सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अशोक भूषण हुए सेवानिवृत, कोरोना से हुई मौत पर मुआवजा आखिरी फैसला

जस्टिस भूषण ऐतिहासिक अयोध्या फैसले का हिस्सा भी रहे थे . उन्होंने कोविड काल में जस्टिस एमआर शाह के साथ कोविड पर दाखिल याचिकाओं पर भी सुनवाई की.

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नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अशोक भूषण सेवानिवृत्त हो गए हैं. कोरोना से हुई मौत पर मुआवजे का आदेश उनका आखिरी फैसला है. बुधवार को उनका सुप्रीम कोर्ट में आखिरी कार्यदिवस रहा. वैसे वह 4 जुलाई को सेवानिवृत्त होंगे, लेकिन मां के निधन होने के कारण वह छुट्टी पर रहेंगे. जस्टिस भूषण ऐतिहासिक अयोध्या फैसले का हिस्सा भी रहे थे . उन्होंने कोविड काल में जस्टिस एमआर शाह के साथ कोविड पर दाखिल याचिकाओं पर भी सुनवाई की.

उन्होंने 2020 में और फिर मंगलवार को प्रवासी मजदूरों के लिए बड़ा फैसला सुनाया. कोविड के चलते लोन मोरेटोरियम और अस्पतालों में कोरोना मरीजों के बेहतर इलाज और शवों के अंतिम संस्कार के मुद्दों पर सुनवाई कर आदेश जारी किए . सुप्रीम कोर्ट में आज विदाई के दौरान CJI एनवी रमना ने कहा- जस्टिस भूषण के फैसले उनके कल्याणकारी और मानवतावादी दृष्टिकोण के सबूत हैं. वहीं जस्टिस भूषण ने कहा कि न्यायपालिका से जुड़ने के कारण वो गर्व महसूस करते हैं.

बता दें कि आज सुप्रीम कोर्ट ने कोविड पीड़ितों को मुआवजा देने के लिए गाइडलाइन तैयार करने के आदेश दिए हैं.  सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोविड पीड़ितों को अनुग्रह राशि सहित राहत के न्यूनतम मानक प्रदान करना राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के लिए वैधानिक रूप से अनिवार्य है. अनुग्रह राशि प्रदान न करके NDMA अपने वैधानिक कर्तव्य का निर्वहन करने में विफल रहा है. कोर्ट ने केंद्र को COVID पीड़ितों के परिवारों को मुआवजा देने के लिए दिशानिर्देश तैयार करने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि  राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा तय किया जाएगा कि पीड़ितों को कितनी राशि दी जाए. 6 हफ्ते में गाइडलाइन तैयार की जाएगी.

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कोविड से हुई मौत पर चार लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार किया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालत के लिए ये वाजिब नहीं है कि वो सरकार को एक निश्चित राशि का मुआवजा देने के आदेश दे . सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इससे भी इनकार नहीं किया जा सकता कि अगर चार लाख रुपये मुआवजा दिया जाता है तो इससे सरकार को आर्थिक दिक्कत हो सकती है. ये प्राधिकरण पर है कि वो इसके लिए मुआवजा तय करे. SC ने कहा कि NDMA छह हफ्ते के भीतर गाइडलाइन तैयार करेगा. कोविड पीड़ितों के मृत्यु प्रमाण पत्र पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मृत्यु प्रमाण पत्र में मौत और मृत्यु का कारण होगा. परिवार के संतुष्ट न होने पर मृत्यु के कारण को ठीक करने के लिए तंत्र भी होना चाहिए.

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