राजद्रोह कानून को रद्द करने का कोई प्रस्ताव नहीं: सरकार ने दी जानकारी

गृह मंत्रालय ने सूचित किया है कि आईपीसी 1860 की धारा 124ए को समाप्त करने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है.

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भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए को हटाने का कोई भी प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है
नई दिल्ली:

कानून मंत्री किरेन रिजिजू (Kiren Rijiju) ने लोकसभा में बताया है कि गृह मंत्रालय के पास राजद्रोह से निपटने वाली आईपीसी (IPC)  की धारा 124ए को खत्म करने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है. धारा 124 ए के संबंध में "कानून का प्रश्न" सुप्रीम कोर्ट के सामने विचाराधीन है. "गृह मंत्रालय ने सूचित किया है कि भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 124ए को समाप्त करने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है. रिजिजू ने कहा कि गृह मंत्रालय ने सूचित किया है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए को हटाने का कोई भी प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है.

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एआईयूडीएफ (AIUDF) के नेता बदरुद्दीन अमजल ने सवाल किया कि क्या उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में राजद्रोह से संबंधित कानून को औपनिवेशिक करार दिया है और कहा है कि इस कानून का दुरुपयोग हो रहा है? क्या न्यायालय ने सरकार से इस कानून की जरूरत और वैधता को लेकर सरकार से जवाब मांगा है? इसके जवाब में विधि मंत्री ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय के किसी फैसले या आदेश में ऐसी टिप्पणी नहीं है.''

राजद्रोह के कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका

इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन ने देशद्रोह कानून को रद्द करने की वकालत की थी. जस्टिस नरीमन ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट को देशद्रोह कानून को रद्द करना चाहिए. गैरकानूनी गतिविधियों को लेकर UAPA कानून के भी कुछ हिस्सों को रद्द करने की मांग उन्होंने की . विश्वनाथ पसायत स्मृति समिति द्वारा आयोजित एक समारोह में जस्टिस आरएफ नरीमन ने अपने भाषण में कहा था ''मैं सुप्रीम कोर्ट  से आग्रह करूंगा कि वह उसके सामने लंबित देशद्रोह कानून के मामलों को वापस केंद्र के पास न भेजे. सरकारें आएंगी और जाएंगी, अदालत के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह अपनी शक्ति का उपयोग करे और धारा 124 ए और यूएपीए के कुछ  हिस्सों को खत्म करे, फिर यहां के नागरिक ज्यादा खुलकर सांस लेंगे.

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