कृषि कानून के मसले पर SC द्वारा गठित पैनल की रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए, CJI को लिखी गई चिट्ठी

समिति के सदस्य अनिल घनवत ने सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश रमना से आग्रह किया है कि कृषि कानूनों पर समिति की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए.

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नई दिल्ली:

कृषि कानून (Farm Laws) मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा तीन कानूनों पर गठित समिति के सदस्य ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) एनवी रमना को चिट्ठी लिखी है. समिति के सदस्य अनिल घनवत (Anil Ghanwat) ने सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश रमना से आग्रह किया है कि कृषि कानूनों पर समिति की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए. इस पर सार्वजनिक रूप से बहस हो. चिट्ठी में कहा गया है कि कृषि कानूनों पर समिति की रिपोर्ट अभी तक जनता के लिए जारी नहीं की गई है. धनवत ने यह भी कहा है कि उन्हें इस बात का दुख है कि किसानों द्वारा उठाया गया मुद्दा अभी तक हल नहीं हुआ है.

अपनी चिट्ठी में शेतकारी संगठन के अध्यक्ष घनवंत ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने तीन कृषि कानूनों के कार्यान्वयन को निलंबित कर दिया था और 12 जनवरी 2021 को इन कानूनों पर रिपोर्ट करने के लिए एक समिति का गठन किया. समिति को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए दो महीने का समय दिया गया था. समिति ने बड़ी संख्या में किसानों और कई हितधारकों से परामर्श करने के बाद 19 मार्च 2021 को निर्धारित समय से पहले अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की. समिति ने किसानों को अधिक से अधिक लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से सभी हितधारकों की राय और सुझावों को शामिल किया. रिपोर्ट में किसानों की सभी आशंकाओं का समाधान किया गया है. 

उन्होंने पत्र में कहा कि समिति को विश्वास था कि इन सिफारिशों से चल रहे किसान आंदोलन के समाधान का मार्ग प्रशस्त होगा. समिति के सदस्य के रूप में, विशेष रूप से किसान समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हुए, मुझे इस बात का दुख है कि किसानों द्वारा उठाया गया मुद्दा अभी तक हल नहीं हुआ है और आंदोलन जारी है. मुझे लगता है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा रिपोर्ट पर कोई ध्यान नहीं दिया गया है. माननीय सुप्रीम कोर्ट से नम्रतापूर्वक निवेदन कर रहा हूं कि किसानों की संतुष्टि के लिए गतिरोध के शांतिपूर्ण समाधान के लिए इसकी सिफारिशों को लागू करने के लिए कृपया रिपोर्ट जल्द से जल्द सार्वजनिक रूप से जारी करें.

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नए कृषि कानूनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर से बनाई गई तीन सदस्यों वाली विशेषज्ञ कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी थी. इसको लेकर कमेटी ने प्रेस विज्ञप्ति के जरिए और जानकारी सार्वजनिक करने की बात भी कही थी, लेकिन फिर कुछ भी सार्वजनिक नहीं हुआ.  

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सुप्रीम कोर्ट की तरफ से नियुक्त की गई कमेटी में कृषि विशेषज्ञ और शेतकारी संगठनों से जुड़े अनिल धनवत, अशोक गुलाटी और प्रमोद जोशी शामिल किए गए थे. घनवत के अलावा कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी और प्रमोद कुमार जोशी समिति के अन्य सदस्य बनाए गए. हालांकि, बेहतर समन्वय की दृष्टि से आंदोलनकारी किसानों की ओर से किसान नेता बीएस मान को भी समिति में शामिल किया गया था, लेकिन मान ने विरोध के चलते कमेटी में शामिल होने से इंकार कर दिया. किसान संगठन इस समिति का विरोध करते रहे. उनका कहना है कि इसके सदस्य पहले ही कृषि कानूनों का समर्थन कर चुके हैं. 

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आपको बता दें कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले साल नवंबर से किसान संगठन प्रदर्शन कर रहे हैं. दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर किसान डेरा जमाए हुए हैं और तीनों कृषि कानूनों को वापस लिए जाने और एमएसपी पर कानून बनाए जाने की मांग पर अड़े हुए हैं. इस कमेटी के लोगों ने देश के अलग-अलग किसान संगठनों से वार्ता की. हालांकि, कानून वापसी की मांग कर रहे किसान संगठन इस कमेटी के औचित्य पर ही सवाल उठाते रहे हैं.

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