आतंकी गोली बरसा रहे थे और दौड़ा दिया दिमाग, पढ़िए 6 सैलानियों ने कैसे बचाई अपनी जान

 तमिलनाडु के उस्मान छह लोगों के ग्रुप में कश्मीर घूमने गए थे. मंगलवार को बैसरन में आतंकवादियों की गोलीबारी के बीच वे लोग कैसे अपनी जान बचाने में कामयाब रहे, उनका हर एक कदम डिटेल में जानें

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पहलगाम में 6 पर्यटकों ने कैसे बचाई अपनी जान.

चेन्नई:

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम (Pahalgam Terrorist Attack) में 22 अप्रैल को जो हुआ, उसने ऐसे जख्म दिए हैं, जिसे पूरा देश कभी नहीं भुला सकेगा. आतंकी हमले में 26 लोगों की जान चल गई, जिसमें ज्यादातर पर्यटक थे. आतंकी जब वहां मौत बरसा रहे थे उस दौरान तमिलनाडु के 6 सैलानी अपनी जान बचाने में कामयाब हो गए. आखिर कैसे ये लोग आतंकियों के कोहराम के बीच बचकर वहां से बच निकले, डिटेल में जानिए.

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सैयद उस्मान ने दिमाग दौड़ाया, बचा ली जान

तमिलनाडु के गिंगी के 45 साल के सैयद उस्मान पहलगाम के खूबसूरत बैसरन में टहल कर वहां की वादियों का आनंद ले ही रहे थे, उसी दौरान गोलियों की तड़तड़ाहट उनके कानों में पड़ी. घाटी में हर तरफ खतरा! खतरा! का शोर गूंज उठा.  उनका घोड़े वाला एक दम से चिल्लाया-भागो-भागो (अपनी जान बचाओ). उसकी आवाज सुनते ही उस्मान और उनके दोस्त एक खाई में कूद गए. इसी एक पल के फैसले ने उनकी जान बचा ली. 

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 तमिलनाडु के 6 पर्यटकों का भयानक अनुभव

 तमिलनाडु के रहने वाले उस्मान छह लोगों के ग्रुप में कश्मीर घूमने गए थे. मंगलवार को बैसरन में आतंकवादियों की गोलीबारी में वह बाल-बाल बच गए.  एक खूबसूरत छुट्टी का उनका सपना अब एक भयानक अनुभव में बदल चुका है. उन्होंने बताया कि वे लोग शनिवार से ही कश्मीर की वादियों को एंजॉय कर रहे थे. पहले वह गुलमर्ग गए और फिर वहां से श्रीनगर. रविवार रात को वे सभी अनंतनाग पहुंचे. मंगलवार सुबह, करीब 10 बजे वे सभी पहलगाम गए. उनके ग्रुप के लोग 6 घोड़ों पर सवार होकर दोपहर 12.45 बजे बैसरन के मैदान में पहुंचा. ये सभी लोग बर्फ देखना चाहते थे. इसीलिए सभी ने कुछ समय वहां रुकने के बाद दोपहर 2 बजे ऊपर चढ़ना शुरू कर दिया.

आतंकियों की गोलीबारी से कैसे बचे उस्मान और उनके दोस्त?

उस्मान ने बताया कि एंट्री और एग्जिट पॉइंट एक ही था. जबकि रास्ते में 300 से ज्यादा घोडों की भीड़ थी. रास्ते में घुटनों तक कीचड़ था.  उनके घोड़ा हैंडलर कहा कि वह पास की एक संकरी गली में आ जाएं, वह घोड़े के साथ वहीं पर इंतजार कर रहा था. तभी अचानक गोलियों की आवाज़ सुनाई दी. उनको अन्य दोस्त अभी भी घोड़े पर ही थे. पहले उनको लगा कि पटाखों की आवाज है लेकिन इस बीच लोग ख़तरा! ख़तरा! चिल्लाने लगे और हैंडलर चिल्लाया भागो, भागो. बस फिर क्या थे वे सभी वहां से भागने लगे. 

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उस्मान ने बताया कि वे सभी उसी इलाके से होकर गुजर रहे थे, जहां पर गोलीबारी हुई थी. उन्होंने तुरंत तमिलनाडु हाउस हेल्पलाइन से संपर्क किया. कुछ ही घंटों में एक कार उनके होटल के बाहर पहुंच गई. गुरुवार शाम तक वह एयरपोर्ट पहुंच गए और अपनी फ्लाइट का इंतजार कर रहे थे. इस बीच उनका परिवार बहुत ही चिंता में था. हालांकि इस खतरनाक मंजर के बीच वे सभी वहां से जिंदा बच निकलने में कामयाब हो गए. 
 

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