मेघालय : कोनराड संगमा सरकार को कांग्रेस के समर्थन को तृणमूल ने "घोर विश्वासघात" बताया

कांग्रेस ने मुख्यमंत्री कोनराड संगमा के साथ सीएलपी (कांग्रेस विधायक दल) की बैठक के बाद उन्हें "मुद्दों पर आधारित समर्थन" की पेशकश की, जबकि मेघालय सरकार में बीजेपी भी शामिल है

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कांग्रेस विधायक दल के नेताओं के साथ कोनराड संगमा (फाइल फोटो).
शिलांग, मेघालय:

मेघालय कांग्रेस के राज्य के भाजपा-कोनराड संगमा गठबंधन को "मुद्दों पर आधारित समर्थन" देने के अभूतपूर्व कदम का तृणमूल कांग्रेस ने विरोध किया है. हाल ही में तृणमूल में शामिल हुए राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री मुकुल संगमा ने कांग्रेस, जो राष्ट्रीय स्तर पर मुख्य विपक्षी दल भी है, के प्रस्ताव को  "घोर विश्वासघात" बताया. मुकुल संगमा के नेतृत्व में अपने 17 विधायकों के तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने के बाद कमजोर हुई कांग्रेस ने स्वीकार किया है कि "उसकी विपक्ष में पहचान पहले से ही बहुत धुंधली और भ्रमित करने वाली है." शुक्रवार को कांग्रेस विधायक दल की बैठक के बाद पार्टी के बाकी पांच विधायक गए और मुख्यमंत्री कोनराड संगमा से मुलाकात की. इससे सरकार और विपक्ष के बीच की रेखा कुछ धुंधली हो गई.

वरिष्ठ कांग्रेस नेता मनीष तिवारी, जो पार्टी के मेघालय प्रभारी हैं, ने कहा, "कांग्रेस रहेगी और विपक्ष की भूमिका निभाएगी. समर्थन की पेशकश राज्य के विकास के मुद्दों पर है."

संगमा ने कहा, "यह इस तथ्य का प्रतिबिंब है कि मेघालय राज्य में कांग्रेस पूरी तरह से अस्त-व्यस्त है... वे भ्रम के शिकार हैं." उन्होंने कहा, "सत्तारूढ़ नेशनल पीपुल्स पार्टी के साथ जुड़कर, जो कि एनडीए की भागीदार है और सरकार को मुद्दे-आधारित समर्थन की पेशकश करके, जिसमें भाजपा एक भागीदार है, कांग्रेस ने एक ऐसी स्थिति पैदा कर दी है जो विपक्ष के साथ एक बड़ा विश्वासघात है." 

इस कदम का दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी मजाक उड़ाया. उन्होंने ट्वीट किया, "मेघालय में कांग्रेस और भाजपा एक ही सरकार का हिस्सा हैं?"

शुक्रवार की बैठक के बाद कांग्रेस विधायक दल के नेता अम्पारेन लिंगदोह ने कहा कि यह "उन मुद्दों पर समर्थन होगा जो आम जनता से संबंधित हैं और जहां सरकार और विपक्ष दोनों को उन्हें हल करने के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता है." सीएलपी नेता ने कहा, "हम देखेंगे कि सरकार को दिया गया यह प्रस्ताव कैसे काम करता है. हालांकि विपक्ष में हमारी पहचान पहले से ही बहुत धुंधली और भ्रमित करने वाली है. हमें यह भी नहीं पता कि हमें विपक्ष में इतने पदों पर फिर से विचार करना होगा जो कि अब खाली हो सकते हैं." 

कांग्रेस ने मुकुल संगमा और तृणमूल में शामिल होने वाले विधायकों के समूह को अयोग्य घोषित करने की मांग की है. इसका निर्णय अध्यक्ष के पास लंबित है. स्पीकर मेटबाह लिंगदोह 12 विधायकों और तृणमूल के वरिष्ठ नेता अभिषेक बनर्जी के पत्रों की जांच कर रहे हैं. बनर्जी ने उन्हें पार्टी में स्वीकार किए जाने की सूचना दी है. लिंगदोह ने संकेत दिया है कि उन्हें इस मामले में कोई अनियमितता नहीं मिली है.

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यदि अध्यक्ष ने उन्हें अयोग्य घोषित करने से इनकार कर दिया तो तृणमूल राज्य में प्रमुख विपक्षी दल की स्थिति में आ जाएगी और कांग्रेस राज्य विधानसभा में हाशिए पर आ जाएगी. साल 2018 के चुनावों के बाद कांग्रेस को 60 सदस्यीय विधानसभा में 21 सीटें मिली थीं. मुकुल संगमा के जाने से पहले तीन विधायकों की मृत्यु हो गई और एक एनपीपी में शामिल हो गया.

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