के मौजूदा चेयरमैन गोपीचंद ने मई 2023 में पदभार संभाला था. वे ब्रिटेन के सबसे अमीर व्यक्ति हैं.

पिछले साल श्रीचंद हिंदुजा का निधन हो गया. उनके बाद उनके छोटे पुत्र गोपीचंद ने उनका कारोबार संभाल लिया. स्विटजरलैंड में मानव तस्करी के मामले में दोषी प्रकाश हिंदुजा ने मोनैको का कारोबार संभाला.

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हिंदुजा ग्रुप की कई कंपनियां
हिंदुजा ग्रुप की कई कंपनियां हैं. इनमें हिंदुजा हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड, अशोक लीलैंड, स्विच मोबिलिटी, पीडी हिंदुजा हॉस्पिटल, हिंदुजा बैंक, इंडसइंड बैंक, हिंदुजा लीलैंड फाइनेंस लिमिटेड, जीओसीएल कॉर्पोरेशन लिमिटेड, गल्फ ऑइल इंटरनेशनल लिमिटेड, क्वेकर-हाउटन इंटरनेशनल लिमिटेड, हिंदुजा नेशनल पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड, हिंदुजा रिन्यूएबल्स एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड आदि शामिल हैं.

ब्रिटेन में बेशकामती संपत्तियां
ब्रिटेन में हिंदुजा परिवार की बहुत कीमती संपत्तियां हैं. हिंदुजा ग्रुप का लंदन के व्हाइटहॉल में रैफ्फल्स नाम का होटल है. यह होटल ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के सरकारी आवास 10 डाउनिंग स्ट्रीट के बहुत समीप है. ग्रुप के पास कार्लटन हाउस का भी एक हिस्सा है जो कि बकिंघम पैलेस से भी काफ़ी पास है. इस भवन में कई आफिस, घर आदि हैं. 

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अमीरों की दौलत का आकलन करने वाली फोर्ब्स की सूची के मुताबिक हिंदुजा परिवार की कुल दौलत 47 बिलियन डॉलर से अधिक है. इस परिवार के गोपी हिंदुजा ब्रिटेन के सबसे अमीर व्यक्ति हैं. दुनिया के सबसे धनवान लोगों की सूची में शामिल हिंदुजा परिवार ब्रिटेन का सबसे अमीर घराना है. फोर्ब्स के मुताबिक हिंदुजा परिवार सन 2022 में दुनिया का 146वां सबसे धनी परिवार था. 

कर्मचारियों को दिया अपेक्षा से बहुत कम वेतन
हिंदुजा परिवार के चार सदस्यों को कोर्ट ने सजा दी है. अभियोजकों ने तर्क दिया कि हिंदुजा ने अपने कर्मचारियों को मामूली वेतन दिया और उन्हें घर छोड़ने की बहुत कम आजादी दी.

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हिंदुजा ने अपने खिलाफ आरोप लगाने वाले तीन कर्मचारियों के साथ अदालत के बाहर एक गोपनीय समझौता किया. इसके बावजूद, अभियोजन पक्ष ने आरोपों की गंभीरता के कारण मामले को आगे बढ़ाने का फैसला किया. अभियोजक ने परिवार पर पैसे बचाने के लिए शक्तिशाली नियोक्ता और कमजोर कर्मचारी के बीच "विषम स्थिति" का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया. घरेलू कर्मचारियों को प्रति माह 220 से 400 फ़्रैंक (250 से 450 डॉलर) के बीच वेतन दिया जाता था, जो स्विट्जरलैंड में उनकी आमदनी की उम्मीद से काफी कम था. 

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