तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा (Dalai Lama) का लेह की सड़कों पर हजारों लोगों ने 10 किलोमीटर लंबी मानव श्रृंखला (Human chain) बनाकर स्वागत किया. तीन साल पहले लद्दाख के एक अलग केंद्र शासित प्रदेश के बनने के बाद दलाई लामा की यह पहली लद्दाख यात्रा है. लद्दाख पहुंचे 87 वर्षीय दलाई लामा ने कहा कि भारत और चीन दोनों प्रतिस्पर्धी देश हैं औक दोनों ही पड़ोसी देश हैं. दोनों के बीच चल रहे तनाव को बातचीत के द्वारा शांतिपूर्ण तरीके से निपटाना होगा. सेना के इस्तेमाल करने का तरीका अब पुराना हो गया है. दलाई लामा जम्मू-कश्मीर और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के दो दिवसीय आधिकारिक दौरे पर है.
गुरुवार को जम्मू में पत्रकारों से बात करते हुए दलाई लामा ने कहा था कि चीन में अधिकांश लोगों को यह अहसास है कि वह चीन के भीतर स्वतंत्रता की मांग नहीं कर रहे हैं, लेकिन वे लोग तिब्बती बौद्ध संस्कृति की सार्थक स्वायत्तता और संरक्षण चाहते हैं. दलाई लामा ने कहा, "मुझे चीनी लोग नहीं, बल्कि कुछ चीनी कट्टरपंथी अलगाववादी मानते हैं. अब, अधिक से अधिक चीनी यह महसूस कर रहे हैं कि दलाई लामा स्वतंत्रता की मांग नहीं कर रहे हैं, बल्कि चीन के भीतर सार्थक स्वायत्तता और तिब्बती बौद्ध संस्कृति को संरक्षित करना चाहते हैं." बता दें कि 2020 में COVID-19 महामारी के फैलने के बाद से धर्मशाला में अपने बेस के बाहर दलाई लामा का यह पहला आधिकारिक दौरा है. यह यात्रा जम्मू और कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद से इस क्षेत्र की उनकी पहली यात्रा है.
दलाई लामा की यह यात्रा भारत- चीन के बीच कोर कमांडर-स्तरीय बैठकों के 16वें दौर से ठीक तीन दिन पहले हो रही है. सूत्रों के अनुसार 17 जुलाई से दोनों देशों के बीच बैठकें शुरू होने की उम्मीद है. दलाई लामा ने कहा कि बड़ी संख्या में चीनी तिब्बती बौद्ध धर्म में रुचि दिखा रहे हैं. "कुछ चीनी विद्वानों ने महसूस किया है कि तिब्बती बौद्ध धर्म वास्तव में ज्ञान और परंपरा है और एक बहुत ही वैज्ञानिक धर्म है."
दलाई लामा की यह यात्रा चीन को परेशान करने वाली हो सकती है, क्योंकि इस यात्रा के पहले दलाई लामा के 87वें जन्मदिन पर पीएम मोदी ने उनका बधाई दी थी, जिस पर चीन ने आपत्ति जताते हुए दलाई लामा को अलगाववादी नेता बताया था. साथ ही चीन ने कहा गया था कि भारत को चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने के लिए तिब्बत से संबंधित मुद्दों का उपयोग करना बंद कर देना चाहिए. इसके जवाब में भारतीय विदेश मंत्रालय ने चीन की आलोचना की निंदा की थी और कहा था कि दलाई लामा को भारत में अतिथि के रूप में मानने की सरकार की नीति रही है.
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