Health Experts on Chandipura Virus: क्या महामारी का रूप ले सकता है चांदीपुरा वायरस? जानिए इस बारे में क्या कह रहे हैं एक्सपर्ट्स

Causes of Chandipura Virus: चांदीपुरा वायरस और इसके लक्षण और बचाव के तरीकों को समझने के लिए एनडीटीवी ने नोएडा के फेलिक्स हॉस्पिटल के चेयरमैन डॉ. डीके गुप्ता से बातचीत की है.

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चांदीपुरा वायरल के बारे में क्या कहते हैं एक्सपर्ट, जानें

Health Experts on Chandipura Virus: गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में चांदीपुरा वायरस का कहर बढ़ते जा रहा है. सैंडफ्लाइज से फैलना वाला यह संक्रमण बच्चों को सबसे ज्यादा अपना शिकार बनाता है. चांदीपुरा वायरस और इसके लक्षण और बचाव के तरीकों को समझने के लिए एनडीटीवी ने नोएडा के फेलिक्स हॉस्पिटल के चेयरमैन डॉ. डीके गुप्ता से बातचीत की है.

डॉ. डीके गुप्ता ने एनडीटीवी से बातचीत के दौरान बताया कि 1965 में महाराष्ट्र के चांदीपुरा जिले में पहली बार फैला था. इसी वजह से वायरस का नाम चांदीपुरा पड़ा था. उन्होंने बताया कि चांदीपुरा रबडोविरिडे आरएनए फैमिली का वायरस है. डॉ. डीके गुप्ता ने बताया कि चांदीपुरा वायरस का इनक्यूबेशन पीरियड काफी कम होता है. संक्रमण के सिर्फ तीन या चार दिन बाद ही मरीज में लक्षण दिखाई देने लगते हैं.

इसे चांदीपुरा नाम क्यों दिया गया 

चांदीपुरा वायरस का नाम नागपुर जिले के एक गांव के नाम पर रखा गया है, जहां 1965 में इसकी पहली बार पहचान हुई थी. अतीत में यह आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और गुजरात में कई बार फैल चुका है.
 

चांदीपुरा वायरस के सामान्य लक्षण (Common symptoms of Chandipura virus)

चांदीपुरा वायरस से इंफेक्ट होने के बाद शुरुआती दिनों में फ्लू जैसे कुछ सामान्य लक्षण दिखाई देते हैं.

  • बुखार
  • सिर दर्द
  • बदन दर्द
  • उल्टी

चांदीपुरा वायरस के गंभीर लक्षण (Serious symptoms of Chandipura virus)

डॉ. डीके गुप्ता ने बताया कि जब इंफेक्शन मस्तिष्क तक पहुंच जाता है तो मरीज में एन्सेफलाइटिस जैसी गंभीर स्थिति उत्पन्न हो जाती है. मरीज के मस्तिष्क के टिशू में सूजन हो जाता है जिसके बाद कई गंभीर लक्षण दिखाई देने लगता है. कई केस में एन्सेफलाइटिस की वजह से व्यक्ति की मौत भी हो जाती है.

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  • बहुत तेज सिर दर्द
  • उल्टी
  • दौड़े पड़ना
  • मानसिक स्थिति में परिवर्तन

बचाव के उपाय (Preventive measures)

डॉ. डीके गुप्ता ने कहा कि चांदीपुरा वायरस को फैलने से रोकने के लिए लोगों के बीच जागरूकता फैलाना बेहद जरूरी है. लोगों को इसके लक्षण, फैलने के तरीके और बचाव के उपायों के बारे में सटीक जानकारी होनी चाहिए. उन्होंने बताया कि 9 महीने से 14 साल तक बच्चों को इस वायरस से सबसे ज्यादा खतरा रहता है. जिन जगहों पर संक्रमण फैला है वहां बच्चों को जाने नहीं देना चाहिए. बाहर जाने से पहले मच्छर भगाने वाली क्रीम का इस्तेमाल करें और फुल स्लीव के कपड़े पहनाएं.

डॉक्टर डीके गुप्ता ने बताया कि सैंडफ्लाइज के काटने से यह संक्रमण फैलता है. इसीलिए संक्रमण से बचने के लिए सैंडफ्लाइज बाइट से बचने की कोशिश करनी चाहिए. आसपास सफाई रखने के अलावा मच्छरदानी का इस्तेमाल करना चाहिए.

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क्या महामारी का रूप ले सकता है चांदीपुरा वायरस? (Can Chandipura virus become an epidemic?)

चांदीपुरा वायरस के केस लगातार देश भर में बढ़ते जा रहा है. संक्रमण के महामारी का रूप लेने की संभावना पर सवाल पूछे जाने पर डॉ. डीके गुप्ता ने बताया कि किसी भी वायरल संक्रमण में महामारी बनने की क्षमता होती है लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है. इससे पहले भी चांदीपुरा वायरस संक्रमण फैल चुका है लेकिन महामारी के स्तर पर नहीं पहुंचा है. हालांकि, संक्रमण को नियंत्रित करने के उपाय करना बहुत जरूरी है क्योंकि वायरस के खिलाफ कोई ड्रग मौजूद नहीं है.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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