असम में 246 उग्रवादियों का आत्मसमर्पण, दो संगठन फरवरी में हथियार डालेंगे: सीएम हिमंत बिस्व सरमा

एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में उत्तर पूर्व के राज्य असम में यूनाइटेड गोरखा पीपुल्स ऑर्गनाइजेश और तिवा लिबरेशन आर्मी  के 246 उग्रवादियों ने गुरुवार को असम (Assam) के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा के सामने आत्मसमर्पण कर दिया.

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इन उग्रवादी समूहों ने 2020 में तत्कालीन मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल के सामने हथियार डाले थे.
गुवाहाटी:

एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में उत्तर पूर्व के राज्य असम में यूनाइटेड गोरखा पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन (UGPO)और तिवा लिबरेशन आर्मी  के 246 उग्रवादियों ने गुरुवार को असम (Assam) के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा (Himanta Biswa Sarma) के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. मुख्यमंत्य्री ने इस मौके पर कहा कि  दो संगठन फरवरी में हथियार डालेंगे. असम में इसे उग्रवाद काम करने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है. आत्मसमर्पण करने वाले उग्रवादियों में 169 यूजीपीओ के और 77 उग्रवादी टीएलए के हैं. आत्मसमर्पण करने वालों का मुख्यधारा में स्वागत करते हुए सरमा ने कहा कि फरवरी के बाद उल्फा (आई) और कामतापुर लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन (केएलओ) जैसे दो उग्रवादी संगठन ही राज्य में बचे रह जाएंगे क्योंकि बराक घाटी के दो और ब्रू-रियांग उग्रवादी संगठन फरवरी में हथियार डाल देंगे.

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उन्होंने उग्रवादियों के आत्मसमर्पण के लिए आयोजित औपचारिक कार्यक्रम में कहा - 'हम उनका फरवरी तक आत्मसमर्पण कराने की कोशिश करेंगे.' उधर उग्रवादियों के आत्मसमर्पण की प्रक्रिया से जुड़े एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने पीटीआई-भाषा से कहा - 'मुख्यमंत्री ने ब्रू रिवोल्यूशनरी आर्मी यूनियन (बीआरएयू) और यूनाइटेड डेमोक्रेटिक लिबरेशन फ्रंट (यूडीएलएफ) का जिक्र किया है.'  

यूजीपीओ और टीएलए के उग्रवादियों ने सरमा के सामने विभिन्न प्रकार के 277 हथियार, 720 कारतूस और हथगोले जमा किए. याद रहे यूजीपीओ की स्थापना 2007 में हुयी थी. यह मुख्यतया कोकराझार, चिरांग, बक्सा और बिश्वनाथ जिलों में सक्रिय रहा है. वहीं टीएलए 2014 में स्थापित हुआ था और मोरीगांव, नागांव और  पश्चिम कार्बी आंगलोंग जिलों में सक्रिय रहा है. सरमा ने उम्मीद जताई कि उल्फा (आई) और केएलओ भी जल्द ही बातचीत में शामिल होंगे और राज्य में स्थायी शांति लाएंगे. उन्होंने कहा, 'उल्फा (आई) ने गणतंत्र दिवस पर बंद का आह्वान नहीं किया.

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इस बीच खबरों के अनुसार, केएलओ ने लोगों से राय मांगी कि क्या उन्हें शांति बातचीत में शामिल होना चाहिए. ऐसे में, हम मानते हैं कि इन दो समूहों की ओर से भी सकारात्मक प्रगति हो सकती है और असम को स्थायी शांति मिलेगी जिसकी उसे दशकों से लालसा है.' मुख्यमंत्री ने जोर दिया कि विभिन्न जातीय समुदायों द्वारा छोटे-छोटे उग्रवादी संगठन बनाने का चलन अब लगभग समाप्त हो गया है. उन्होंने कहा, 'उदाहरण के लिए, हमने गोरखा समुदाय के सभी मुद्दों का हल किया. इसलिए अब सशस्त्र संघर्ष की कोई आवश्यकता नहीं है और इसीलिए यूजीपीओ ने आत्मसमर्पण कर दिया है.''

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सरमा ने रवा नेशनल लिबरेशन फ्रंट (आरएनएलएफ), आदिवासी ड्रैगन फाइटर (एडीएफ), नेशनल संथाल लिबरेशन आर्मी (एनएसएलए), नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ बंगाली (एनएलएफबी) तथा यूनाइटेड पीपुल्स रिवोल्यूशनरी फ्रंट (यूपीआरएफ) के आत्मसमर्पण करने वाले सदस्यों को डेढ़-डेढ़ लाख रुपये का वित्तीय अनुदान भी प्रदान किया. इन उग्रवादी समूहों ने 2020 में तत्कालीन मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल के सामने सामूहिक रूप से हथियार डाले थे. सरमा ने कहा कि सरकार का लक्ष्य आत्मसमर्पण करने वाले सभी उग्रवादियों का 10 मई तक पुनर्वास करना और उन्हें समाज का अभिन्न अंग बनाना है.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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