ट्विटर इंडिया (Twitter India ) के प्रमुख मनीष माहेश्वरी (Manish Maheshwari) को अदालत में राहत मिल गई है. उन्हें गवाह के रूप में पेश होने के लिए, गवाही देने के लिए उत्तर प्रदेश जाने की जरूरत नहीं होगी. कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा है कि यूपी पुलिस का ट्विटर इंडिया के प्रमुख को नोटिस दुर्भावनापूर्ण है. समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक कर्नाटक हाईकोर्ट ने गाजियाबाद में एक बुजुर्ग व्यक्ति पर हमले से संबंधित एक वीडियो के संबंध में सीआरपीसी की धारा 41 ए के तहत ट्विटर इंडिया के एमडी मनीष माहेश्वरी को यूपी पुलिस की ओर से दिए गए नोटिस को खारिज कर दिया है. हाई कोर्ट ने यूपी पुलिस को वर्चुअल मोड के माध्यम से या उनके कार्यालय या घर पर जाकर उनका बयान दर्ज करने की अनुमति दी है.
ट्विटर इंडिया के प्रमुख मनीष माहेश्वरी को उत्तर प्रदेश पुलिस ने गाजियाबाद में एक मुस्लिम व्यक्ति पर हुए हमले के बारे में किए गए ट्वीट को लेकर पूछताछ के लिए बुलाया था. कर्नाटक उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को सोशल मीडिया के इस कार्यकारी को एक बड़ी राहत दी. कोर्ट ने कहा कि माहेश्वरी को गवाही देने के लिए यूपी की यात्रा करने की आवश्यकता नहीं है.
कर्नाटक हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि माहेश्वरी को जारी किया गया नोटिस “दुर्भावनापूर्ण” था. उन पर बाद में उत्तर प्रदेश पुलिस ने दंगा करने, दुश्मनी को बढ़ावा देने और आपराधिक साजिश के आरोप भी लगाए थे.
माहेश्वरी ने 23 जून को यूपी पुलिस के समन को चुनौती दी थी. उन्हें एक नोटिस दिए जाने के बाद लोनी पुलिस स्टेशन (दिल्ली-यूपी सीमा पर) पूछताछ के लिए बुलाया गया था. माहेश्वरी ने इससे पहले वीडियो कॉल के माध्यम से पूछताछ के लिए उपलब्ध होने की बात कही थी, लेकिन पुलिस ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था. पुलिस ने उनकी शारीरिक उपस्थिति पर जोर दिया.
एक बुजुर्ग व्यक्ति अब्दुल समद ने आरोप लगाया कि उन्हें कुछ लोगों ने पीटा और "जय श्रीराम" और "वंदे मातरम" का नारा लगाने के लिए मजबूर किया. इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब शेयर किया गया. इसके बाद ट्विटर इंडिया, कई पत्रकारों और कांग्रेस नेताओं के खिलाफ पिछले महीने एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी.
ट्विटर इंडिया को संबंधित पोस्टें हटाने का आदेश दिया गया था लेकिन शुरू में वह ऐसा करने में विफल रहा. यूपी पुलिस ने ट्विटर पर कुछ "आपत्तिजनक" ट्वीट्स को हटाने में विफल रहने का आरोप लगाया.
माहेश्वरी को तलब करने वाले नोटिस में कहा गया है, "अधिकारियों के कहने के बाद भी आप कुछ ट्वीट नहीं हटा सके. आप भारतीय कानूनों को समझें, उनका पालन करने के लिए बाध्य हैं."
पुलिस ने मामले में किसी भी "सांप्रदायिक कोण" से इनकार किया है. उसका दावा है कि आदमी को उसके द्वारा बेचे गए ताबीज को लेकर पीटा गया था. उसने आरोप लगाया कि मुस्लिम बुजुर्ग पर छह लोगों, हिंदू और मुस्लिम, ने हमला किया था और वे उन्हें जानते थे. हालांकि समद के परिवार ने पुलिस के दावों का खंडन किया है.