उंगलियां या घुटने बार-बार चटकाना क्या नुकसानदेह ? जानिए यहां

जोड़ों का चटकना मानव शरीर का एक प्राकृतिक हिस्सा है, जिसका ज्यादातर हिस्सा पूरी तरह से हानिरहित है. विज्ञान बताता है कि यह आवाज एक जटिल लेकिन सामान्य बायोमैकेनिकल घटना है. इसे घुटनों के कमजोर होने या हड्डियों के टूटने का संकेत समझने की जरूरत नहीं है, जब तक कि इसके साथ दर्द या सूजन न हो.

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कई नवीनतम अध्ययनों में यह भी पाया गया है कि जिन लोगों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं और जो नियमित रूप से स्ट्रेचिंग या हल्की कसरत करते हैं, उनमें जोड़ों की आवाजें अपेक्षाकृत कम होती हैं.

Why does the knee make a cracking sound : हमारे जोड़ जब अचानक टक या कड़क की आवाज करते हैं, तो यह अक्सर एक ऐसा अनुभव होता है जिसके साथ लगभग हर इंसान कभी न कभी गुजरा है. उंगलियों के क्रैक होने से लेकर घुटनों, टखनों, गर्दन या पीठ में होने वाली आवाजें! लोग इसे कभी थकान का संकेत मानते हैं, कभी कमजोरी का, और कई बार वे इसे किसी गंभीर बीमारी का शुरुआती संकेत भी समझ लेते हैं. लेकिन आधुनिक हेल्थ रिसर्च बताती है कि जोड़ का हर चटकना बीमारी नहीं होता, बल्कि इसमें कई बेहद दिलचस्प वैज्ञानिक कारण काम करते हैं.

घुटने के चटकने पर आवाज क्यों आती है

जोड़ों की यह आवाज सबसे ज्यादा उन जगहों पर सुनाई देती है जहां हड्डियां आपस में नहीं रगड़तीं बल्कि उनके बीच एक मुलायम और चिकना लुब्रिकेंट यानी सिनोवियल फ्लूइड मौजूद रहता है. जब हम अचानक किसी जोड़ को खींचते हैं या मोड़ते हैं, तो उसके भीतर मौजूद गैस के छोटे-छोटे बुलबुले तेजी से टूटते हैं. वैज्ञानिक इस प्रक्रिया को कैविटेशन कहते हैं, और इसी बुलबुले के फटने से वह तेज आवाज पैदा होती है. कई एमआरआई-आधारित अध्ययनों में यह साफ दिखाई दिया है कि उंगलियों या घुटने के चटकने के तुरंत बाद जोड़ के अंदर बनने-फटने वाले गैस बुलबुलों की संख्या बढ़ जाती है, जिससे यह सिद्ध हुआ कि आवाज हड्डियों के टकराने से नहीं बल्कि इस रासायनिक-भौतिक प्रक्रिया से आती है.

उंगलियां या घुटने बार-बार चटकाना क्या नुकसानदेह है

फिर यह सवाल भी अक्सर उठता है कि क्या उंगलियां या घुटने बार-बार चटकाना नुकसानदेह है? इस पर पिछले दो दशकों में कई रिसर्च हुईं और ज्यादातर निष्कर्ष यही मिले कि सामान्य परिस्थितियों में ऐसा करने से गठिया जैसी बीमारी नहीं होती. अब तक कोई ठोस वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि उंगलियों को सुबह-शाम चटकाने से जोड़ घिसते हैं या हड्डियां कमजोर होती हैं. हां, बार-बार तेजी से या जोर लगाकर ऐसा करने से आसपास के लिगामेंट और टिशू थोड़े ढीले हो सकते हैं, जिससे कुछ लोगों को हल्का दर्द, जकड़न या अस्थायी सूजन महसूस हो सकती है.

घुटने खासतौर पर चटकने की वजह से चर्चा में रहते हैं क्योंकि घुटना शरीर के सबसे जटिल और ज्यादा उपयोग किए जाने वाले जोड़ों में से एक है. उम्र बढ़ने, मांसपेशियों की कमजोरी, मोटापे या लंबे समय तक बैठने के कारण घुटने के जोड़ों की हरकत में हल्की अनियमितता आ जाती है. कई बार यह आवाज इसलिए होती है कि टेंडन या लिगामेंट अपनी जगह से हल्का-सा फिसलते हुए वापस लौटते हैं, जिससे पॉप जैसी ध्वनि होती है. यह सामान्य है और दर्द न होने पर आमतौर पर किसी बीमारी का संकेत नहीं माना जाता. लेकिन यदि आवाज के साथ दर्द, सूजन, लॉकिंग या चलने में असहजता महसूस हो, तो यह कार्टिलेज की क्षति, मेनिस्कस की समस्या या शुरुआती ऑस्टियोआर्थराइटिस का संकेत हो सकता है, जिसकी जांच करवाना जरूरी होता है.

क्या कहती है रिसर्च

2018 में अमेरिकी नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन ने नॉइज अराउंड दे नीज को लेकर एक रिसर्च किया. 40 साल से ज्यादा उम्र के लोगों पर अध्ययन किया. घुटने में आवाज के फैलने की कुछ सिस्टमैटिक रिपोर्ट्स में पाया कि 38.1 प्रतिशत महिलाओं के मुकाबले महज 17.1 प्रतिशत पुरुषों के घुटने चटकते हैं.

कई नवीनतम अध्ययनों में यह भी पाया गया है कि जिन लोगों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं और जो नियमित रूप से स्ट्रेचिंग या हल्की कसरत करते हैं, उनमें जोड़ों की आवाजें अपेक्षाकृत कम होती हैं. पर्याप्त पानी पीना, कैल्शियम-विटामिन डी का संतुलित स्तर और अधिक समय तक एक ही मुद्रा में न बैठना भी इस समस्या को कम कर सकता है. शरीर जब गर्म होता है या बेहतर ब्लड सर्कुलेशन में आता है, तो सिनोवियल फ्लूइड अधिक लचीला हो जाता है, और जोड़ स्थिरता के साथ मूव करते हैं.

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इस तरह जोड़ों का चटकना मानव शरीर का एक प्राकृतिक हिस्सा है, जिसका ज्यादातर हिस्सा पूरी तरह से हानिरहित है. विज्ञान बताता है कि यह आवाज एक जटिल लेकिन सामान्य बायोमैकेनिकल घटना है. इसे घुटनों के कमजोर होने या हड्डियों के टूटने का संकेत समझने की जरूरत नहीं है, जब तक कि इसके साथ दर्द या सूजन न हो.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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