पेगासस जासूसी मामले में सुप्रीम कोर्ट की बेंच आज सुनाएगी फैसला

वकील एमएल शर्मा, माकपा सांसद जॉन ब्रिटास, पत्रकार एन राम, पूर्व आईआईएम प्रोफेसर जगदीप चोककर, नरेंद्र मिश्रा, परंजॉय गुहा ठाकुरता, रूपेश कुमार सिंह, एसएनएम आब्दी, पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा और एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने मामले में  याचिकाएं दाखिल की है. 

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नई दिल्‍ली:

पेगासस जासूसी केस (Pegasus Spyware Case) में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) आज फैसला सुनाएगा.मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ये फैसला सुनाएगी. बुधवार सुबह 10.30 बजे यह निर्णय सुनाया जाएगा. इस बेंच में  CJI एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली शामिल हैं. पेगासस कांड की जांच को लेकर 12 याचिकाएं दायर की गई थीं.माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट पेगासस केस की जांच के लिए एक्सपर्ट कमेटी गठित कर सकता है. केंद्र सरकार ने जनहित और राष्ट्र की सुरक्षा का हवाला देते हुए इस केस में विस्तृत हलफनामा दाखिल करने से इनकार किया था.गौरतलब है कि  वकील एमएल शर्मा, माकपा सांसद जॉन ब्रिटास, पत्रकार एन राम, पूर्व आईआईएम प्रोफेसर जगदीप चोककर, नरेंद्र मिश्रा, परंजॉय गुहा ठाकुरता, रूपेश कुमार सिंह, एसएनएम आब्दी, पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा और एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने इस मामले में  याचिकाएं दाखिल की है. 

सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने कहा कि सरकार इस मुद्दे को सनसनीखेज बनाने का जोखिम नहीं उठा सकती. नागरिकों की निजता की रक्षा करना भी सरकार की प्राथमिकता है, लेकिन साथ ही सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा को बाधित नहीं कर सकती. ऐसी सब तकनीक खतरनाक होती हैं. इंटरसेप्शन किसी तरह गैर कानूनी नहीं है. इन सबकी जांच एक विशेषज्ञ समिति से कराने दें.  इन डोमेन विशेषज्ञों का सरकार से कोई संबंध नहीं होगा. उनकी रिपोर्ट सीधे सुप्रीम कोर्ट के पास आएगी. केंद्र ने कहा कि हम हलफनामे के जरिए ये जानकारी सार्वजनिक नहीं कर सकते. अगर मैं कहूं कि मैं किसी विशेष सॉफ्टवेयर का उपयोग नहीं रहा हूं या इसका उपयोग नहीं कर रहा हूं तो यह आतंकवादी तत्वों को तकनीक का काट लाने का मौका देगा. 

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस मुद्दे पर केंद्र सरकार से नाराजगी जताई. CJI रमना ने कहा  कि आप बार-बार उसी बात पर वापस जा रहे हैं.  हम जानना चाहते हैं कि सरकार क्या कर रही है. हम राष्ट्रीय हित के मुद्दों में नहीं जा रहे हैं. हमारी सीमित चिंता लोगों के  के बारे में है. समिति की नियुक्ति कोई मुद्दा नहीं है. हलफनामे का उद्देश्य यह होना चाहिए ताकि पता चले कि आप कहां खड़े हैं. संसद में आपके अपने आईटी मंत्री के बयान के अनुसार कि फोन का तकनीकी विश्लेषण किए बिना आकलन करना मुश्किल है.CJI ने 2019 में तत्कालीन आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद के बयान का हवाला दिया. उसमें भारत के कुछ नागरिकों की जासूसी का अंदेशा जताया गया था. मेहता ने वर्तमान आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव के संसद में दिए बयान का हवाला दिया. सरकार ने किसी भी तरह की जासूसी का खंडन किया है.सीजेआई ने आगे कहा कि हमने केंद्र को हलफनामे के लिए बार-बार मौका दिया. अब हमारे पास आदेश जारी करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है.समिति नियुक्त करना या जांच करना यहां सवाल नहीं है अगर आप हलफनामा दाखिल करते हैं तो हमे पता चलेगा कि आपका स्टैंड क्या है.

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याचिकाकर्ता एन राम के लिए वकील कपिल सिब्बल  ने कहा कि ये सरकार की ज़िम्मेदारी है कि वो जवाब दे .नागरिकों की निजता का संरक्षण करने सरकार का कर्तव्य है. स्पाइवेयर पूरी तरह अवैध है. अगर सरकार अब कहती है कि हलफनामा दाखिल नहीं करेगी तो माना जाना चाहिए कि पेगासस का अवैध इस्तेमाल हो रहा है.इससे पहले सुनवाई में केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि इस संबंध में विस्तृत हलफनामा दाखिल करने पर विचार किया जा रहा है. मामलेमें सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था.पीठ ने कहा था कि वह मामले के सभी पहलुओं को देखने के लिए विशेषज्ञों की समिति बनाने के केंद्र के प्रस्ताव की जांच करेगी. वहीं,  केंद्र सरकार का बार-बार यह कहना था कि सुरक्षा उद्देश्यों के लिए फोन को इंटरसेप्ट करने के लिए किस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया गया. इसका सार्वजनिक तौर पर खुलासा नहीं किया जा सकता. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क दिया कि सुरक्षा और सैन्य एजेंसियों द्वारा राष्ट्रविरोधी और आतंकवादी गतिविधियों की जांच के लिए कई तरह के सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जाता है.उन्होंने कहा कि कोई भी सरकार यह सार्वजनिक नहीं करेगी कि वह किस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर रही है ताकि आतंकी नेटवर्क अपने सिस्टम को मॉडिफाई कर सकें और ट्रैकिंग से बच सकें.  सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार, निगरानी के बारे में सभी तथ्यों को एक विशेषज्ञ तकनीकी समिति के समक्ष रखने के लिए तैयार है, जो अदालत को एक रिपोर्ट दे सकती है . शीर्ष अदालत के उस सवाल पर कि क्या केंद्र एक विस्तृत हलफनामा दायर करने के लिए तैयार है, मेहता ने कहा कि दायर दो पृष्ठ का हलफनामा याचिकाकर्ता एनराम और अन्य द्वारा उठाई गई चिंताओं का पर्याप्त रूप से जवाब देता है.

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याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और अन्य ने कहा कि हम भी नहीं चाहते कि सरकार, राज्य की सुरक्षा के बारे में कोई जानकारी दें. अगर पेगासस को एक तकनीक के रूप में इस्तेमाल किया गया तो उन्हें जवाब देना होगा. पीठ ने कहा कि हम चर्चा करेंगे कि क्या करने की जरूरत है. हम गौर करेंगे कि अगर विशेषज्ञों की समिति या कोई अन्य समिति बनाने की जरूरत है. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा था कि याचिकाओं में लगाए गए सभी आरोप निराधार और बेबुनियाद है. केंद्र ने कहा था कि विशेषज्ञों की एक कमेटी इस पूरे मामले की जांच करेगी .केंद्र ने अब सुप्रीम कोर्ट में कहा कि  स्पाइवेयर पेगासस के कथित इस्तेमाल की जांच की मांग वाली याचिकाओं पर वो एक विस्तृत हलफनामा दाखिल नहीं करने जा रहा है. दो बार समय लेने के बाद केंद्र सरकार ने रुख बदला. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि याचिकाकर्ताओं ने अवैध तरीके से इंटरसेप्ट करने की जांच की मांग की है. हमने हलफनामा भी दाखिल किया था. सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि केंद्र सरकार का स्टैंड यह है कि किसी विशेष सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया गया था या नहीं, यह एक हलफनामे या अदालत या सार्वजनिक रूप में बहस का विषय नहीं हो सकता, क्योंकि इस मुद्दे के अपने नुकसान हैं. सॉलिसिटर जनरल का कहना है कि केंद्र सरकार पेगासस स्पाइवेयर के इस्तेमाल पर हलफनामा दाखिल नहीं करना चाहती है. तुषार मेहता ने कहा कि हम इसे व्यापक जनहित और राष्ट्र की सुरक्षा में एक हलफनामे में नहीं रखना चाहेंगे.

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