एक शोध में छिपी हुई पेट की चर्बी (जिसे विसरल फैट कहा जाता है) और ब्रेन में असामान्य प्रोटीन के बीच एक संबंध पाया गया है, जो अल्जाइमर रोग के लक्षण हैं. आंत की चर्बी (Visceral Fat) आंतरिक अंगों जैसे कि लिवर, हार्ट, किडनी और आंतों के मेसेंट्री के चारों ओर फैट के जमाव से है. त्वचा के नीचे स्थित सबक्यूटेनियस फैट के विपरीत, विसरल फैट मेटाबॉलिज्म रूप से सक्रिय होता है और हेल्थ रिस्क पैदा करता है. रेडियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ नॉर्थ अमेरिका (आरएसएनए) की चल रही वार्षिक बैठक में प्रस्तुत किए गए शोध से पता चला है कि आंत की चर्बी मनोभ्रंश के शुरुआती लक्षण दिखने से 20 साल पहले तक अल्जाइमर के जोखिम का अनुमान लगा सकती है.
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किन लोगों पर किया गया अध्ययन?
अध्ययन में 80 संज्ञानात्मक रूप से सामान्य मध्यम आयु वर्ग के व्यक्ति (औसत आयु: 49.4 साल) शामिल थे, जिनमें से लगभग 57.5 प्रतिशत मोटे थे, और प्रतिभागियों का औसत बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) 32.31 था. सेंट लुईस मिसौरी में वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने अल्जाइमर रोग में एमिलॉइड और टाऊ जमाव के साथ बीएमआई, विसरल फैट, सबक्यूटेनियस फैट, लिवर फैट फ्रैक्शन, जांघ की चर्बी और मांसपेशियों के साथ-साथ इंसुलिन रेजिस्टेंस और एचडीएल (गुड कोलेस्ट्रॉल) के संबंध का अध्ययन किया.
शोधकर्ताओं ने क्या कहा?
आंत का फैट का हाई एमिलॉइड से संबंधित था, जो एमिलॉइड संचय पर हाई बीएमआई के प्रभाव का 77 प्रतिशत था. टीम ने कहा कि अन्य प्रकार की चर्बी मोटापे से संबंधित अल्जाइमर रोग के बारे में नहीं बताती है.
सेंट लुइस, मिसौरी में वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन में मैलिनक्रोड्ट इंस्टीट्यूट ऑफ रेडियोलॉजी (एमआईआर) में पोस्ट डॉक्टरल रिसर्च एसोसिएट और प्रमुख अध्ययन लेखक महसा दौलतशाही ने कहा, "हमारे अध्ययन से पता चला है कि आंत का फैट अल्जाइमर रोग के दो हॉलमार्क पैथोलॉजिकल प्रोटीन एमिलॉइड और टौ के हाई पीईटी लेवलों से जुड़ा था."
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पेट की चर्बी कम करने में अल्जाइमर का रिस्क होगा कम:
अध्ययन ने यह भी दिखाया कि हाई इंसुलिन रेजिस्टेंस और लो एचडीएल ब्रेन में हाई एमिलॉइड से जुड़े थे. हाई एचडीएल वाले लोगों में एमिलॉइड पैथोलॉजी पर आंत की चर्बी के प्रभाव आंशिक रूप से कम हो गए थे. टीम ने पेट की चर्बी कम करने और अल्जाइमर रोग के विकास को कम करने के लिए लाइफस्टाइल में बदलाव करने को कहा.
डॉ. दौलतशाही ने कहा, "यह अध्ययन एमआरआई के साथ शरीर के फैट को ज्यादा सटीक रूप से चिह्नित करने के लिए बीएमआई का उपयोग करने से आगे जाता है और ऐसा करने से इस बारे में बड़ी जानकारी मिलती है कि मोटापा अल्जाइमर रोग के जोखिम को कैसे बढ़ा सकता है."
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