पीड़िता को राखी बांधने की शर्त पर छेड़छाड़ के आरोपी को बेल पर सवाल, सुप्रीम कोर्ट ने AG से मांगी मदद

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पीड़िता को राखी बांधने की शर्त के साथ यौन उत्पीड़न (Sexual exploitation) के आरोपी को जमानत देने के मामले में अटॉर्नी जनरल (Attorney General) केके वेणुगोपाल से मदद मांगी है. मध्य प्रदेश के इस मामले में 9 महिला वकीलों ने जमानत की शर्त को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. 

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नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पीड़िता को राखी बांधने की शर्त के साथ यौन उत्पीड़न (Sexual exploitation) के आरोपी को जमानत देने के मामले में अटॉर्नी जनरल (Attorney General) केके वेणुगोपाल से मदद मांगी है. मध्य प्रदेश के इस मामले में 9 महिला वकीलों ने जमानत की शर्त को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. महिला वकीलों ने कहा कि ऐसे आदेश महिलाओं को एक वस्तु की तरह दिखाते हैं.

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दरअसल, अप्रैल में पड़ोस में रहने वाली महिला के घर में घुसकर छेड़छाड़ के आरोप में जेल में बंद विक्रम बागरी ने इंदौर में जमानत याचिका दायर की थी. 30 जुलाई को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने छेड़छाड़ के एक आरोपी को सशर्त जमानत दी थी. इसमें एक शर्त यह थी कि आरोपी रक्षाबंधन पर पीड़ित के घर जाकर उससे राखी बंधवाएगा और रक्षा का वचन देगा. आरोपी विक्रम बागरी उज्जैन जेल में बंद है. सभी पक्षों के तर्क सुनने के बाद जस्टिस रोहित आर्या की सिंगल बेंच ने आरोपी को 50 हजार के मुचलके के साथ जमानत दी थी.

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सभी अदालतों के लिए निर्देश की मांग
याचिकाकर्ता वकीलों की तरफ से  पेश संजय पारिख ने कहा कि इस तरह कि शर्त वाले निर्देश के मामले में हम सिर्फ मध्य प्रदेश हाईकोर्ट नहीं, बल्कि सभी हाईकोर्ट और निचली अदालत के लिए निर्देश चाहते हैं. इस पर सुप्रीम कोर्ट‌ ने कहा कि हम अटॉर्नी जनरल को इस मामले में नोटिस जारी कर  रहे हैं. हम चाहते हैं अटॉर्नी इस मामले में अदालत का सहयोग करें. अटॉर्नी के ऑफिस के जवाब के बाद ही मामले पर दो नवंबर को सुनवाई  होगी.

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तस्वीरें कोर्ट की रजिस्ट्री में जमा कराने को कहा था
हाईकोर्ट ने शर्त रखी थी कि वह 3 अगस्त को रक्षाबंधन के दिन 11 बजे अपनी पत्नी को साथ लेकर पीड़ित के घर राखी और मिठाई लेकर जाएगा और पीड़िता से आग्रह करेगा कि वह उसे भाई की तरह राखी बांधे. इसी के साथ विक्रम पीड़ित की रक्षा का वचन देकर भाई के रूप में परम्परा अनुसार उसे 11 हजार रुपये देगा और पीड़िता के बेटे को भी 5 हजार रुपये कपड़े और मिठाई के लिए देगा. इतना ही नहीं, इस सबकी तस्वीरें रजिस्ट्री में जमा कराने के निर्देश भी कोर्ट ने दिए थे.

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