सूडान में फंसे नागरिकों को कैसे रेस्क्यू कर रहा है भारत? केंद्रीय मंत्री ने बताया- किन देशों से मिल रही मदद

Operation Kaveri: सूडान में मिलिट्री और पैरामिलिट्री के बीच वर्चस्व की लड़ाई चल रही है. इस देश में करीब 3500 भारतीय मौजूद थे. इनमें से 1360 को 'ऑपरेशन कावेरी' के तहत वापस लाया जा चुका है.

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'ऑपरेशन कावेरी' के तहत 362 भारतीय बेंगलुरु पहुंच चुके हैं.

जेद्दा/नई दिल्ली:

अफ्रीकी देश सूडान गृहयुद्ध (Sudan Crisis 2023) का सामना कर रहा है. वहां के हालात बिगड़ते जा रहे हैं. इस बीच भारत 'ऑपरेशन कावेरी' (India Operation Kaveri) के जरिए अपने नागरिकों को वापस ला रहा है. सूडान से अब तक कुल 1360 भारतीय नागरिकों को देश वापस लाया जा चुका है. शुक्रवार को हमारे कुल 754 नागरिक भारत पहुंचे. विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने NDTV को दिए एक खास इंटरव्यू में संघर्ष-ग्रस्त सूडान से फंसे नागरिकों को निकालने के लिए 'ऑपरेशन कावेरी' के बारे में विस्तार से जानकारी दी है.

सूडान की राजधानी खार्तूम और पड़ोसी क्षेत्रों में सेना और अर्धसैनिक रैपिड सपोर्ट फोर्स (RSF) के बीच 15 अप्रैल से संघर्ष जारी है. सड़कों पर लड़ाई के पहले दिन कई विमान क्षतिग्रस्त हो गए. भारतीयों को उस हवाई अड्डे से बाहर निकालना संभव नहीं था. ऐसे में भारतीय वायुसेना और नौसेना ने कैसे रेस्क्यू ऑपरेशन को पूरा किया? इस सवाल के जवाब में मुरलीधरन कहते हैं, "रेस्क्यू किए गए कई भारतीयों ने बताया कि उन्हें मौत के जबड़े से बाहर निकाला गया और पोर्ट सूडान में सुरक्षित केंद्रों पर पहुंचाया गया. पोर्ट सूडान से इन लोगों को सऊदी अरब के जेद्दाह ले जाया गया. भारत ने जेद्दाह में ट्रांजिट पॉइंट बनाया है."

केंद्रीय मंत्री ने NDTV को बताया, "भारतीयों के पहले जत्थे ने सीजफायर की घोषणा से पहले ही यात्रा शुरू कर दी थी. सीजफायर के दौरान भी कई जगहों में झड़पें होती रहीं. इन खतरों के बावजूद भारतीय दूतावास हमारे लोगों को खार्तूम से पोर्ट सूडान ले गया." केंद्रीय मंत्री मुरलीधरन सूडान में भारतीयों के निकासी की कोशिशों की अगुवाई करने वाले प्रमुख अधिकारियों में एक हैं.

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सूडान में 72 घंटे का सीजफायर
कई बार सीजफायर लगने और उसका उल्लंघन होने के बीच सूडान में मिलिट्री और पैरामिलिट्री ने फिर से 72 घंटे के सीजफायर की घोषणा की है. सऊदी अरब और अमेरिका की तरफ से लगातार लड़ाई रुकवाने की कोशिशों के बीच ये घोषणा की गई.

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क्यों हो रहा सूडान में संघर्ष?
सूडान में मिलिट्री और पैरामिलिट्री के बीच वर्चस्व की लड़ाई चल रही है. सबसे पहले 2019 में सूडान के तत्कालीन राष्ट्रपति ओमर अल-बशीर को सत्ता से हटाने के लिए लोगों ने प्रदर्शन किया. फिर अप्रैल 2019 में सेना ने राष्ट्रपति को हटाकर तख्तापलट कर दिया, लेकिन इसके बाद लोग लोकतांत्रिक शासन और सरकार में अपनी भूमिका की मांग करने लगे. इसके बाद सूडान में एक जॉइंट सरकार का गठन हुआ, जिसमें देश के नागरिक और मिलिट्री दोनों का रोल था. 2021 में यहां दोबारा तख्तापलट हुआ और सूडान में मिलिट्री रूल शुरू हो गया.

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सिविलियन रूल लागू करने की डील को लेकर संघर्ष
आर्मी चीफ जनरल अब्देल फतह अल-बुरहान देश के राष्ट्रपति और RSF लीडर मोहम्मद हमदान डागालो उपराष्ट्रपति बन गए. इसके बाद से RSF और सेना के बीच संघर्ष जारी है. सिविलियन रूल लागू करने की डील को लेकर मिलिट्री और RSF आमने-सामने हैं.

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भारतीयों के लिए सेफ रूट को लेकर भारत ने सूडान में युद्धरत समूहों के साथ वास्तव में कैसे बात की? इस सवाल का जवाब देने ने मुरलीधरन ने इनकार कर दिया. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत और सूडान के बीच मजबूत संबंध हैं. रेस्क्यू ऑपरेशन में इसने अच्छी भूमिका निभाई है.

सूडान के साथ भारत के मजबूत रिश्ते
मुरलीधरन ने NDTV को बताया, "मैं निश्चित रूप से आपको बता सकता हूं कि भारत सूडान के साथ एक बहुत मजबूत विकास साझेदारी साझा करता है. इसलिए सूडान में रहने वाले दोनों देश और भारतीय संपर्क में थे." मुरलीधरन ने कहा कि निकासी के प्रयास में सऊदी अरब बेहद मददगार रहा है.

सऊदी अरब कर रहा को-ऑपरेट
उन्होंने आगे बताया, "सऊदी अरब के जेद्दाह में एक कंट्रोल रूम बनाया गया है. भारतीय वायुसेना के विमान जेद्दाह में किंग अब्दुल्ला एयर बेस में खड़े हैं. वे पिछले चार दिनों से वहां से काम कर रहे हैं. निश्चित रूप से सऊदी अधिकारी हमारे साथ को-ऑपरेट कर रहे हैं. वे बहुत गर्मजोशी से पेश आ रहे हैं. हमारे देखभाल, खाने-पीने और इमिग्रेशन प्रक्रियाओं में मदद कर रहे हैं."

बता दें कि 'ऑपरेशन कावेरी' के तहत 362 भारतीय बेंगलुरु पहुंच चुके हैं. इन्हें सऊदी अरब के जेद्दाह से भारत लाया गया. बुधवार को 360 और गुरुवार को 246 भारतीयों को स्वदेश लाया गया था. सूडान में करीब 3500 भारतीय मौजूद थे. इनमें से 1360 को वापस लाया जा चुका है.

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